गोपालगंज: अयोध्या में होने वाले भगवान राम और मां जानकी की मूर्ति निर्माण के लिए पड़ोसी राष्ट्र नेपाल की काली गंडकी नदी से दो शालिग्राम शिलाएं भारत के पिपरौन व फुलहर बार्डर होते हुए आई हैं. जहां से भी ये शिलाएं गुजर रही हैं लोग दर्शन मात्र के लिए बेसब्री से इंतजार करते देखे जा रहे हैं. मधुबनी में भी ऐसा ही नजारा देखने को मिला था. केरवा से प्रखंड की सीमा में प्रवेश करते ही सड़क के दोनों ओर श्रद्धालुओं का सैलाब शिलाओं की एक झलक पाने व स्पर्श करने को बेताब दिखा. वहीं देवशिला शालिग्राम पत्थर के दर्शन करने के लिए गोपालगंज में भी सुबह 6 बजे से श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है.
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देवशिला यात्रा पहुंचेगी गोपालगंज: शालिग्राम शिलाएं विभिन्न जिलों से गुजरते हुए गोपालगंज के रास्ते अयोध्या जाने वाली है. इस दौरान शिला के आने की सूचना पाकर स्थानीय महिला और भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष मिथलेश तिवारी द्वारा भव्य स्वागत की तैयारी की गई है. शालिग्राम पर पुष्प से वर्षा लिए बुल्डोजर की भी व्यवस्था की गई है ताकि पुष्प की वर्षा की जा सके.
रामलला की मूर्ति निर्माण के लिए आ रही हैं शिलाएं: वहीं महिला सड़कों के किनारे हाथों में जल और दूध लेकर सुबह 6 बजे से ही शालिग्राम का इंतजार करती हुई नजर आईं. दोनों शिलाओं के 15 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर पूजन के पश्चात 26 जनवरी को ट्रक में लोड किया गया था. 28 जनवरी को नेपाल के पोखरा क्षेत्र से इन शिलाओं को भेजा गया था जो अब गोपालगंज पहुंचने वाली हैं.
"6 बजे से आए हैं. भगवान के दर्शन करने के लिए आए हैं. हम सौभाग्यशाली हैं."-स्थानीय
"6 बजे से इंतजार कर रहे हैं. राम सीता की मूर्ति बनने के लिए पत्थर आ रहे हैं. उसे देखने के लिए हम इंतजार कर रहे हैं."- ममता देवी, स्थानीय
"देवशिला का हम पूजन करेंगे और पुष्पवर्षा करेंगे. हमें सौभाग्य मिला है कि हम शिलाओं के दर्शन करेंगे. सुबह पांच बजे से लोग पूजन सामग्री के साथ पहुंची हुई हैं."-मिथलेश तिवारी, भाजपा उपाध्यक्ष
2 फरवरी को पहुंचेगा अयोध्या: ये दो शिलाग्राम दो टुकड़ों में हैं. इन दोनों शिलाखंडों का कुल वजन 127 क्विंटल है. एक्सपर्टस का मानना है कि महीनों की खोज के बाद शालिग्राम पत्थर के इतने बड़े टुकड़े मिल पाए हैं. ये शालिग्राम 2 फरवरी को अयोध्या पहुंचेंगे. नेपाल से अयोध्या आने में 4 दिन का समय लगेगा. शालिग्राम के साथ काफिल रोज करीब 125 किलोमीटर का सफर तय कर रहा है.
दिसंबर में नेपाल सरकार ने दी थी मंजूरी: मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पूर्व नेपाली उप प्रधानमंत्री ने इन पवित्र शिलाओं को अयोध्या भेजे जाने के बारे में बताया है कि 'मैं जानकी मंदिर के महंत और मेरे सहयोगी राम तपेश्वर दास के साथ अयोध्या गया था. हमारी ट्रस्ट के अधिकारियों और अयोध्या के अन्य संतों के साथ बैठक हुई थी. यह फैसला लिया गया कि नेपाल की काली गंडकी नदी में पत्थर उपलब्ध होने पर उसी से रामलला की मूर्ति बनाना अच्छा रहेगा'. नेपाल सरकार ने पिछले महीने ही इन शिलाओ को अयोध्या भेजने की मंजूरी दी थी. अब इन्हें अयोध्या ले जाया जा रहा है.