कटिहारः कोरोना वायरस से बचाव और इसके संक्रमण की रोकथाम के लिये 17 मई तक पूरे देश में लॉक डाउन जारी है. इस लॉक डाउन का सबसे ज्यादा बुरा असर रोजाना कमाने-खाने वाले लोगों पर पड़ा हैं. लेकिन कटिहार का एक ऐसा परिवार हैं जिस पर पहले प्रकृति की मार पड़ी और अब लॉक डाउन में सभी तिल-तिल कर मरने को विवश है.
लॉक डाउन से परेशान गरीब परिवार
कटिहार नगर थाना क्षेत्र के बड़ा बाजार इलाके के एक परिवार में चार बहनें रहती हैं. जिसमें सभी दिव्यांग हैं. इनमें कुछ दिन पहले एक बहन की असामयिक मौत हो गयी. ये बहने माता- पिता के बनायी पुश्तैनी मकान में रहती हैं. इसी मकान में सड़क की ओर एक दुकाननुमा बनाया गया हैं, जिसके भाड़े से इस सभी का रोटी का जुगाड़ होता था. लेकिन जब से लॉक डाउन हुआ हैं, बाजार और अन्य दुकाने बंद होने के कारण इनके सामने भूखमरी की स्थिती उत्पन्न हो गई है.
तिल-तिल कर मरने को विवश हैं 3 दिव्यांग जिन्दगी
वहीं, दिव्यांग मीरा बताती हैं कि लॉक डाउन का उन पर बड़ा प्रभाव पड़ा है और अब तो भूखे मरने की नौबत आ गई है. दुकान के किराये से महीने का 3 हजार रुपया आता था. जिससे घर का राशन आ जाता था. लेकिन जब से लॉक डाउन हुआ हैं. बाजार बन्द रहने के कारण दुकानदार भी दुकान बंंद कर दिये है औऱ किराए देने से मना कर रहे है. वहीं, दिव्यांग हीरा बताती हैं कि उसकी एक बहन की असमय मौत हो गयी. हमलोग 3 बहन बचे हैं, दूसरा कोई नहीं हैं. दिव्यांग होने के कारण नात-रिश्तेदार भी नहीं आते. साल-दो साल में कभी कोई हाल-चाल पूछने आ गया तो समझो बड़ी बात है. लॉक डाउन में तो और भी बुरा हाल है.
लॉक डाउन से भूखे मरने की नौबत
लॉक डाउन के दौरान सड़कों पर जिंदगी गुजारने वाले लोगों के लिये इन दिनों मददगारों की कमी नहीं है. लेकिन इसका दूसरा पक्ष यह भी हैं कि यह सभी वहीं दिखते है, जहां कैमरा और फ्लैश लाइटें चमचमाती हुई दिखती हैं. ऐसे पीड़ित लोगों के पास जो पहले से ही कुदरत की मार झेल रहा हैं, उस तक किसी मदद के हाथ अब तक नहीं पहुंच पाये है. जिस कारण यह दिव्यांग बहनें रफ्ता-रफ्ता मौत की ओर जा रही हैं.