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कटिहार: कटाव का नहीं हुआ कोई स्थाई समाधान, नहर किनारे रहने को मजबूर लोग - कटिहार में कटाव की समस्या

कटिहार के बरारी विधानसभा क्षेत्र में कटाव पीड़ितों का कोई स्थाई समाधान नहीं हो सका है. जिसकी वजह से लोग नहर किनारे रहने को मजबूर हैं.

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नहर किनारे रहने को मजबूर लोग
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Published : Sep 17, 2020, 5:50 PM IST

कटिहार: बिहार विधानसभा चुनाव की तिथि को लेकर कभी भी चुनाव आयोग तारीखों का ऐलान कर सकता है. लेकिन इससे पूर्व क्षेत्र के विधायक पिछले 5 साल के दौरान काम का दावा कर रहे हैं. लेकिन जिले के बरारी विधानसभा क्षेत्र के आज भी कई ऐसे इलाके हैं, जहां करीब 20 साल से कोई काम नहीं किया गया है.

मूलभूत सुविधाओं का अभाव
इस इलाके की सबसे बड़ी समस्या कटाव है. जिससे हजारों परिवार विस्थापित हो गए हैं और बांध के किनारे या नहर के किनारे शरण लेने को मजबूर हैं. लेकिन किसी भी जनप्रतिनिधियों ने उनके स्थाई समाधान के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए है. बरारी प्रखंड के बरेटा गांव में करीब 400 विस्थापित परिवार नहर के किनारे पिछले 20 सालों से बसे हुए हैं. लेकिन इस गांव में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है और लोग आज भी झोपड़ी में रहने को मजबूर हैं.

देखें रिपोर्ट.

गांव में नहीं है पक्की सड़क
गांव में जाने के लिए ना कोई पक्की सड़क है और ना ही पीने योग्य शुद्ध पानी है. जैसे-तैसे लोग जीवन यापन करने को मजबूर हैं. हालांकि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले इन्हें कुछ उम्मीद जगी है कि वोट मांगने कोई तो नेताजी आएंगे और इनके लिए काम करेंगे. ताकि यह विस्थापित परिवार स्थाई रूप से शरण ले सके.

बच्चों के डूबने की आशंका
गांव की महिलाएं बताती हैं कि 20 वर्ष पूर्व कुर्सेला प्रखंड क्षेत्र में नदियों के कटाव के कारण इनका गांव नदी में विलीन हो गया. जिसके बाद बरारी प्रखंड क्षेत्र के बरेटा गांव के नहर पर शरण ले लिए हैं. लेकिन आज भी गांव के लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. बगल में नहर होने के कारण बच्चों के डूबने की आशंका बनी रहती है. स्थाई समाधान के लिए कई बार सरकारी कार्यालयों का चक्कर काटे. लेकिन इसका निदान नहीं हो सका.

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नहर किनारे रहने को मजबूर लोग

क्या कहते हैं ग्रामीण
ग्रामीणों की मानें तो विधानसभा के चुनाव में जो नेता उनके समस्याओं का समाधान करेंगे, उन्हें ही वोट देंगे. जिले में बाढ़ और कटाव के कारण प्रत्येक साल लाखों परिवार विस्थापित हो जाते हैं. लेकिन सरकार की ओर से इस समस्या के समाधान के लिए अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है.

यही वजह है कि जिले के लाखों परिवार जो विस्थापित हैं, वो रेलवे लाइन के किनारे, सड़क के किनारे, बांध के किनारे या नहर के किनारे शरण लेने को मजबूर हैं. हालात यह है कि यह लोग मूलभूत सुविधाओं से पूरी तरह वंचित है.

कटिहार: बिहार विधानसभा चुनाव की तिथि को लेकर कभी भी चुनाव आयोग तारीखों का ऐलान कर सकता है. लेकिन इससे पूर्व क्षेत्र के विधायक पिछले 5 साल के दौरान काम का दावा कर रहे हैं. लेकिन जिले के बरारी विधानसभा क्षेत्र के आज भी कई ऐसे इलाके हैं, जहां करीब 20 साल से कोई काम नहीं किया गया है.

मूलभूत सुविधाओं का अभाव
इस इलाके की सबसे बड़ी समस्या कटाव है. जिससे हजारों परिवार विस्थापित हो गए हैं और बांध के किनारे या नहर के किनारे शरण लेने को मजबूर हैं. लेकिन किसी भी जनप्रतिनिधियों ने उनके स्थाई समाधान के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए है. बरारी प्रखंड के बरेटा गांव में करीब 400 विस्थापित परिवार नहर के किनारे पिछले 20 सालों से बसे हुए हैं. लेकिन इस गांव में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है और लोग आज भी झोपड़ी में रहने को मजबूर हैं.

देखें रिपोर्ट.

गांव में नहीं है पक्की सड़क
गांव में जाने के लिए ना कोई पक्की सड़क है और ना ही पीने योग्य शुद्ध पानी है. जैसे-तैसे लोग जीवन यापन करने को मजबूर हैं. हालांकि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले इन्हें कुछ उम्मीद जगी है कि वोट मांगने कोई तो नेताजी आएंगे और इनके लिए काम करेंगे. ताकि यह विस्थापित परिवार स्थाई रूप से शरण ले सके.

बच्चों के डूबने की आशंका
गांव की महिलाएं बताती हैं कि 20 वर्ष पूर्व कुर्सेला प्रखंड क्षेत्र में नदियों के कटाव के कारण इनका गांव नदी में विलीन हो गया. जिसके बाद बरारी प्रखंड क्षेत्र के बरेटा गांव के नहर पर शरण ले लिए हैं. लेकिन आज भी गांव के लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. बगल में नहर होने के कारण बच्चों के डूबने की आशंका बनी रहती है. स्थाई समाधान के लिए कई बार सरकारी कार्यालयों का चक्कर काटे. लेकिन इसका निदान नहीं हो सका.

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नहर किनारे रहने को मजबूर लोग

क्या कहते हैं ग्रामीण
ग्रामीणों की मानें तो विधानसभा के चुनाव में जो नेता उनके समस्याओं का समाधान करेंगे, उन्हें ही वोट देंगे. जिले में बाढ़ और कटाव के कारण प्रत्येक साल लाखों परिवार विस्थापित हो जाते हैं. लेकिन सरकार की ओर से इस समस्या के समाधान के लिए अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है.

यही वजह है कि जिले के लाखों परिवार जो विस्थापित हैं, वो रेलवे लाइन के किनारे, सड़क के किनारे, बांध के किनारे या नहर के किनारे शरण लेने को मजबूर हैं. हालात यह है कि यह लोग मूलभूत सुविधाओं से पूरी तरह वंचित है.

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