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जमुई: अस्पताल की लचरता पर DS का बेतुका बयान- प्राइवेट डॉक्टर क्या बिना पैसे के काम करेंगे - jamui latest news

यहां गर्भवती महिलाओं के लिए पर्याप्त कुर्सियां नहीं हैं. महिलाओं को अपना नंबर आने तक घंटों जमीन पर बैठना पड़ता है. सरकारी कर्मियों की कमी के कारण यहां पर निजी अस्पताल के डॉक्टरों को रखा जाता है.

सदर अस्पताल की व्यवस्था खराब
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Published : Aug 19, 2019, 11:51 PM IST

जमुई: जिले का सदर अस्पताल राम भरोसे चल रहा है. यहां की व्यवस्था खराब है वहीं यहां पर मरीजों से इलाज के लिए पैसे भी लिये जाते हैं. इस पर अस्पताल के डीएस सैयद नौशाद अहमद से पूछने पर उन्होंने सिस्टम की ही कुंडली खोलकर रख दी. उनका कहना है कि सरकारी अस्पताल में तो ऐसा ही होता है. हालांकि उन्होंने पैसे वाली बात को गलत बताया.

अस्पताल की व्यवस्था हो चुकी है बीमार

जिले के सबसे बड़े अस्पताल में स्थिति बहुत ही खराब है. यहां गर्भवती महिलाओं के लिए पर्याप्त कुर्सियां नही हैं. महिलाओं को अपना नंबर आने तक घंटों जमीन पर बैठना पड़ता है. वहीं जब इस मामले में ईटीवी भारत ने अस्पताल डीएस से बात की. सदर अस्पताल के डीएस सैयद नौशाद अहमद ने कहा कि कुर्सियां तो लगाई गई हैं, लेकिन जितनी भीड़ लगती है सभी को देना संभव नहीं है. लेकिन जितनी भी कुर्सियां हैं उसपर मरीज के गार्जियन और बच्चे कब्जा करके बैठ जातें हैं, और मरीज को जमीन पर बैठा देतें हैं तो हम क्या करें.

सदर अस्पताल की व्यवस्था खराब

सिस्टम ही खराब है तो क्या करें- सैयद नौशाद अहमद
बता दें कि सरकारी कर्मियों की कमी के कारण यहां पर निजी अस्पताल के डॉक्टरों को रखा जाता है. लोगों का कहना है कि यहां मरीजों से पैसे भी लिये जाते हैं. इसपर अस्पताल डीएस ने अपना पल्ला झाड़ते हुए सिस्टम को गलत बताया.

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जमीन पर बैठने के लिए महिलाएं मजबूर

बेतुका बयान
उन्होंने यह भी कहा कि सरकारी कर्मचारियों में डॉक्टरों की कमी है. अगर प्राइवेट अस्पताल के डॉक्टर काम करेंगे तो क्या बिना पैसे के काम करेंगे. डीएस के अनुसार सरकारी अस्पतालों का हाल किसी से छुपा नहीं है. उन्होंने ठोस कदम उठाने के बजाय बात को टाल दिया. उनका कहना है कि यदि करप्शन हटाना है तो मीडियाकर्मियों को भी इस पुनीत कार्य में सहयोग करना पड़ेगा अस्पताल प्रशासन का तभी सुधार संभव है.

जमुई: जिले का सदर अस्पताल राम भरोसे चल रहा है. यहां की व्यवस्था खराब है वहीं यहां पर मरीजों से इलाज के लिए पैसे भी लिये जाते हैं. इस पर अस्पताल के डीएस सैयद नौशाद अहमद से पूछने पर उन्होंने सिस्टम की ही कुंडली खोलकर रख दी. उनका कहना है कि सरकारी अस्पताल में तो ऐसा ही होता है. हालांकि उन्होंने पैसे वाली बात को गलत बताया.

अस्पताल की व्यवस्था हो चुकी है बीमार

जिले के सबसे बड़े अस्पताल में स्थिति बहुत ही खराब है. यहां गर्भवती महिलाओं के लिए पर्याप्त कुर्सियां नही हैं. महिलाओं को अपना नंबर आने तक घंटों जमीन पर बैठना पड़ता है. वहीं जब इस मामले में ईटीवी भारत ने अस्पताल डीएस से बात की. सदर अस्पताल के डीएस सैयद नौशाद अहमद ने कहा कि कुर्सियां तो लगाई गई हैं, लेकिन जितनी भीड़ लगती है सभी को देना संभव नहीं है. लेकिन जितनी भी कुर्सियां हैं उसपर मरीज के गार्जियन और बच्चे कब्जा करके बैठ जातें हैं, और मरीज को जमीन पर बैठा देतें हैं तो हम क्या करें.

सदर अस्पताल की व्यवस्था खराब

सिस्टम ही खराब है तो क्या करें- सैयद नौशाद अहमद
बता दें कि सरकारी कर्मियों की कमी के कारण यहां पर निजी अस्पताल के डॉक्टरों को रखा जाता है. लोगों का कहना है कि यहां मरीजों से पैसे भी लिये जाते हैं. इसपर अस्पताल डीएस ने अपना पल्ला झाड़ते हुए सिस्टम को गलत बताया.

