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आशा कार्यकर्ताओं ने पोस्टर के जरिए सरकार के सामने रखी अपनी डिमांड

कोरोना काल के मद्देनजर आशा कार्यकर्ताओं ने सरकार ने सुरक्षा मुहैया कराने की मांग की है. साथ ही उन्होंने दस हजार रुपए प्रति माह या फिर पांच सौ रुपए प्रति दिन के हिसाब से कोरोना भत्ता दिए जाने की भी मांग की है.

आशा कर्यकर्ताओं का प्रदर्शन
आशा कर्यकर्ताओं का प्रदर्शन
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Published : May 13, 2021, 11:11 AM IST

कैमूर : जिले की आशा कार्यकर्ताओं ने बुधवार को अपनी मांगों को लेकर पहले से घोषित कार्यक्रम के तहत जिले में लाॉकडाउन का अनुपालन करते हुए अपने घर और कार्यालय से पोस्टर पर नारा लिखकर सरकार से मांग कर रही हैं.

ये भी पढ़ें : बांका: आशा कार्यकर्ताओं के साथ स्वास्थ्य विभाग की बैठक, वैक्सीनेशन के लिए लोगों को जागरूक करने पर चर्चा

सरक्षा मुहैया करवाए सरकार
भाकपा माले जिला कार्यालय पर आयोजित कार्यक्रम में बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ कैमूर के अध्यक्ष मोहम्मद एकबाल इदीरसी ने कहा कि सरकार के द्वारा कोरोना काल में आशा कार्यकर्ताओं से काम तो लिया जा रहा है लेकिन उनकी सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं दी जा रही है. मांग करने पर लिपिक और अधिकारी हटाने की धमकी देते हैं. पारिश्रमिक की बकाया राशि भी समय पर नहीं मिलती है. साथ ही राशि भुगतान पर भी पैसा काट लिया जाता है. उन्होंने मांग करते हुए कहा कि कोरोना अभियान के लिए दस हजार रुपए प्रति माह या फिर पांच सौ रुपए प्रति दिन के हिसाब से कोरोना भत्ता दिया जाए.

मरने वाली आशा फेसिलिटेटर के परिवार को सहायता राशि दी जाए
जिस आशा फेसिलिटेटर(Facilitator) की मृत्यु हुई है उन्हें बिहार सरकार की तरफ से चार लाख रुपए और केंद्र सरकार के द्वारा पचास लाख रुपये की सहायता राशि दी जाए. कोरोना काल को देखते हुए सभी आशा फेसिलिटेटर को दस लाख रुपए का स्वास्थ्य बीमा सुनिश्चित करनी चाहिए. आशा कार्यकर्ता काम में तभी लगेंगी जब पीपीई किट और वाहन सहित सुरक्षा बल मुहैया कराया जाएगा. लाॅकडाउन में सभी जगह काम बंद है जिस कारण लोग भूखमरी का सामना कर रहे हैं. इसलिए सभी बकाया राशि तुरंत भुगतान किया जाना चाहिए.

कैमूर : जिले की आशा कार्यकर्ताओं ने बुधवार को अपनी मांगों को लेकर पहले से घोषित कार्यक्रम के तहत जिले में लाॉकडाउन का अनुपालन करते हुए अपने घर और कार्यालय से पोस्टर पर नारा लिखकर सरकार से मांग कर रही हैं.

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सरक्षा मुहैया करवाए सरकार
भाकपा माले जिला कार्यालय पर आयोजित कार्यक्रम में बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ कैमूर के अध्यक्ष मोहम्मद एकबाल इदीरसी ने कहा कि सरकार के द्वारा कोरोना काल में आशा कार्यकर्ताओं से काम तो लिया जा रहा है लेकिन उनकी सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं दी जा रही है. मांग करने पर लिपिक और अधिकारी हटाने की धमकी देते हैं. पारिश्रमिक की बकाया राशि भी समय पर नहीं मिलती है. साथ ही राशि भुगतान पर भी पैसा काट लिया जाता है. उन्होंने मांग करते हुए कहा कि कोरोना अभियान के लिए दस हजार रुपए प्रति माह या फिर पांच सौ रुपए प्रति दिन के हिसाब से कोरोना भत्ता दिया जाए.

मरने वाली आशा फेसिलिटेटर के परिवार को सहायता राशि दी जाए
जिस आशा फेसिलिटेटर(Facilitator) की मृत्यु हुई है उन्हें बिहार सरकार की तरफ से चार लाख रुपए और केंद्र सरकार के द्वारा पचास लाख रुपये की सहायता राशि दी जाए. कोरोना काल को देखते हुए सभी आशा फेसिलिटेटर को दस लाख रुपए का स्वास्थ्य बीमा सुनिश्चित करनी चाहिए. आशा कार्यकर्ता काम में तभी लगेंगी जब पीपीई किट और वाहन सहित सुरक्षा बल मुहैया कराया जाएगा. लाॅकडाउन में सभी जगह काम बंद है जिस कारण लोग भूखमरी का सामना कर रहे हैं. इसलिए सभी बकाया राशि तुरंत भुगतान किया जाना चाहिए.

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