जमुईः बिहार के छोटे से जिले जमुई के रहने वाले जाबिर ने 2015 में जब कराटे खेलना शुरू किया तो इसकी खबर उनके घर वालों को भी नहीं थी. उन्हें अपने बेटे के कराटे मैन होने की खबर तब लगी जब, 2017 में जाबिर ने नेशनल लेवल पर मेडल जीता और खबरें कई मीडिया हाउस में छपी. परिवार वाले उन्हें सरकारी नौकरी में देखना चाहते थे, इसलिए उन्होंने अपने खेल की बात घर वालों से छुपा कर रखी.
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एशियाई खेलों में बिहार के दो युवा का चयनः जाबिर ने कराटे के खेल में अच्छा मुकाम हासिल किया है. अब 28 सितंबर से 8 अक्टूबर 2023 को चीन में होने वाले एशियाई खेलों में ट्रायल टॉप में चार खिलाड़ी को भारतीय कराटे टीम ने संभावित खिलाड़ियों के लिऐ चयनित किया है. जिसमें बिहार के दो युवा का चयन हुआ है. इन दो खिलाड़ियों में जमुई जिले के रहने वाले मोहम्द जाबिर हैं और दूसरी बिहार की ही अनन्या आनंद हैं.
उपेन्द्र कुशवाहा ने किया खिलाड़ियों को सम्मानितः एशियाई खेलों में बिहार के दो लोगों के चयन की जानकारी मिलने के बाद राष्ट्रीय लोक जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने मंगलवार को अपने आवास पर जाबिर अंसारी और अनन्या आनंद को सम्मानित किया. अनन्या के बिहार के बाहर रहने के कारण उनके पिता ने अपनी बेटी का सम्मान ग्रहण किया. उपेन्द्र कुशवाहा ने अंग वस्त्र और गुलदस्ता देकर दोनों को सम्मानित किया और उन्हें शुभकामनाए दीं.
"बिहार में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, जाबिर अंसारी और अनन्या आनंद ने इसे फिर साबित किया है. जाबिर और अनन्या का चयन एशियाई खेलों के लिए आयोजित राष्ट्रीय कैम्प के लिए हुआ है, ये बड़ी बात है. हम इनके उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं. दोनों एथलीट एशियाई खेलों की टीम में जगह बना कर देश और बिहार का नाम रोशन करेंगे"- उपेन्द्र कुशवाहा, राष्ट्रीय अध्यक्ष, आरएलजेडी
कई पदक और पुरस्कारों से हुए सम्मानित: वहीं, कराटे मैन जाबिर अंसारी ने बताया कि उसने कभी सोचा भी नहीं था कि कराटे के खिलाड़ी बनेंगे. वो संयोगवश खेल के क्षेत्र में आ गए. सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे थे परिवार वाले भी ऐसा ही चाहते थे, इसलिए दो साल तक अपने खेल की बात परिवार वालों से छुपाकर रखी. जाबिर ने 2015 में अपना पहला मैच खेला, उसमें सिल्वर मेडल जीता था फिर आगे अपने खेल में मेहनत करने लगे. जाबिर राज्य स्तर से लेकर राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने प्रदर्शन के आधार पर कई पदक और पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं.
"यह दुसरा मौका मिल रहा है पहले भी 2018 के एशियाई खेल के प्रशिक्षण शिविर में सलेक्ट हुऐ थे पर भारतीय टीम में जगह नहीं बना पाए थे.अब पूरी उम्मीद है कि इस बार भारतीय टीम का हिस्सा बनकर देश के लिए पदक लाऐंगे. जिंदगी में कई उतार चढ़ाव आए लेकिन अब सब कुछ ठीक है. अब पूरा ध्यान खेल पर ही लगा रहे हैं. एशियाई खेलों में खेलना मेरे लिए गर्व की बात है"- जाबिर अंसारी, कराटे खिलाड़ी
घर वालों से छुपा कर करते थे प्रैक्टिसः अंसारी जमुई के झाझा प्रखंड के तुम्बा पहाड़ गांव के एक माध्यम परिवार से आते हैं. मां हाउस वाइफ हैं और पिता सरकारी स्कूल के शिक्षक है. चार भाई और एक बहन में जाबिर सबसे बड़े हैं. जाबिर को बचपन से ही सिनेमा देखने का काफी शौक था. फिल्मों में देखकर ही उनकी रुचि कराटे की तरफ बढ़ी और वो घर वालें से छुप-छुपकर कराटे सीखने लगे. हालांकि वो सरकारी नौकरी में जाना चाहता थे और कंपीटिशन की तैयारी भी करते थे. जाबिर ने पटना यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया है.