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परेशानी में हैं कटिहार के केला किसान, खराब सड़कों की वजह से नहीं पहुंच रहे ग्राहक

बाढ़ और कटाव की नियति झेल रहे कटिहार के किसानों ने परंपरागत धान, गेहूं की खेती से तौबा कर केले की खेती में लग गए हैं. ताकि किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके. लेकिन, सरकारी उदासीनता के कारण किसानों की परेशानी और भी बढ़ गई है.

केला किसान
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Published : Oct 6, 2019, 11:30 PM IST

कटिहार: बिहार में किसानों की स्थिति दिनों दिन बिगड़ती जा रही है. जिले के केला किसानों की परेशानी बढ़ गई है. किसानों का आरोप है कि सड़क की स्थिति खराब होने के कारण खरीददारों के नहीं आने से बिक्री कम हो गई है. जिससे वह कम कीमतों पर केला बेचने को मजबूर हैं.

katihar
केले का खेत

दरअसल, बाढ़ और कटाव की नियति झेल रहे कटिहार के किसान परंपरागत धान, गेहूं की खेती से तौबा कर केले की खेती में लग गए हैं. ताकि उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके. लेकिन, सरकारी उदासीनता के कारण किसानों की परेशानी और भी बढ़ गई है.

katihar
किसान

क्या कहते हैं किसान?
इस संबंध में किसानों ने बताया कि कटिहार से केला खरीदने के लिए उत्तर प्रदेश, बंगाल आदि जगहों से लोग आया करते थे. पहले बड़े आराम से केले की बिक्री हो जाती थी. लेकिन, जब से यहां के सड़क की दुर्दशा हुई है, लोगों ने यहां आना बंद कर दिया है. उन्होंने कहा कि खरीददारों के नहीं आने के कारण कम दाम में केला बेचना पड़ रहा है.

किसानों की सरकार से गुहार
वहीं, दूसरे किसान अब्दुल कादिर बताते हैं कि जितनी लागत है, उसके हिसाब से कीमत नहीं मिल रही है. वहीं, केले की बिक्री भी कम हो गई है. उन्होंने कहा कि त्योहार के समय भी उचित दाम नहीं मिल पा रहा है. किसान अब्दुल कादिर ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

पेश है रिपोर्ट

संसाधनों की कमी से परेशान किसान
बता दें कि बिहार के हाजीपुर केले की खेती के लिये काफी प्रसिद्ध है. लेकिन, इन दिनों सीमांचल के कटिहार और पूर्णिया जिले के किसानों ने बड़ी तेजी से केले की खेती को अपनाया है. लेकिन, खराब सड़कों और संसाधनों की कमी होने का असर किसानों की आर्थिक स्थिति पर पड़ रहा है.

कटिहार: बिहार में किसानों की स्थिति दिनों दिन बिगड़ती जा रही है. जिले के केला किसानों की परेशानी बढ़ गई है. किसानों का आरोप है कि सड़क की स्थिति खराब होने के कारण खरीददारों के नहीं आने से बिक्री कम हो गई है. जिससे वह कम कीमतों पर केला बेचने को मजबूर हैं.

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केले का खेत

दरअसल, बाढ़ और कटाव की नियति झेल रहे कटिहार के किसान परंपरागत धान, गेहूं की खेती से तौबा कर केले की खेती में लग गए हैं. ताकि उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके. लेकिन, सरकारी उदासीनता के कारण किसानों की परेशानी और भी बढ़ गई है.

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किसान

क्या कहते हैं किसान?
इस संबंध में किसानों ने बताया कि कटिहार से केला खरीदने के लिए उत्तर प्रदेश, बंगाल आदि जगहों से लोग आया करते थे. पहले बड़े आराम से केले की बिक्री हो जाती थी. लेकिन, जब से यहां के सड़क की दुर्दशा हुई है, लोगों ने यहां आना बंद कर दिया है. उन्होंने कहा कि खरीददारों के नहीं आने के कारण कम दाम में केला बेचना पड़ रहा है.

