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खेल-खेल में बच्चे करते हैं पढ़ाई, नए उपकरणों से बेहतरीन शिक्षा दे रहे ये शिक्षक - kaimur education news

अवधेश राम का नियोजन 2003 में हुआ था. जिसके बाद उन्होंने अपनी जिम्मेदारी को समझा और फिर तकनीक का इस्तेमाल करते हुए कई ऐसे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का निर्माण किया, जिससे बच्चों को आसान तरीके से पढ़ाई के प्रति जागरूक किया जा सके.

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Published : Feb 2, 2020, 1:27 PM IST

Updated : Feb 2, 2020, 1:59 PM IST

कैमूर: बच्चों में शिक्षा की अलख जलाने के लिए कैमूर के एक शिक्षक ने नई कोशिश की है. जिले के सोनहर सीआरसी केंद्र में शिक्षक अवधेश राम इलेक्ट्रॉनिक उपकरण की मदद से बच्चों को प्रैक्टिकल और बेहतर शिक्षा मुहैया करा रहे हैं. बगैर किसी सरकारी सहायता के इस प्रकार की कवायद सहरानीय है.

अवधेश राम भभुआ प्रखंड के बहुआरा में उत्क्रमित मध्य विद्यालय में कार्यरत हैं और पिछले कई सालों से अपनी सेवाएं दे रहे हैं. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए उन्होंने नई पहल की है, जिससे बच्चे खेल-खेल में पढ़ाई कर रहे हैं. साथ ही नए गुण भी सीख रहे हैं.

कैमूर से कौशल की रिपोर्ट

'आसान तरीके से पढ़ेंगे बच्चे'
दरअसल, अवधेश राम का नियोजन 2003 में हुआ था. जिसके बाद उन्होंने अपनी जिम्मेदारी को समझा और फिर तकनीक का इस्तेमाल करते हुए कई ऐसे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का निर्माण किया, जिससे बच्चों को आसान तरीके से पढ़ाई के प्रति जागरूक किया जा सके. इसी क्रम में उन्होंने लगभग दो दर्जन छोटी-छोटी वस्तुओं का निर्माण किया. शिक्षक अवधेश राम की यह पहल ग्रामीण क्षेत्र में बच्चों को पढ़ाई में रुची के साथ-साथ ज्ञान का वर्धन भी करा रहा है.

kaimur
इन उपकरणों से बच्चों को देते हैं बेहतर शिक्षा

इन तकनीकों से पढ़ते हैं बच्चे
ईटीवी भारत से बातचीत में अवधेश ने बताया कि उन्होंने कई इलेक्ट्रॉनिक बोर्ड का निर्माण किया. बोर्ड के माध्यम से बच्चों को पढ़ाई में काफी सहूलियत मिलती है. उन्होंने बताया कि बोर्ड पर प्रश्न और उसके उत्तर भी होते हैं. यदि कोई बच्चा गलत उत्तर देता है तो बोर्ड की लाइट नहीं जलती है और सही उत्तर पर क्लिक करते ही बोर्ड में लाइट जल जाती है. इस माध्यम से बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ तकनीक का नया तरीका भी सीखने को मिला.

kaimur
बच्चों को उपकरण की मदद से पढ़ाते शिक्षक

शिक्षक अवधेश राम ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को बेहतर शिक्षा उपलब्ध नहीं है. उन्होंने कहा कि इसके लिए वे कार्य करेंगे. अवधेश ने कहा कि उन्होंने कई प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का निर्माण किया है, जिससे पढ़ाई में बच्चों की रुची बढ़ सके.

भूकंप अलार्म का भी किया निर्माण
पर्यावरण को समझने के लिए उन्होंने कई उपकरण का निर्माण किया. भूकंप आने से भूकंप की सूचना के लिए अवधेश राम ने एक डिवाइस बनाया है. जिससे भूकंप आने के पहले ही अलार्म बज जाता हैं. अवधेश ने बच्चों को भी प्रेरणा दी है कि वह इस तरह के भूकंप रोधक अलार्म का निर्माण करें और अपने घर में रखें.

