कैमूर: सरकार भले ही शिक्षा सुधारने के लिए कई कदम उठा रही हो, लेकिन जमीनी स्तर पर बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. जिले के पहाड़ पर बसे अधौरा प्रखंड में 90 से अधिक विद्यालय हैं. इनमें ऐसे न जानें कितने स्कूल हैं, जहां कई शिक्षक महीनों में तो कई सालों में बच्चों को दर्शन देने जाते हैं.
सिर्फ 8 बच्चे आते हैं पढ़ने
उत्क्रमित मध्य विद्यालय चफना में नामांकन तो 250 से अधिक बच्चों का है और पढ़ाने के लिए यहां कुल 8 शिक्षकों की पोस्टिंग हैं. लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि इस विद्यालय में सिर्फ 8 बच्चे पढ़ाई करने के लिए आते हैं. वहीं, यहां रोजाना उपस्थिति सिर्फ एक शिक्षक की ही होती है. विद्यालय के प्रिंसिपल पिछले 2 साल में महीने दो महीने में 2-3 दिन के लिए स्कूल जाते हैं और सारा रिकॉर्ड मेंटेन कर लिया जाता है. ग्रामीणों ने बताया कि विद्यालय में 3 शिक्षिका की भी पोस्टिंग है. लेकिन उन्हें देखे हुए एक साल से अधिक हो गए हैं. यानी बिना उपस्थिति के ही इस विद्यालय के शिक्षकों को उनका वेतन आसानी से मिलता है.
एमडीएम में भी होता है घोटाला
ग्रामीणों का कहना है कि विद्यालय में एमडीएम में भी बड़े पैमाने पर घोटाला किया जाता है. रजिस्टर में सैकड़ों बच्चों के लिए एमडीएम बनता है और इसका लाभ कुछ बच्चों को ही दिया जाता है. विद्यालय में मौजूद एक शिक्षक से जब पूछा गया कि अन्य शिक्षक क्यों नहीं आये हैं, तो उन्होंने कहा कि ये प्रिंसिपल ही बता पाएंगे, उन्हें नहीं मालूम है. लेकिन हैरानी की बात ये है कि खुद प्रिंसिपल स्कूल महीने में 2-4 दिन के लिए जाते हैं.
क्या कहते हैं छात्र?
स्कूल में मौजूद बच्चों ने बताया कि रोजाना सिर्फ 8 बच्चे ही स्कूल आते हैं. छात्र ने बताया कि स्कूल में शिक्षक नहीं आते हैं इसलिए वो लोग गांव में 200 रुपये प्रति माह देकर ट्यूशन पढ़ने को मजबूर हैं. अगर स्कूल में रोजाना शिक्षक आये और सही से क्लास का संचालन किया जाए तो उन्हें ट्यूशन पढ़ने की जरूरत नहीं पड़ेगी. लेकिन पहाड़ पर कोई नहीं आता हैं और शिक्षा उनके लिए जरूरी है, इसलिए पैसा देकर पढ़ने को मजबूर हैं.
जांच के बाद होगी कार्रवाई
ग्रामीणों ने बताया कि शिकायत करने पर स्कूल में शिक्षक कहते हैं कि विधायक, सांसद और अधिकारियों के आदमी हैं. कोई कुछ नहीं कर सकता है. इसलिए मिलजुल कर रहने में भलाई है. उन्होंने बताया कि जांच के लिए कभी-कभार अधिकारी आते हैं. उनसे यदि शिकायत की जाती है तो सिर्फ आश्वासन मिलता है. लेकिन कोई सुधार नहीं होता है. इस मामले में जब अधौरा प्रखंड के शिक्षा पदाधिकारी से पूछा गया तो उन्होंने भी जांच के बाद कार्रवाई का रटा-रटाया जवाब दिया.