जमुई: औषधीय पौधे की खेती को बढ़ावा देने के लिए जमुई के एक किसान को भारत सरकार कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से मंगलवार को नेशनल अवॉर्ड देकर सम्मानित किया गया. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जमुई जिले के लक्ष्मीपुर प्रखंड अंतर्गत सुदूर पंचायत के चिनवेरिया गांव निवासी 81 साल के बुजुर्ग किसान अर्जुन मंडल को सम्मानित किया. पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय भारत सरकार पादप जीनोम संरक्षण कृषक सम्मान-2021-22 से अर्जुन मंडल को नवाजा गया है.
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जमुई के किसान को राष्ट्रपति ने किया सम्मानित: बताया जाता है कि चिनवेरिया गांव निवासी किसान अर्जुन मंडल बहुचर्चित किसान हैं, जिन्होंने अपने गांव में दुर्लभ औषधियों के सैकड़ों पौधे लगाकर पूरे देश में नया कीर्तिमान स्थापित करने का अवसर पाया है. किसान अर्जुन मंडल ने अपनी 81 वर्ष के उम्र में कड़ी मेहनत और लगन की बदौलत एक ऐसा गार्डन तैयार किया है जहां विलुप्त हुए दुर्लभ पौधों का खजाना है. बीते पांच दशक से भी अधिक समय से विलुप्त औषधीय पौधों के 200 से अधिक प्रजाति को अपने गार्डन में लगाकर पूरे देश में बिहार के किसान ने परचम लहराया है.
औषधीय पौधों की खेती का करते हैं संरक्षण: किसान अर्जुन मंडल ने कई विलुप्त हो रहे औषधीय पौधों को ना केवल धरातल पर लाए, बल्कि विलुप्त हो रहे औषधीय पौधे को घरों में लगाने के लिए लोगों को प्रेरित भी करते है. इस कारण यह बुजुर्ग किसान सिर्फ बिहार ही नहीं बल्कि पूरे देश में अपनी पहचान बना चुके हैं. हालांकि विलुप्त हो रहे औषधीय पौधे को बचाने के लिए अर्जुन मंडल पहले भी कई बार सम्मानित हो चुके हैं.
मिल चुके हैं कई सम्मान: जमुई के किसान अर्जुन मंडल को 2013 में गुजरात सरकार के मुख्यमंत्री द्वारा किसान सम्मान, बिहार सरकार द्वारा 2006 में किसान श्री का सम्मान व 2009 में राष्ट्रपति उद्यान के डायरेक्टर द्वारा भी सम्मानित किया गया था. वहीं नेशनल अवार्ड से सम्मान प्राप्त करना यह पूरे जिले के लिए गौरव की बात है.
जिलेवासियों में खुशी की लहर: किसान अर्जुन मंडल के नेशनल अवार्ड से सम्मानित होने के बाद जिलेवासियों में खुशी की लहर है. वहीं किसान अर्जुन मंडल ने बताया कि उन्होंने 1969 में होम्योपैथी डिप्लोमा किया और तब से लोगों का इलाज करना शुरू किया है. उन्होंने बताया कि होम्योपैथी दवा कैसे बनती है और किन-किन पौधों का उपयोग किया जाता है, इसी को लेकर मुझे लगा कि क्यों न इसको हम आपने घर के गार्डन में ही लगा कर लोगों को प्राकृतिक जड़ी बूटी से ही इलाज करें.
"मैंने लोगों को भी औषधीय पौधों को लगाने के लिए प्रेरित किया. मेरे गार्डन में 200 से अधिक प्रकार के औषधीय पौधों को तैयार करते हैं, जिसमें मालकांगनी, गरुड़तरु, लक्ष्मीतरु, नील, दमबेल, बाकस, गोरखमुंडी उल्टाकमल, चारुपुत्रक, कुचला, दर्दमेडा, अपरस, दहीपलाश, ईश्वर फुल, गुलमार जैसे 200 प्रकार के दुर्लभ प्रजाति के औषधीय पौधे हैं."- अर्जुन मंडल, किसान