इसके अलावा अवधेश ने कई उपकरणों का निर्माण किया है. जैसे म्यूजिकल वायलिन जो इकाई-दहाई बताता है, टीएलएम की मदद से ककहरा और कार्टून की मदद से पर्यायवाची शब्द सहित अन्य चीजों का निर्माण किया है.

कक्षा पांच तक के लिए है उपकरण
अवधेश ने बताया कि कक्षा 5 तक के बच्चों के लिए उन्होंने एबीसीडी कैपिटल लेटर, स्मॉल लेटर, पर्यायवाची शब्द और पहाड़ा के लिए कई मॉडल और उपकरण बनाए हैं जो कि सोनहन के सीआरसी केंद्र में रखा गया है.

बच्चों को किया जाता है जागरूक
वहीं, सोनहन सीआरसी केंद्र के समन्वयक पवन कुमार ने बताया कि हर महीने यहां शिक्षकों का प्रशिक्षण चलता है. उन्होंने कहा कि अवधेश की ओर से कई उपकरण बनाए गए हैं, जो यहां ट्रेनिंग में रखे जाते हैं. समन्वयक पवन ने कहा कि दूसरे स्कूलों के शिक्षक भी यहां आकर इस उपकरण की ट्रेनिंग लेते हैं. साथ ही स्कूल के बच्चों को भी सीआरसी केंद्र में लाकर और इन मशीनों की मदद से उन्हें शिक्षा के प्रति जागरूक किया जाता है.

पहल करे सरकार
एक तरफ बिहार सरकार बेहतर शिक्षा की बात करती है लेकिन सरकारी विद्यालय में शिक्षक का घोर अभाव है. वहीं, दूसरी तरफ कैमूर का यह शिक्षक ग्रामीण क्षेत्रों में अपने छोटे-छोटे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और उपकरण के आविष्कार से बच्चों में पढ़ाई की अलख जला रहे हैं. ऐसे में सरकार को इस शिक्षक की कवायद पर मदद करनी चाहिए.

कैमूर: बच्चों में शिक्षा की अलख जलाने के लिए कैमूर के एक शिक्षक ने नई कोशिश की है. जिले के सोनहर सीआरसी केंद्र में शिक्षक अवधेश राम इलेक्ट्रॉनिक उपकरण की मदद से बच्चों को प्रैक्टिकल और बेहतर शिक्षा मुहैया करा रहे हैं. बगैर किसी सरकारी सहायता के इस प्रकार की कवायद सहरानीय है.

अवधेश राम भभुआ प्रखंड के बहुआरा में उत्क्रमित मध्य विद्यालय में कार्यरत हैं और पिछले कई सालों से अपनी सेवाएं दे रहे हैं. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए उन्होंने नई पहल की है, जिससे बच्चे खेल-खेल में पढ़ाई कर रहे हैं. साथ ही नए गुण भी सीख रहे हैं.

कैमूर से कौशल की रिपोर्ट

'आसान तरीके से पढ़ेंगे बच्चे'
दरअसल, अवधेश राम का नियोजन 2003 में हुआ था. जिसके बाद उन्होंने अपनी जिम्मेदारी को समझा और फिर तकनीक का इस्तेमाल करते हुए कई ऐसे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का निर्माण किया, जिससे बच्चों को आसान तरीके से पढ़ाई के प्रति जागरूक किया जा सके. इसी क्रम में उन्होंने लगभग दो दर्जन छोटी-छोटी वस्तुओं का निर्माण किया. शिक्षक अवधेश राम की यह पहल ग्रामीण क्षेत्र में बच्चों को पढ़ाई में रुची के साथ-साथ ज्ञान का वर्धन भी करा रहा है.

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इन उपकरणों से बच्चों को देते हैं बेहतर शिक्षा

इन तकनीकों से पढ़ते हैं बच्चे
ईटीवी भारत से बातचीत में अवधेश ने बताया कि उन्होंने कई इलेक्ट्रॉनिक बोर्ड का निर्माण किया. बोर्ड के माध्यम से बच्चों को पढ़ाई में काफी सहूलियत मिलती है. उन्होंने बताया कि बोर्ड पर प्रश्न और उसके उत्तर भी होते हैं. यदि कोई बच्चा गलत उत्तर देता है तो बोर्ड की लाइट नहीं जलती है और सही उत्तर पर क्लिक करते ही बोर्ड में लाइट जल जाती है. इस माध्यम से बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ तकनीक का नया तरीका भी सीखने को मिला.

