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जमुई: सदर अस्पताल में समय पर ऑक्सीजन नहीं मिलने से नवजात की मौत

बच्चे की मौत के बाद पीड़ित के परिजनों ने अस्पताल के डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाया है. परिजनों का कहना है कि यहां हर काम के लिए पैसा देना पड़ता है.

नवजात की मौत के बाद आक्रोशित परिजन
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Published : Jun 3, 2019, 3:28 PM IST

जमुई: सदर अस्पताल में डॉक्टरों की बड़ी लापरवाही सामने आई है. ऑक्सीजन की कमी के कारण नवजात बच्चे की मौत हो गई. इसके बाद पीड़ित परिजनों ने जमकर हंगामा किया. वहीं, अस्पताल प्रशासन मृत बच्चा पैदा होने की बात कह कर पल्ला झाड़ रहा है.

बच्चे की मौत के बाद पीड़ित परिजन ने अस्पताल के डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाया. परिजनों ने कहा कि यहां गरीबों की कोई नहीं सुनता. यहां हर काम के लिए पैसा देना पड़ता है. डयूटी के समय सरकारी डॉक्टर अपने निजी क्लिनिक में मरीज को देखते हैं. सरकारी अस्पताल के नर्स और दलाल की ओर से मरीज को प्राइवेट क्लिनिक में भेजा जाता है.

नवजात की मौत के बाद आक्रोशित परिजन

क्या है पूरा मामला?
गौरतलब है कि चरकापत्थर थाना क्षेत्र के पंजिया के रहने वाले बनारसी यादव अपनी पत्नी गायत्री देवी को प्रसव करवाने सदर अस्पताल लेकर आए थे. प्रसव पीड़ा होने के बाद भी दो दिनों तक कोई डॉक्टर देखने नहीं आए. बीच-बीच में नर्स देखती थी. जब नर्स से डॉक्टर साहब को बुलाने के लिए कहा जाता था तो वह कहती थी जल्दबाजी है, पेट चिराना है, तो प्राइवेट में जाओ. बहुत कहने पर उसने बाहर से दवाई लाने के लिए कहा फिर खुद दो सुई लगाकर 500 से 700 रूपया ले ली. साथ ही अलग से 3000 रूपया जमा करने के लिए कहा. प्रसूता ने जब एक लड़के को जन्म दिया तो उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी. डॉक्टर ने ऑक्सीजन लगाने को कहा लेकिन समय पर नहीं लगने के कारण बच्चे की मौत हो गई.

जमुई: सदर अस्पताल में डॉक्टरों की बड़ी लापरवाही सामने आई है. ऑक्सीजन की कमी के कारण नवजात बच्चे की मौत हो गई. इसके बाद पीड़ित परिजनों ने जमकर हंगामा किया. वहीं, अस्पताल प्रशासन मृत बच्चा पैदा होने की बात कह कर पल्ला झाड़ रहा है.

बच्चे की मौत के बाद पीड़ित परिजन ने अस्पताल के डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाया. परिजनों ने कहा कि यहां गरीबों की कोई नहीं सुनता. यहां हर काम के लिए पैसा देना पड़ता है. डयूटी के समय सरकारी डॉक्टर अपने निजी क्लिनिक में मरीज को देखते हैं. सरकारी अस्पताल के नर्स और दलाल की ओर से मरीज को प्राइवेट क्लिनिक में भेजा जाता है.

नवजात की मौत के बाद आक्रोशित परिजन

क्या है पूरा मामला?
गौरतलब है कि चरकापत्थर थाना क्षेत्र के पंजिया के रहने वाले बनारसी यादव अपनी पत्नी गायत्री देवी को प्रसव करवाने सदर अस्पताल लेकर आए थे. प्रसव पीड़ा होने के बाद भी दो दिनों तक कोई डॉक्टर देखने नहीं आए. बीच-बीच में नर्स देखती थी. जब नर्स से डॉक्टर साहब को बुलाने के लिए कहा जाता था तो वह कहती थी जल्दबाजी है, पेट चिराना है, तो प्राइवेट में जाओ. बहुत कहने पर उसने बाहर से दवाई लाने के लिए कहा फिर खुद दो सुई लगाकर 500 से 700 रूपया ले ली. साथ ही अलग से 3000 रूपया जमा करने के लिए कहा. प्रसूता ने जब एक लड़के को जन्म दिया तो उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी. डॉक्टर ने ऑक्सीजन लगाने को कहा लेकिन समय पर नहीं लगने के कारण बच्चे की मौत हो गई.

