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गोपालगंज: खेतों में डूब गये किसानों के अरमान, लगातार हो रही बारिश से फसलें बर्बाद

लगातार हो रही बारिश से किसानों को नुकसान हो रहा है. खेतों में लबालब पानी भर गया है. फसलें डूब गई है. धान की खेती को लेकर अब किसानों को चिंता सताने लगी है.

लगातार हो रही बारिश से फसलें बर्बाद
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Published : Jul 17, 2019, 8:04 AM IST

गोपालगंज: पिछले कुछ दिनों से जिले हो रही लगातार बारिश ने लोगों को गर्मी से राहत तो दे दी है. लेकिन इससे किसानों को काफी नुकसान हुआ है. खेतों में जलजमाव हो जाने के कारण सैकड़ों एकड़ में लगे धान के पौधे डूब गए. ऐसे में धान की खेती को लेकर अब किसानों को चिंता सताने लगी है.

बारिश ने बढ़ाई किसानों की चिंता
बीते जून महीने में जिले के किसान सूखे की मार झेल रहे थे. उस वक्त धान की खेती के लिए किसानों ने बिचड़ा गिराया था. जब हल्की बारिश शुरू हुई तब धान की रोपनी भी की गई. लेकिन जुलाई महीने में लगातार हो रही बारिश ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया है. पूरा खेत पानी से लबालब भरा है.

लगातार हो रही बारिश से किसान चिंतित

खेतों में हुआ जलजमाव
खेतों में जलजमाव होने के कारण सारी फसलें पानी में डूब गई है. धान के बिचड़े पानी में डूब जाने से पौधे गलने लगे हैं. अब यह समस्या आ गई है कि धान की खेती कैसे होगी. जबकि किसानों ने कर्ज लेकर खेतों में बिचड़ा गिराया था. गांव के आसपास और चवर के खेतों से पानी की निकासी का मार्ग बंद है. अब किसानों को धान की खेती की चिंता सताने लगी है.

पानी में डूब गई फसलें
किसानों ने बताया कि धान का बिचड़ा पानी में डूब जाने से पूरी तरह बर्बाद हो गया है. पानी जब तक सूखेगा तब तक धान की खेती का समय निकल जाएगा. ऐसी बारिश पिछले कई वर्षों में नहीं हुई थी. बारिश के कारण मक्के की खेती भी प्रभावित हो गई है. खटिया, विजयपुर, माझा, पंचदेवरी, बैकुंठपुर समेत कई प्रखंड के इलाके में खेत जलमग्न हो गए हैं. खेतों में दो से तीन फीट पानी अभी भी बरकरार है. पानी भर जाने से धान के आलावा खेतों में लगी सब्जियां भी बर्बाद हो रही हैं.

गोपालगंज: पिछले कुछ दिनों से जिले हो रही लगातार बारिश ने लोगों को गर्मी से राहत तो दे दी है. लेकिन इससे किसानों को काफी नुकसान हुआ है. खेतों में जलजमाव हो जाने के कारण सैकड़ों एकड़ में लगे धान के पौधे डूब गए. ऐसे में धान की खेती को लेकर अब किसानों को चिंता सताने लगी है.

बारिश ने बढ़ाई किसानों की चिंता
बीते जून महीने में जिले के किसान सूखे की मार झेल रहे थे. उस वक्त धान की खेती के लिए किसानों ने बिचड़ा गिराया था. जब हल्की बारिश शुरू हुई तब धान की रोपनी भी की गई. लेकिन जुलाई महीने में लगातार हो रही बारिश ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया है. पूरा खेत पानी से लबालब भरा है.

लगातार हो रही बारिश से किसान चिंतित

खेतों में हुआ जलजमाव
खेतों में जलजमाव होने के कारण सारी फसलें पानी में डूब गई है. धान के बिचड़े पानी में डूब जाने से पौधे गलने लगे हैं. अब यह समस्या आ गई है कि धान की खेती कैसे होगी. जबकि किसानों ने कर्ज लेकर खेतों में बिचड़ा गिराया था. गांव के आसपास और चवर के खेतों से पानी की निकासी का मार्ग बंद है. अब किसानों को धान की खेती की चिंता सताने लगी है.

पानी में डूब गई फसलें
किसानों ने बताया कि धान का बिचड़ा पानी में डूब जाने से पूरी तरह बर्बाद हो गया है. पानी जब तक सूखेगा तब तक धान की खेती का समय निकल जाएगा. ऐसी बारिश पिछले कई वर्षों में नहीं हुई थी. बारिश के कारण मक्के की खेती भी प्रभावित हो गई है. खटिया, विजयपुर, माझा, पंचदेवरी, बैकुंठपुर समेत कई प्रखंड के इलाके में खेत जलमग्न हो गए हैं. खेतों में दो से तीन फीट पानी अभी भी बरकरार है. पानी भर जाने से धान के आलावा खेतों में लगी सब्जियां भी बर्बाद हो रही हैं.

Intro:पिछले चार दिनों से जिले हुई लगातार बारिश ने किसानों को राहत के साथ साथ हानि भी पहुंचाई है। किसानों के खेतों में जलजमाव हो जाने के कारण सैकड़ो एकड़ में लगे धान के पौधे डूब कर बर्बाद हो गए जिससे किसानो की चिंता सताने लगी है।


Body:बीते जून महीने में जिले के किसान सूखा की मार झेल रहे थे उसी समय ही धान की खेती के लिए किसान बिचड़ा गिराए है। तो कहीं पर धान के रोपनी भी की है। जुलाई महीने में लगातार बारिश ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया। बारिश होते ही उनकी धान के फसल पानी में डूब गई। किसान धान की रोपनी व बिचड़ा कर्ज लेकर गिरा खेतों में डाले थे। बारिश के पानी में उनकी फसल पिछले एक सप्ताह से डूबी हुई है। धान के बिचड़े पानी में डूब जाने से पौधे गलने लगे हैं। अब यह समस्या आ गई है कि धान की खेती कैसे होगी । खेत परतीं रह जाएंगे और धान का बिचड़ा भी नहीं गिरा सकते। गांव के आसपास व चवर के खेतों से पानी की निकासी का मार्ग बंद है। किसानों को धान की खेती की चिंता सताने लगी है। इस बार उत्पादन छमता ओर भी असर पड़ने लाजमी है। किसानों ने बताया कि धान की रोपनी और बिचड़ा पानी में डूबने से बर्बाद हो गए और पानी जब तक सूखेगा तब तक धान की खेती का समय निकल जाएगा। ऐसी बारिश पिछले कई वर्षों में नहीं हुई थी वहीं मक्के की खेती भी प्रभावित हो गई है बारिश होने के कारण खटिया विजयपुर माझा पंचदेवरी बैकुंठपुर समेत कई प्रखंड के इलाके खेत जलमग्न हो गए हैं। खेतों में दो से तीन फीट पानी अभी भी बरकरार है। पानी भर जाने का धान के आलावे सब्जी की फसल के बर्बाद होने की आशंका दिखने लगी है। इससे किसानों की चिंता की लकीरें साफ तौर पर देखी जा सकती है


Conclusion:na
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