जमुई: जिले का सदर अस्पताल राम भरोसे चल रहा है. यहां की व्यवस्था खराब है वहीं यहां पर मरीजों से इलाज के लिए पैसे भी लिये जाते हैं. इस पर अस्पताल के डीएस सैयद नौशाद अहमद से पूछने पर उन्होंने सिस्टम की ही कुंडली खोलकर रख दी. उनका कहना है कि सरकारी अस्पताल में तो ऐसा ही होता है. हालांकि उन्होंने पैसे वाली बात को गलत बताया.
अस्पताल की व्यवस्था हो चुकी है बीमार
जिले के सबसे बड़े अस्पताल में स्थिति बहुत ही खराब है. यहां गर्भवती महिलाओं के लिए पर्याप्त कुर्सियां नही हैं. महिलाओं को अपना नंबर आने तक घंटों जमीन पर बैठना पड़ता है. वहीं जब इस मामले में ईटीवी भारत ने अस्पताल डीएस से बात की. सदर अस्पताल के डीएस सैयद नौशाद अहमद ने कहा कि कुर्सियां तो लगाई गई हैं, लेकिन जितनी भीड़ लगती है सभी को देना संभव नहीं है. लेकिन जितनी भी कुर्सियां हैं उसपर मरीज के गार्जियन और बच्चे कब्जा करके बैठ जातें हैं, और मरीज को जमीन पर बैठा देतें हैं तो हम क्या करें.
सिस्टम ही खराब है तो क्या करें- सैयद नौशाद अहमद
बता दें कि सरकारी कर्मियों की कमी के कारण यहां पर निजी अस्पताल के डॉक्टरों को रखा जाता है. लोगों का कहना है कि यहां मरीजों से पैसे भी लिये जाते हैं. इसपर अस्पताल डीएस ने अपना पल्ला झाड़ते हुए सिस्टम को गलत बताया.
बेतुका बयान
उन्होंने यह भी कहा कि सरकारी कर्मचारियों में डॉक्टरों की कमी है. अगर प्राइवेट अस्पताल के डॉक्टर काम करेंगे तो क्या बिना पैसे के काम करेंगे. डीएस के अनुसार सरकारी अस्पतालों का हाल किसी से छुपा नहीं है. उन्होंने ठोस कदम उठाने के बजाय बात को टाल दिया. उनका कहना है कि यदि करप्शन हटाना है तो मीडियाकर्मियों को भी इस पुनीत कार्य में सहयोग करना पड़ेगा अस्पताल प्रशासन का तभी सुधार संभव है.