Intro:जमुई " जच्चा बच्चा सुरक्षा योजना को मुंह चिढाता जमुई का सबसे बड़ा सरकारी सदर अस्पताल में ऑक्सीजन नहीं मिलने से बच्चे की हुई मौत के बाद पीड़ित परिजन ने कहा गरीब का कोई नहीं सुनता यहां हर काम के लिए देना पड़ता है पैसा डयूटी के समय सरकारी डॉ0 अपने नीजी क्लिनिक में मरीज को देखते है सरकारी अस्पताल के नर्स और दलाल के द्वारा मरीज को प्राइवेट क्लिनिक में भेजा जाता है


Body:जमुई " सरकारी अस्पताल में ऑक्सीजन नहीं मिलने से नवजात की मौत के बाद पीड़ित परिजन ने कहा गरीब की कोई नहीं सुनता यहां "

जमुई के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल जमुई सदर अस्पताल में ऑक्सीजन नहीं मिलने से एक नवजात बच्चे की मौत हो गई

चरकापत्थर थाना क्षेत्र अंतर्गत पंजिया के रहने वाले बनारसी यादव के अनुसार पत्नी गायत्री देवी प्रसव पीड़ित महिला को जमुई सदर अस्पताल में प्रसव पीड़ा होने के बाद भर्ती कराया गया 1जून को दो दिन तक प्रसव पीड़ा झेलती सदर अस्पताल के वार्ड में महिला कराहती रही लेकिन कोई डॉक्टर देखने नहीं आए बीच - बीच में नर्स देखती थी जब नर्स को कहते थे डॉक्टर साहब को बुलाने के लिए तो नर्स कहती थी ( जल्दबाजी है पेट चिराना है तो प्राइवेट में जाओ )

बहुत आरजू मिन्नत करने पर बाहर से दवाई लाने के लिए कहा फिर खूद दो सुई लगाकर 500 से 700 रूपया लिया और अलग से 3000 रूपया जमा करने के लिए कहा

आज सुबह प्रसूता ने एक लड़़के को जन्म दिया लेकिन डॉक्टर नहीं आए नर्स ने नवजात के श्वास लेने में परेशानी बताई लेकिन ऑक्सीजन खोलने वाला वहां कोई न था

तीन माले सदर अस्पताल के तीसरे तल पर प्रसव वार्ड से लेकर नीचे पहले माले के इमरजेंसी तक बच्चे ( नवजात ) को गोद में लिए परिजन धंटों इधर से उधर दौड़ लगाते रहे लेकिन अंतत: नवजात बच्चे को ऑक्सीजन नहीं मिल पाया और बच्चे की मौत हो गई न तो ऑक्सीजन सिलेंडर खुला न ही चाभी मिली और न ही ऑक्सीजन मास्क मिल पाया

पीड़ित परिवार का आरोप है जमुई के सबसे बड़े सरकारी सदर अस्पताल में गरीब को देखने वाला उसका इलाज करनेवाला कोई नहीं डयूटी के समय भी सरकारी डॉक्टर अपने नीजी क्लिनिक में मरीजों का इलाज करते है यही नहीं सरकारी अस्पताल में कार्यरत नर्स , कंपाउंडर , और दलाल के द्वारा हड़काकर मरीज को नीजी नर्सिंग होम में भेजे जाता है और मनमाफिक रकम ऐठा जाता है

इतना सब पर भी लाचारी और बेबसीवश जो मरीज रूक जाते है सरकारी अस्पताल में उससे दवाई , इलाज , और नजराना के रूप में पैसा ऐठा जाता है

डीएम से अपनी परेशानी को लेकर गुहार लगानी चाही नेट से नंबर 9473191404 निकालर फोन किया ----------------------------------------------------------------------------
जमुई मृतक नवजात के पिता बनारसी यादव के अनुसार जब सदर अस्पताल के कर्मचारी से लेकर अस्पताल प्रशासन के अधिकारी तक गुहार लगाते थक गए कोई सुनवाई नहीं हुई तो नेट से जमुई जिलाधिकारी धर्मेंद्र कुमार का मोबाइल नंबर 9473191404 निकाला और दर्जनों बार कॉल किया अपनी परेशानी और परिस्थिति को बताना चाह रहा था लेकिन जिले के सरकार डीएम साहब ने फोन ही नहीं रिसिभ किया

पूरे मामले पर जमुई सिविल सर्जन का बयान ---------------------------------------------------------------------------
जब etv bharat ने पूरे मामले पर जमुई सदर अस्पताल सिविल सर्जन श्याम मोहन दास से पीड़ित परिजन के हरेक आरोप पर जानकारी लेनी चाही तो पहले सिविल सर्जन मामले की लीपापोती करते नजर आए सदर अस्पताल के कर्मियों और डॉक्टर को पाक साफ बताना शुरू किया

लेकिन ऑफ़ द रिकार्ड etv bharat को बताया पूरे बिहार की कमोवेश यही स्थिति है सरकारी अस्पताल की

वाइट ------- नवजात के पिता बनारसी यादव
वाइट -------- सिविल सर्जन जमुई श्याम मोहन दास

राजेश जमुई


Conclusion:जमुई " जच्चा बच्चा सुरक्षा योजना को मुंह चिढाता जमुई का सबसे बड़ा सरकारी सदर अस्पताल में ऑक्सीजन नहीं मिलने से बच्चे की हुई मौत के बाद पीड़ित परिजन ने कहा गरीब का कोई नहीं सुनता यहां हर काम के लिए देना पड़ता है पैसा डयूटी के समय सरकारी डॉ0 अपने नीजी क्लिनिक में मरीज को देखते है सरकारी अस्पताल के नर्स और दलाल के द्वारा मरीज को प्राइवेट क्लिनिक में भेजा जाता है
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