जमुई : बिहार के जमुई में झाझा स्टेशन पर रेलवे सुरक्षा बल ने फर्जी तरीके से आरक्षण टिकट बनाने का बड़ा खुलासा (Big action of RPF in Jamui) किया है. फर्जीवाड़ा कोई और नहीं बल्कि रेलवे कर्मचारी ही कर रहा था. शुक्रवार को खुलासा करते हुए दानापुर रेल डिवजन के जमुई स्टेशन पर सीनियर डीएसपी ने रैकेट को पकड़ा है. मिली सूचना के आधार पर सीनियर डीएससी ने इस फर्जीवाड़ा रैकेट का खुलासा करने के लिये दानापुर के आरपीएफ की एक टीम गठित की गई. जिसमें सब इंस्पेक्टर शुभम कुमार, हेडकांस्टेबल अजीत कुमार, प्रवीण कुमार, अंजनी गुप्ता एवं झाझा आरपीएफ के एसआई मुसाफिर राम, सिपाही मनोज कुमार को नियुक्त किया गया.
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अधिक कीमत लेकर देता था कन्फर्म टिकट: टीम की अगुवाई कर रहे आरपीएफ एसआई जमुई रेलवे स्टेशन पहुंचकर आरक्षण काउंटर की लाइन में तत्काल टिकट कराने के लिए कतार में लगे, तभी एक बिचैलिया आरक्षण कांउटर पर आकर लाइन में लगे एसआई से जल्द तत्काल आरक्षण टिकट बनवा देने की बात कही और आरक्षण काउंटर के अंदर ले गया. जिसके बाद वहा डयूटी पर कार्यरत आरक्षण पर्यवेक्षक से तत्काल आरक्षण टिकट बनाने को कहा. जिसपर टिकट के मूल्य से अधिक राशि लेकर आरक्षण टिकट कन्फर्म करने में आरक्षण पर्यवेक्षक जुट गये. तभी उसे गठित टीम द्वारा आरक्षण पर्यवेक्षक को हिरासत में लिया गया. गिरफ्तार आरक्षण पर्यवेक्षक को टीम ने आरपीएफ पोस्ट झाझा में लाकर कड़ाई से पूछताछ की जिसमें उन्होने फर्जी तरीके से तत्काल आरक्षण टिकट बनाने में अपनी संलिप्ता स्वीकारी.
'पकड़े गये टिकट पर्यवेक्षक की पहचान सतीश कुमार के रूप में हुई है. जो टिकट के मूल्य राशि से अधिक राशि लेकर आरक्षण टिकट तत्काल में बनाता था. वहीं इस रैकेट में एक और रेलकर्मी ईसीआरसी दीपक कुमार भी शामिल है, जो अभी बख्यितापुर में कार्यरत है. पकड़े गये टिकट पर्यवेक्षक के पास दो अवैध आरक्षण टिकट भी बरामद हुआ है'- हीरा प्रसाद सिंह, आरपीएफ एसी
टिकट के फर्जीवाड़े का खेल उजागर: पकड़े गये आरक्षण पर्यवेक्षक बीते दस साल से जमुई रेलवे स्टेशन पर ही कार्यरत है. इस दौरान उनकी एक बार दूसरे स्टेशन पर 2 साल के लिये स्थानंतरण भी हुआ था, लेकिन फिर वह जमुई में अपना स्थानतंरण करवा लिया था. जमुई में ही अपना आवास रखे हुये है. इधर गठित टीम के द्वारा बैंक खाता सहित बरामद मोबाइल को खंगालने में जुटी हुई है. बताया जाता है कि आरक्षण पर्यवेक्षक के द्वारा एक आरक्षण टिकट बनवाने में टिकट की मूल्य लागत से 1-2 हजार अधिक राशि यात्रियों से लिया जाता था. वहीं आरपीएफ की गठित टीम के अनुसार लगभग लाखों का गबन का मामला सामने आ रहा है. इसपर कार्रवाई की जा रही है.