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जमुई: चुनावी सरगर्मी के बीच पिछड़ी लछुआड़ महोत्सव की धूम

जिला प्रशासन की ओर से भगवान महावीर के जन्मोत्सव की 15 दिन पहले से ही तैयारी की सुगबुगाहट शुरू हो जाती थी. लेकिन इस बार चुनावी सरगर्मी के कारण जिला प्रशासन महोत्सव मनाने के मूड में नहीं है.

क्षत्रियकुंड भगवान महावीर मंदिर
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Published : Apr 17, 2019, 1:46 PM IST

जमुई: क्षत्रियकुंड भगवान महावीर की जन्मभूमि नगरी लक्ष्मण में उनके जन्मोत्सव पर लछुआड़ महोत्सव मनाया जाता है. लेकिन इस बार चुनावी सरगर्मी के बीच कहीं न कहीं यह महोत्सव दबकर रह गया है.

जिला प्रशासन की ओर से भगवान महावीर के जन्मोत्सव की 15 दिन पहले से ही तैयारी की सुगबुगाहट शुरू हो जाती थी. लेकिन इस बार चुनावी सरगर्मी के कारण जिला प्रशासन महोत्सव मनाने के मूड में नहीं है. आदर्श आचार संहिता के बहाने जिला प्रशासन ने लछुआड़ महोत्सव मनाने से मना कर दिया है.

क्षत्रियकुंड भगवान महावीर मंदिर

जिलाधिकारी ने आचार संहिता का दिया हवाला

दूरभाष से जिलाधिकारी ने कहा कि चुनावी व्यस्तता के कारण फिलहाल लछुआड़ महोत्सव नहीं मनाया जाएगा. जिलाधिकारी धर्मेंद्र कुमार ने चुनाव संपन्न होने के बाद लछुआड़ महोत्सव मनाने की बात कही. बता दें कि प्रत्येक वर्ष बिहार सरकार की ओर से विभिन्न ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व रखने वाले उत्सव मनाया जाता है. ताकि इन महत्वपूर्ण स्थानों की पहचान हो सके और स्थलों में पर्यटकों को आकर्षित किया जा सके.

जमुई: क्षत्रियकुंड भगवान महावीर की जन्मभूमि नगरी लक्ष्मण में उनके जन्मोत्सव पर लछुआड़ महोत्सव मनाया जाता है. लेकिन इस बार चुनावी सरगर्मी के बीच कहीं न कहीं यह महोत्सव दबकर रह गया है.

जिला प्रशासन की ओर से भगवान महावीर के जन्मोत्सव की 15 दिन पहले से ही तैयारी की सुगबुगाहट शुरू हो जाती थी. लेकिन इस बार चुनावी सरगर्मी के कारण जिला प्रशासन महोत्सव मनाने के मूड में नहीं है. आदर्श आचार संहिता के बहाने जिला प्रशासन ने लछुआड़ महोत्सव मनाने से मना कर दिया है.

क्षत्रियकुंड भगवान महावीर मंदिर

जिलाधिकारी ने आचार संहिता का दिया हवाला

दूरभाष से जिलाधिकारी ने कहा कि चुनावी व्यस्तता के कारण फिलहाल लछुआड़ महोत्सव नहीं मनाया जाएगा. जिलाधिकारी धर्मेंद्र कुमार ने चुनाव संपन्न होने के बाद लछुआड़ महोत्सव मनाने की बात कही. बता दें कि प्रत्येक वर्ष बिहार सरकार की ओर से विभिन्न ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व रखने वाले उत्सव मनाया जाता है. ताकि इन महत्वपूर्ण स्थानों की पहचान हो सके और स्थलों में पर्यटकों को आकर्षित किया जा सके.

