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सिधवलिया स्टेशन पर शौचालय नहीं होने से खुले में शौच करने को विवश हैं यात्री

सिधवलिया रेलवे स्टेशन पर आने जाने वाली ट्रेनों की संख्या कम होने के कारण अक्सर यहां कम यात्री ही दिखाई देते है. वहीं, स्टेशन कार्यालयों में ताला लगा रहता है. यहां यात्रियों की सुविधा के लिए उचित प्रबंध नहीं किया गया है.

गोपालगंज
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Published : Jan 30, 2020, 8:34 AM IST

गोपालगंजः सरकार की तमाम घोषणाओं के बावजूद कई रेलवे स्टेशनों की सूरत में कोई बदलाव नहीं देखने को मिल रहा है. कुछ ऐसा ही हाल है शहर के सिधवलिया रेलवे स्टेशन का. यहां पर यात्रियों की मूलभूत सुविधाओं के लिए किसी भी प्रकार का कोई इंतजाम नहीं किया गया है. इससे यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

यात्री खुले में शौच करने को मजबूर
सिधवलिया रेलवे स्टेशन पर आने-जाने वाली ट्रेनों की संख्या कम होने के कारण अक्सर यहां कम यात्री ही दिखाई देते हैं. वहीं, स्टेशन कार्यालयों में ताला लगा रहता है. यहां यात्रियों की सुविधा के लिए उचित प्रबंध नहीं किये गये हैं. कई साल पहले बने शौचालय में गंदगी का अंबार लगा हुआ है. जहां शौच करना यात्रियों के लिए परेशानी का सबब है. यात्री खुले में शौच करने को मजबूर हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

बदहाली की आंसू रहा स्टेशन
एक यात्री ने कहा कि यहां ट्रेनों की संख्या काफी कम है. इसके साथ ही यहां लाइट की व्यवस्था नहीं होने के कारण रात के समय अंधेरा रहता है. उन्होंने कहा कि 24 घंटे रेल टिकट के लिए खिड़की खुले रहने का बोर्ड लगाया गया है. लेकिन ये खिड़कियां कब खुलती हैं शायद किसी को मालूम नहीं है. अपनी बदहाली की आंसू बहाने को विवश इस स्टेशन पर आज तक किसी अधिकारी ने ध्यान नहीं दिया.

गोपालगंजः सरकार की तमाम घोषणाओं के बावजूद कई रेलवे स्टेशनों की सूरत में कोई बदलाव नहीं देखने को मिल रहा है. कुछ ऐसा ही हाल है शहर के सिधवलिया रेलवे स्टेशन का. यहां पर यात्रियों की मूलभूत सुविधाओं के लिए किसी भी प्रकार का कोई इंतजाम नहीं किया गया है. इससे यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

यात्री खुले में शौच करने को मजबूर
सिधवलिया रेलवे स्टेशन पर आने-जाने वाली ट्रेनों की संख्या कम होने के कारण अक्सर यहां कम यात्री ही दिखाई देते हैं. वहीं, स्टेशन कार्यालयों में ताला लगा रहता है. यहां यात्रियों की सुविधा के लिए उचित प्रबंध नहीं किये गये हैं. कई साल पहले बने शौचालय में गंदगी का अंबार लगा हुआ है. जहां शौच करना यात्रियों के लिए परेशानी का सबब है. यात्री खुले में शौच करने को मजबूर हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

बदहाली की आंसू रहा स्टेशन
एक यात्री ने कहा कि यहां ट्रेनों की संख्या काफी कम है. इसके साथ ही यहां लाइट की व्यवस्था नहीं होने के कारण रात के समय अंधेरा रहता है. उन्होंने कहा कि 24 घंटे रेल टिकट के लिए खिड़की खुले रहने का बोर्ड लगाया गया है. लेकिन ये खिड़कियां कब खुलती हैं शायद किसी को मालूम नहीं है. अपनी बदहाली की आंसू बहाने को विवश इस स्टेशन पर आज तक किसी अधिकारी ने ध्यान नहीं दिया.

Intro:मूलभूत सुविधाओ के कमी का दंश झेल रहा सिधवलिया रेलवे स्टेशन
--शौचालय के अभाव में खुले में शौच करने को बाध्य रेल यात्री

गोपालगंज। सरकार के तमाम घोषणाओं के बावजूद कई रेलवे स्टेशनों की सूरत में कोई बदलाव नही देखने को मिल रही है। ऐसे में सिधवलिया रेलवे स्टेशन कैसे अछूता रहता। इस रेलवे स्टेशन पर यात्रियों के लिए कई सुविधाएं नदारद है वही यात्रीयो के लिए इस स्टेशन पर नाही शौचालय की व्यवस्था ही और नाही बिजली की रात के अंधेरे में यात्री सफर करने को विवश है।





Body:रेलवे स्टेशन की बदहाली की दासता जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम जब रेलवे स्टेशन सिधवलिया पहुंची। तब वहां की स्थिति देख दंग रह गई। दरसल इस रेलवे स्टेशन पर सन्नाटा ही सन्नाटा पसरा रहा कुछ यात्री दिखाई तो दिए। लेकिन सरकारी बाबुओं के कार्यालय में ताले लगे रहे। चाहे वो पैनल रूम हो या स्टेशन प्रबंधक का कार्यालय। वही स्टेशन पर रेल यात्रियों के लिए कही भी शौचालय की व्यवस्था नही की गई वर्षो पुर्व बने शौचालय गंदगी से बजबजा गए है। जहां शौच करना यात्रियों के लिए परेशानी का सबब है। मजबूरन ये रेल यात्री खुले में शौच करते है। जिससे देश के प्रधानमंत्री का सपना पूरा होते नही दिख रहा है। एक ओर जहां केंद्र से लेकर राज्य सरकार घर घर शौचालय निर्माण कराकर खुले में शौच मुक्त देश बनाने की कल्पना किये हुए है वही इस रेलवे स्टेशन पर शौचालय ना होना सरकार के लोहिया स्वच्छता मिशन को आइना दिखाता हुआ नजर आता है।
इतना ही नही इस स्टेशन पर रात होते ही अंधेरा छा जाता है। कारण यहां बिजली की पर्याप्त व्यस्था होते हुए भी लाइट नही जलती है।
इस रेल खंड पर ट्रेनों की भी भारी कमी है। सिर्फ एक ट्रेन ही आवागमन करती है। जिससे रेल यात्री समय देख कर स्टेशन पहुँचते है। अपनी बदहाली की आंसू बहाने को विवश इस स्टेशन पर आज तक नाही कोई अधिकारी ध्यान दिए और नही कोई जन प्रतिनधि।वही 24 घंटे रेल टिकट के लिए खिड़की कुले रहने का।बोर्ड लगाया गया है लेकिन ये खिड़किया कब खुलती है शायद किसी को मालूम नही है। अब ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां सरकार की राजस्व की कितना क्षति होती होगी।
बाइट-मुस्लिम मिया, यात्री





Conclusion:स्टेशन की बदहाल को सुदृढ़ करने के लिए भले ही नेताओ द्वारा वादा किया गया हो लेकिन उनके द्वारा किये गए वादे धरातल पर नही दिखते।
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