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जमीन पर बैठने के लिए महिलाएं मजबूर

बेतुका बयान
उन्होंने यह भी कहा कि सरकारी कर्मचारियों में डॉक्टरों की कमी है. अगर प्राइवेट अस्पताल के डॉक्टर काम करेंगे तो क्या बिना पैसे के काम करेंगे. डीएस के अनुसार सरकारी अस्पतालों का हाल किसी से छुपा नहीं है. उन्होंने ठोस कदम उठाने के बजाय बात को टाल दिया. उनका कहना है कि यदि करप्शन हटाना है तो मीडियाकर्मियों को भी इस पुनीत कार्य में सहयोग करना पड़ेगा अस्पताल प्रशासन का तभी सुधार संभव है.

Intro:जमुई जिले सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल कुव्यवस्था अनियमितता का शिकार जहां एक तरफ सरकारी कर्मियों की कमी वही दुसरी तरफ प्राइवेट कर्मियों के सहारे चलाया जा रहा है काम ऐसे में इलाज के लिए आए मरीजों को नजराना देना पड़ता है
इस संबंध में जब सदर अस्पताल के डीएस सैयद नौशाद अहमद से etv bharat ने बात की तो ऑन द रिकॉर्ड कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं हुए लेकिन ऑफ़ द रिकॉर्ड सिस्टम की कुंड़ली खोलकर रख दी
डीएस के अनुसार सरकारी अस्पताल और स्वास्थ्य विभाग की हालत किसी से छुपी नहीं मीडिया तो अच्छी तरह से जानता है


Body:जमुई " जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में डॉक्टर से जांच करवाने के पहले गर्भवती महिलाओं ( प्रसूता ) सहित अन्य मरीजों को धंटों फर्श पर लाइनों में बैठकर इंतजार करना पड़ता है " एक्सक्लुसिव खबर

जमुई सदर अस्पताल में चहुंओर कुव्यवस्था और अनियमितता फैली हुई है सुविधा नगण्य आप भी देखकर दंग रह जाऐंगे महिला डॉक्टर के चैंबर के सामने चाहे वह प्रसूता महिला हो या आम महिला मरीज सभी को डॉक्टर साहिबा के आने के पहले धंटों से जमीन पर जी हां सदर अस्पताल के फर्श पर बैठकर इंतजार करना पड़ता है etv bharat के कैमरे में रिकॉर्ड होने के बाद

जब etv bharat ने सदर अस्पताल के डीएस सैयद नौशाद अहमद से सवाल किया तो डीएस साहब का बेतूका जबाब सुनकर आप भी दंग रह जाऐंगे पूरे मामले पर डीएस का कहना था कुर्सियां तो लगाई है लेकिन जितना भीड़ लगता है सभी को देना संभव नहीं लेकिन जितनी भी कुर्सियां है उसे अस्पताल आए मरीज के गार्जियन और बच्चे कब्जा करके बैठ जाते है और मरीज को जमीन पर बैठा देते है तो हम क्या करें

और भी मीज से संबंधित और अस्पताल की व्यवस्था से संबंधित कई सवालों जैसे मरीज से पैसे लिए जाते है सरकारी कर्मियों की कमी प्राइवेट कर्मियों को हायर करते है यही लोग मरीज से काम के बदले पैसा मांगते है दलितों के द्वारा सदर अस्पताल से मरीज को प्राइवेट क्लिनिक ले जाया जाता है पैसों के लिए आदि सवालों पर डीएस ने कहा पहले कैमरा बंद करिए

और ऑफ द रिकार्ड स्वास्थ्य विभाग की पोल खोलकर रख दी डीएस के अनुसार स्वास्थ्य विभाग सरकारी अस्पतालों का हाल किसी से छुपा नहीं न ही आप मीडियाकर्मियों से छुपा है सरकारी कर्मचारियों की डॉक्टरों की कमी है अगर प्राइवेट को लगाऐंगे तो क्या बिना पैसे के काम करेंगे ये लोग

आपके सवाल लाजमी है लेकिन अगर करप्शन हटाना है तै मीडियाकर्मियों को भी इस पुनीत कार्य में सहयोग करना पड़ेगा अस्पताल प्रशासन का तभी सुधार संभव है

वाइट ---- जमुई सदर अस्पताल डीएस सैयद नौशाद अहमद

राजेश जमुई




Conclusion:जमुई जिले सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल कुव्यवस्था अनियमितता का शिकार जहां एक तरफ सरकारी कर्मियों की कमी वही दुसरी तरफ प्राइवेट कर्मियों के सहारे चलाया जा रहा है काम ऐसे में इलाज के लिए आए मरीजों को नजराना देना पड़ता है
इस संबंध में जब सदर अस्पताल के डीएस सैयद नौशाद अहमद से etv bharat ने बात की तो ऑन द रिकॉर्ड कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं हुए लेकिन ऑफ़ द रिकॉर्ड सिस्टम की कुंड़ली खोलकर रख दी
डीएस के अनुसार सरकारी अस्पताल और स्वास्थ्य विभाग की हालत किसी से छुपी नहीं मीडिया तो अच्छी तरह से जानता है
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