Intro:चुनावी सरगर्मी में दब गया लछुआड महोत्सव

ANC- जमुई के सिकंदरा ब्लॉक स्थित क्षत्रिय कुंड भगवान महावीर की जन्मभूमि नगरी लक्ष्मण में उनके जन्मोत्सव यानि जन्म दिवस पर मनाया जाने लछुआड महोत्सव इस बार चुनावी सरगर्मी के बीच दबकर रह गया ।जिला प्रशासन की ओर से भगवान महावीर के जन्मोत्सव यानि जन्म दिवस पर 15 दिन पूर्व से ही महोत्सव की तैयारी की सुगबुगाहट शुरू हो जाती थी लेकिन इस बार चुनावी सरगर्मी के कारण फिलहाल जिला प्रशासन फिलहाल महोत्सव मनाने के मूड में नहीं है।


Body:चुनावी व्यस्तता के कारण नहीं मनाया जाएगा लछुआड महोत्सव- जिलाधिकारी

VO-जमुई के सिकंदरा ब्लॉक स्थित क्षत्रिय कुंड भगवान महावीर की जन्मभूमि नगरी लक्ष्मण में उनके जन्मोत्सव यानि जन्म दिवस पर मनाया जाने लछुआड महोत्सव इस बार चुनावी सरगर्मी के बीच दबकर रह गया ।जिला प्रशासन की ओर से भगवान महावीर के जन्मोत्सव यानि जन्म दिवस पर 15 दिन पूर्व से ही महोत्सव की तैयारी की सुगबुगाहट शुरू हो जाती थी लेकिन इस बार चुनावी सरगर्मी के कारण फिलहाल जिला प्रशासन फिलहाल महोत्सव मनाने के मूड में नहीं है।

दूरभाष से जिलाधिकारी से हुए बातचीत में उन्होंने कहा कि चुनावी व्यस्तता के कारण फिलहाल लछुआर महोत्सव नहीं मनाया जाएगा ।चुनाव संपन्न होने के बाद लछुआर महोत्सव मनाने की बात जिलाधिकारी धर्मेंद्र कुमार ने कहा ।


Conclusion:' आचार संहिता के कारण नहीं मनाया जाएगा लछुआर महोत्सव'

VO- बता दें कि भगवान महावीर के जन्म उत्सव यानी जयंती दिवस पर 15 दिन पूर्व से ही महोत्सव की तैयारी की सुगबुगाहट शुरू हो जाती थी और एक आकर्षक और भव्य कार्यक्रम का रूप दिया जाता था लेकिन इस बार आदर्श आचार संहिता के बहाने जिला प्रशासन ने लछुआर महोत्सव मनाने से मना कर दिया बताते चलें कि प्रत्येक वर्ष बिहार सरकार की ओर से विभिन्न ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व रखने वाले उत्सव मनाया जाता है ताकि इन महत्वपूर्ण स्थानों की पहचान सके और स्थलों में पर्यटकों को आकर्षित किया जा सके वैशाली महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है जबकि ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से अगर छत्रिय कुंड लछुआर को देखे तो हम हम पाते हैं इसकी प्राचीनता में वैशाली से कई गुना अधिक है वैशाली को लोग 1948 के बाद जानने लगे लेकिन इतिहास को देखें तो पाएंगे कि छत्रिय कुंड 9वीं शताब्दीसे 13वीं शताब्दी में यहां कवि जैन संत के पधारने का जिक्र मिलता है ।इससे स्पष्ट है कि भगवान महावीर की यात्रा वृतांत और जैन आगमों में भगवान महावीर के जन्म स्थल से संबंधित जो भी भौगोलिक संरचना दिखाई पड़ती है वह सब के सब क्षत्रिय कुंड लछुआड में ही समीचीन है ऐसे प्राचीन रखने वाले तीर्थ स्थलों में मनाया जाने वाला महोत्सव आज सरकारी और प्रशासनिक उदासीनता का कारण बन गया है

ईटीवी भारत के लिए जमुई से ब्रजेंद्र नाथ झा
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