किसानों की सरकार से गुहार
वहीं, दूसरे किसान अब्दुल कादिर बताते हैं कि जितनी लागत है, उसके हिसाब से कीमत नहीं मिल रही है. वहीं, केले की बिक्री भी कम हो गई है. उन्होंने कहा कि त्योहार के समय भी उचित दाम नहीं मिल पा रहा है. किसान अब्दुल कादिर ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

पेश है रिपोर्ट

संसाधनों की कमी से परेशान किसान
बता दें कि बिहार के हाजीपुर केले की खेती के लिये काफी प्रसिद्ध है. लेकिन, इन दिनों सीमांचल के कटिहार और पूर्णिया जिले के किसानों ने बड़ी तेजी से केले की खेती को अपनाया है. लेकिन, खराब सड़कों और संसाधनों की कमी होने का असर किसानों की आर्थिक स्थिति पर पड़ रहा है.

Intro:......कटिहार में केला किसान हैं परेशान क्योंकि त्यौहारी सीजन होने के बाबजुद नहीं आ रहे हैं दूसरे प्रदेशों के व्यापारी....। खराब सड़क ने कर डाला हैं जिनका बेड़ा गर्क .....। औने - पौने कीमतों में स्थानीय बाजारों में बेचने को हैं विवश .....। लागत भी बड़ी मुश्किल से निकल पा रहा .....। कुछ करों सरकार जिससे हो किसानों का बेड़ा पार .....।


Body:केले के फसल की यह तस्वीर बिहार के कटिहार जिले की हैं जो आजकल केले के हब के रूप में तेजी से विकसित हो रहा हैं ....। दरअसल , बाढ़ और कटाव की नियति झेल रहे कटिहार के किसानों ने परंपरागत धान , गेहूँ की खेती से इसलिये तौबा कर लिया क्योंकि इस ट्रेडिशनल क्रॉप में लागत और मेहनत के हिसाब से किसानों को लाभ नहीं मिल पाता था ....। जुट की खेती जो यहाँ के किसानों की आर्थिक रीढ़ थी , जुट मिलों के बन्द होने के कारण किसानों ने खेतों में लगानी छोड़ दी ....। इस बीच केले की खेती किसानों के लिये वरदान बनकर उभरी और लोगों ने बड़े पैमाने पर वैकल्पिक लाभप्रद खेती के रूप इसे खेती में लगा किस्मत आजमा शुरू किया ....। कुछ सालों तक यह खेती किसानों को मुनाफा भी प्रदान किया ....। उत्तर प्रदेश के बनारस , लखनऊ , समीपवर्ती झारखण्ड और पश्चिम बंगाल से व्यापारी केले के फसल को खरीदने आते थे और यह खरीददारी किसानों को खूब आमदनी देती थी लेकिन अब किसानों के यहाँ त्यौहारी सीजन होने के बाबजूद बाहर के व्यापारी इसलिये नहीं पहुँचते क्योंकि सड़कें खराब हैं , बड़े - बड़े गड्ढे के कारण व्यापारियों की ट्रकें गांव की सड़कों तक नहीं पहुँच पाती ....। बाढ़ के पानी ने खराब सड़कों पर और तबाह कर डाला हैं और गर्म तेल के कडाही में फोरन का काम किया हैं .....। स्थानीय किसान अनन्त भारती बताते हैं कि खराब सड़कों की वजह से केले के फसल किसानों के लिये परेशानी का सबब बन गयी हैं । स्थानीय किसान कमल किशोर चौधरी बताते हैं कि सड़कों के खराब रहने से व्यापारी उनके खेतों तक नहीं पहुँच पाते हैं .....। स्थानीय किसान अब्दुल कादिर बताते हैं जितनी लागत हैं , आजकल उस हिसाब से लाभ नहीं मिल पाता हैं । उन्होंने सरकार से माँग किया कि सरकार खराब सड़कों को अविलम्ब दुरुस्त करें......।


Conclusion:बिहार में हाजीपुर केले के खेती के लिये काफी प्रसिद्ध हैं लेकिन इन दिनों सीमाँचल का कटिहार , पुर्णिया जिले के किसानों ने बड़ी तेजी से इस फसल की खेती को अपनाया हैं लेकिन यदि खराब सड़कों और संसाधन विहीन समस्या होने का असर यदि किसानों के खेतों पर पड़ेगा तो वह दिन दूर नहीं जब परेशान किसान दाने - दाने को मोहताज हो फिर से दूसरे प्रदेशों का पलायन करने लगेंगे.....।
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