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बच्चों को उपकरण की मदद से पढ़ाते शिक्षक

शिक्षक अवधेश राम ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को बेहतर शिक्षा उपलब्ध नहीं है. उन्होंने कहा कि इसके लिए वे कार्य करेंगे. अवधेश ने कहा कि उन्होंने कई प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का निर्माण किया है, जिससे पढ़ाई में बच्चों की रुची बढ़ सके.

भूकंप अलार्म का भी किया निर्माण
पर्यावरण को समझने के लिए उन्होंने कई उपकरण का निर्माण किया. भूकंप आने से भूकंप की सूचना के लिए अवधेश राम ने एक डिवाइस बनाया है. जिससे भूकंप आने के पहले ही अलार्म बज जाता हैं. अवधेश ने बच्चों को भी प्रेरणा दी है कि वह इस तरह के भूकंप रोधक अलार्म का निर्माण करें और अपने घर में रखें.

इसके अलावा अवधेश ने कई उपकरणों का निर्माण किया है. जैसे म्यूजिकल वायलिन जो इकाई-दहाई बताता है, टीएलएम की मदद से ककहरा और कार्टून की मदद से पर्यायवाची शब्द सहित अन्य चीजों का निर्माण किया है.

कक्षा पांच तक के लिए है उपकरण
अवधेश ने बताया कि कक्षा 5 तक के बच्चों के लिए उन्होंने एबीसीडी कैपिटल लेटर, स्मॉल लेटर, पर्यायवाची शब्द और पहाड़ा के लिए कई मॉडल और उपकरण बनाए हैं जो कि सोनहन के सीआरसी केंद्र में रखा गया है.

बच्चों को किया जाता है जागरूक
वहीं, सोनहन सीआरसी केंद्र के समन्वयक पवन कुमार ने बताया कि हर महीने यहां शिक्षकों का प्रशिक्षण चलता है. उन्होंने कहा कि अवधेश की ओर से कई उपकरण बनाए गए हैं, जो यहां ट्रेनिंग में रखे जाते हैं. समन्वयक पवन ने कहा कि दूसरे स्कूलों के शिक्षक भी यहां आकर इस उपकरण की ट्रेनिंग लेते हैं. साथ ही स्कूल के बच्चों को भी सीआरसी केंद्र में लाकर और इन मशीनों की मदद से उन्हें शिक्षा के प्रति जागरूक किया जाता है.

पहल करे सरकार
एक तरफ बिहार सरकार बेहतर शिक्षा की बात करती है लेकिन सरकारी विद्यालय में शिक्षक का घोर अभाव है. वहीं, दूसरी तरफ कैमूर का यह शिक्षक ग्रामीण क्षेत्रों में अपने छोटे-छोटे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और उपकरण के आविष्कार से बच्चों में पढ़ाई की अलख जला रहे हैं. ऐसे में सरकार को इस शिक्षक की कवायद पर मदद करनी चाहिए.

Intro:कैमूर।

खेल खेल में बच्चों को अच्छी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने का काम कैमूर जिला के भभुआ प्रखंड के बहुआरा में उत्क्रमित मध्य विद्यालय में पदस्थापित अशोक पिछले कई सालों से करते आ रहे हैं उन्होंने बिना किसी सरकारी मदद से कई उपकरण बनाया है बच्चे खास करके नौनिहाल खेल खेल में पढ़ाई कर रहें हैं


Body:आपकों बतादें कि अशोक ने कई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का निर्माण किया है जिससे बच्चों को पढ़ने में काफी सहूलियत मिलते हैं

