कैमूर: बच्चों में शिक्षा की अलख जलाने के लिए कैमूर के एक शिक्षक ने नई कोशिश की है. जिले के सोनहर सीआरसी केंद्र में शिक्षक अवधेश राम इलेक्ट्रॉनिक उपकरण की मदद से बच्चों को प्रैक्टिकल और बेहतर शिक्षा मुहैया करा रहे हैं. बगैर किसी सरकारी सहायता के इस प्रकार की कवायद सहरानीय है.
अवधेश राम भभुआ प्रखंड के बहुआरा में उत्क्रमित मध्य विद्यालय में कार्यरत हैं और पिछले कई सालों से अपनी सेवाएं दे रहे हैं. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए उन्होंने नई पहल की है, जिससे बच्चे खेल-खेल में पढ़ाई कर रहे हैं. साथ ही नए गुण भी सीख रहे हैं.
'आसान तरीके से पढ़ेंगे बच्चे'
दरअसल, अवधेश राम का नियोजन 2003 में हुआ था. जिसके बाद उन्होंने अपनी जिम्मेदारी को समझा और फिर तकनीक का इस्तेमाल करते हुए कई ऐसे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का निर्माण किया, जिससे बच्चों को आसान तरीके से पढ़ाई के प्रति जागरूक किया जा सके. इसी क्रम में उन्होंने लगभग दो दर्जन छोटी-छोटी वस्तुओं का निर्माण किया. शिक्षक अवधेश राम की यह पहल ग्रामीण क्षेत्र में बच्चों को पढ़ाई में रुची के साथ-साथ ज्ञान का वर्धन भी करा रहा है.
इन तकनीकों से पढ़ते हैं बच्चे
ईटीवी भारत से बातचीत में अवधेश ने बताया कि उन्होंने कई इलेक्ट्रॉनिक बोर्ड का निर्माण किया. बोर्ड के माध्यम से बच्चों को पढ़ाई में काफी सहूलियत मिलती है. उन्होंने बताया कि बोर्ड पर प्रश्न और उसके उत्तर भी होते हैं. यदि कोई बच्चा गलत उत्तर देता है तो बोर्ड की लाइट नहीं जलती है और सही उत्तर पर क्लिक करते ही बोर्ड में लाइट जल जाती है. इस माध्यम से बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ तकनीक का नया तरीका भी सीखने को मिला.
शिक्षक अवधेश राम ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को बेहतर शिक्षा उपलब्ध नहीं है. उन्होंने कहा कि इसके लिए वे कार्य करेंगे. अवधेश ने कहा कि उन्होंने कई प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का निर्माण किया है, जिससे पढ़ाई में बच्चों की रुची बढ़ सके.
भूकंप अलार्म का भी किया निर्माण
पर्यावरण को समझने के लिए उन्होंने कई उपकरण का निर्माण किया. भूकंप आने से भूकंप की सूचना के लिए अवधेश राम ने एक डिवाइस बनाया है. जिससे भूकंप आने के पहले ही अलार्म बज जाता हैं. अवधेश ने बच्चों को भी प्रेरणा दी है कि वह इस तरह के भूकंप रोधक अलार्म का निर्माण करें और अपने घर में रखें.
इसके अलावा अवधेश ने कई उपकरणों का निर्माण किया है. जैसे म्यूजिकल वायलिन जो इकाई-दहाई बताता है, टीएलएम की मदद से ककहरा और कार्टून की मदद से पर्यायवाची शब्द सहित अन्य चीजों का निर्माण किया है.
कक्षा पांच तक के लिए है उपकरण
अवधेश ने बताया कि कक्षा 5 तक के बच्चों के लिए उन्होंने एबीसीडी कैपिटल लेटर, स्मॉल लेटर, पर्यायवाची शब्द और पहाड़ा के लिए कई मॉडल और उपकरण बनाए हैं जो कि सोनहन के सीआरसी केंद्र में रखा गया है.
बच्चों को किया जाता है जागरूक
वहीं, सोनहन सीआरसी केंद्र के समन्वयक पवन कुमार ने बताया कि हर महीने यहां शिक्षकों का प्रशिक्षण चलता है. उन्होंने कहा कि अवधेश की ओर से कई उपकरण बनाए गए हैं, जो यहां ट्रेनिंग में रखे जाते हैं. समन्वयक पवन ने कहा कि दूसरे स्कूलों के शिक्षक भी यहां आकर इस उपकरण की ट्रेनिंग लेते हैं. साथ ही स्कूल के बच्चों को भी सीआरसी केंद्र में लाकर और इन मशीनों की मदद से उन्हें शिक्षा के प्रति जागरूक किया जाता है.
पहल करे सरकार
एक तरफ बिहार सरकार बेहतर शिक्षा की बात करती है लेकिन सरकारी विद्यालय में शिक्षक का घोर अभाव है. वहीं, दूसरी तरफ कैमूर का यह शिक्षक ग्रामीण क्षेत्रों में अपने छोटे-छोटे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और उपकरण के आविष्कार से बच्चों में पढ़ाई की अलख जला रहे हैं. ऐसे में सरकार को इस शिक्षक की कवायद पर मदद करनी चाहिए.