कटिहार: कोरोना वायरस से बचाव और संक्रमण की रोकथाम के लिए पूरा देश 17 मई तक लॉकडाउन है. लॉकडाउन ने आम जनजीवन पर जहां गहरा असर डाला हैं. वहीं इसका प्रभाव बेजुबानों पर भी खासा पड़ा है. लोगों के घरों में रहने के कारण और गाड़ियों के कम आवागमन के कारण पक्षियों के सामने खाने के लाले पड़ गए हैं.
लॉकडाउन से पहले आते थे पक्षी
लॉकडाउन से पहले कटिहार रेलवे रैक प्वाइंट पर प्रतिदिन कई मालगाड़ियां खाद्यान्न लेकर आया जाया करती थीं, जिसके उतार और चढ़ाव के दौरान कुछ अनाज के दाने जमीन पर गिर जाया करते थे. अनाज के इन गिरे हुए दानों को खाने के लिए रोजाना हजारों पक्षियां यहां आया करती थी, लेकिन जब से रेल के चक्के थमे हैं, मालगाड़ियां नहीं आने के कारण इस पक्षियों पर भुखमरी का संकट आ खड़ा हुआ है. भुखमरी के इस दौर में कई पक्षियां तो अनाज के दाने के लिए पलायन तक कर गई हैं.
परिंदों को नहीं मिल रहा दाना
लॉकडाउन के पहले यह इलाका गुलजार रहता था. अनाज उतारते-चढ़ाते मजदूरों का जत्था स्टेशन की रौनक हुआ करता था, लेकिन जब से लॉकडाउन में रेल के चक्के रुके हैं. मालगाड़ियों के परिचालन पर ब्रेक लगा है. स्थानीय बंटी कुमार यादव बताते हैं कि जब कई मालगाड़ियां आती थीं तो रोजाना कम से कम हजारों परिंदे भी दाना चुगने आते थे, जिसमें कबूतर, गौरैया, मैना सहित कई पक्षी शामिल थी.
बेजुबान की मदद के लिए कोई नहीं
आमतौर पर लॉकडाउन के दौरान सड़क किनारे, चौक-चौराहे पर भूख से तड़प रहे लोगों के लिए कई मददगार सामने दिखते हैं, लेकिन यह भी सच है कि ऐसे मददगार केवल वहीं दिखाई पड़ते हैं, जहां मीडिया के कैमरे दिखाई पड़ें. बेजुबानों के लि यह मददगार बहुत कम ही होते हैं.