अवधेश राम का नियोजन 2003 में हुआ जिसके बाद उन्होंने अपनी जिम्मेदारी को समझें और फिर तकनीक का प्रयोग करते हुए कई ऐसे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का निर्माण किया ताकि बच्चों को आसानी पढ़ाई के प्रति जागरूक किया जा सके। इसी क्रम में उन्होंने लगभग दो दर्जन छोटी-छोटी वस्तुओं का निर्माण कर दिया अवधेश का यह पहल काफी अनोखा और सराहनीय है ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को पढ़ाई में रुचि के साथ साथ ज्ञान वर्धन का काम कर रहा है।




ईटीवी भारत से बातचीत का क्रम में अवधेश ने बताया कि उन्होंने कई इलेक्ट्रॉनिक बोर्ड का निर्माण किया है जिस बोर्ड के माध्यम से बच्चों को पढ़ाई में काफी सहूलियत मिलती है ।

उन्होंने बताया कीबोर्ड पर प्रश्न और उसके उत्तर भी होते हैं यदि कोई बच्चा गलत उत्तर देता हैं तो बोर्ड की लाइट नहीं जलती है और सही उत्तर पर क्लिक करते हैं बोर्ड में लाइट जल जाती है।

ऐसे में बच्चों को पढ़ाई में काफी रुचि मिलती है और वह आनंद के साथ पढ़ाई करते हैं। उन्होंने यह निर्णय लिया की ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को बेहतर शिक्षा के लिए कार्य करेंगे जिसके लिए उन्होंने कई प्रकार इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का उन्होंने बताया कि डिवाइस निर्माण के लिए उन्होंने इको फ्रेंडली कलर का प्रयोग किया है।

ताकि बच्चे पर्यावरण के महत्व को समझ सके यही नहीं अवधेश ने भूकंप आने से भूकंप की सूचना के लिए एक डिवाइस बनाया हैं। जिससे भूकंप आने के पहले ही अलार्म बज जाता हैं। अवधेश ने बच्चों को भी प्रेरणा दी है कि वह इस तरह के भूकंप रोधक अलार्म का निर्माण करें और अपने घर में रखें।

इसके अलावा अवधेश ने कई उपकरणों का निर्माण किया है जैसे म्यूजिकल वायलिन इकाई दहाई बताता है टीएलएम की मदद से ककहारे और कार्टून की मदद से पर्यायवाची शब्द सहित अन्य चीजों का निर्माण किया है ।

अवधेश ने बताया कि कक्षा 5 तक के बच्चों के लिए उन्होंने एबीसीडी कैपिटल लेटर स्मॉल लेटर पर्यायवाची शब्द पहाड़ा इत्यादि के लिए कई मॉडल और उपकरण बनाये हैं जो कि सोनहन के सियासी केंद्र में रखा गया है


सोनहन सीआरसी केंद्र के समन्वयक पवन कुमार ने बताया कि अवधेश द्वारा बनाया गया उपकरणों को सीआरसी में इसलिए रखा गया है ताकि ट्रेनिंग के लिए जो भी शिक्षक है उन्हें यदि खाया जा सके कि छोटे-मोटे निर्माण से पढ़ाई को कितना सुचारू बनाया जा सकता है यही नहीं अन्य स्कूल के बच्चे को भी सीआरसी में लाया जाता है और इन उपकरणों की मदद से पढ़ाई में रुचि जगाने का काम किया जाता है


Conclusion:बिहार सरकार शिक्षा की बात करती है लेकिन सरकारी विद्यालय में एक तरफ जहां बच्चों के लिए शिक्षक का घोर अभाव है तो वहीं दूसरी तरफ कैमूर का यह शिक्षक ग्रामीण क्षेत्रों में अपने छोटे-छोटे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और उपकरण के आविष्कार से बच्चों में पढ़ाई की अलग चलाता है ।

ऐसे में सरकार को कहीं ना कहीं ऐसे शिक्षकों को प्रोत्साहित करने का काम करना चाहिए और इनके द्वारा बनाए गए सभी आविष्कारों को अन्य सरकारी विद्यालय में लागू करना चाहिए ताकि अधिक से अधिक बच्चों को इसका फायदा मिल सके
Last Updated : Feb 2, 2020, 1:59 PM IST
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