कैमूर: जिले के रामपुर प्रखंड अंतर्गत अमाव पंचायत के अधीन हसनपुरा एक ऐसा गांव है जहां आजादी के 7 दशक बाद भी लोग बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं. ऐसे में ग्रामीणों का कहना है कि पहले अंग्रेजों के गुलाम थे, अब शासन-प्रशासन के हैं. कोई भी हमलोगों की सुनने वाला नही हैं. चुनाव के समय नेता आते हैं वादे करते हैं, जीत जाने के बाद सब कुछ भूल जाते हैं.
आपको बतादें कि कैमूर जिले का हसनपुरा एक मात्र ऐसा गांव है, जहां आजादी के 7 दशक बाद भी कोई सरकारी भवन नही हैं. ग्रामीणों ने बताया कि इस गांव में न तो आंगनबाड़ी केन्द्र है, न ही कोई स्कूल है, न ही पक्की सड़क है. गांव में कोई भी बुनियादी सुविधा उपलब्ध नही हैं. ग्रामीणों ने कहा कि आजादी से पहले अंग्रेजों के गुलाम थे और अब शासन-प्रशासन के हैं. ग्रामीणों ने बताया कि उनके सांसद चाहे बीजेपी के उम्मीदवार छेदी पासवान हो या कांग्रेस की मीरा कुमार दोनों इस संसदीय क्षेत्र से सांसद रह चुके हैं लेकिन आज तक इनलोगों ने गांव में पैर तक नहीं रखा.
प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना का नहीं मिला फायदा
ग्रामीणों ने बताया कि प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत सभी गांव को पंचायत से जोड़ने का प्लान तो सरकार ने बनाया है. लेकिन इस गांव में सरकार के इस प्लान की परछाई तक नहीं पहुंच सकी है. गांव में स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर भी कोई उपलब्ध नहीं है.
प्रशासन से कई बार लगा चुके हैं गुहार
लोगों का कहना है कि आजादी के 7 दशक बाद भी यहां सड़क के अभाव में एम्बुलेंस नहीं पहुंच पाता है. यदि कोई बीमार होता है तो उसे खटिया पर टांग कर 2 किमी दूर ले जाना पड़ता हैं, जहां से एम्बुलेंस सेवा प्राप्त होती है. इससे सबसे ज्यादा परेशानी गर्भवती महिलाओं को होती है. ग्रामीणों ने बताया कि बरसात के दिनों में 4 महीने तक गांव के बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं. क्योंकि गांव के चारों तरफ जलजमाव हो जाता है और गांव में स्कूल नहीं है. ग्रामीणों ने बताया कि नेता शासन प्रशासन सब से कई बार गुहार लगा चुके हैं. लेकिन किसी ने कोई बात नही सुनी.
लगभग 500 लोगों की आबादी है गांव की
इस गांव की आबादी लगभग 500 लोगों की है. लोगों का आरोप है कि छोटा गांव होने की वजह से किसी ने गांव का कोई विकास नहीं किया. अब देखना यह होगा कि इस गांव को कब ऐसी स्थिति से आजादी मिलेगी. आखिरकार कब इन्हें भी बुनियादी सुविधा मिलेगी और यह विकास के तरफ अग्रसर होंगे.