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गोपालगंज के नवीन पेश कर रहे हैं मानवता की अनूठी मिसाल, हर तरफ होती है इनकी चर्चा

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Published : Sep 18, 2019, 12:09 PM IST

Updated : Sep 21, 2019, 8:07 AM IST

गोपालगंज के नवीन श्रीवास्तव ऐसे शख्स हैं जो 2001 से लेकर अब तक 206 लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं. वे शिक्षा और सामाजिक जगत में भी अपनी पहचान स्थापित कर चुके हैं.

परिवार संग नवीन श्रीवास्तव

गोपालगंज: जिले के सदर प्रखंड के मानिकपुर गांव निवासी स्व. शम्भू प्रसाद श्रीवास्तव के बेटे नवीन श्रीवास्तव अपनी सोच और सामाजिक सरोकार के कामों की वजह से लोगों में एक प्रेरणा स्रोत बने हैं.

naveen srivastav of gopalganj doing social work
नवीन की संस्था शताक्षी सेवा संस्थान

206 लावारिस शवों का किया अंतिम संस्कार
नवीन एक ऐसे शख्स हैं जो 2001 से लेकर अब तक 206 लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करा चुके हैं. वे शिक्षा और सामाजिक जगत में भी अपनी पहचान स्थापित कर चुके हैं. वे सिविल सर्विसेज की तैयारी भी कराते हैं. अपने संस्थान में वैसे बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देते हैं जो पढ़ना चाहता है, लेकिन आर्थिक स्थिति से कमजोर है. कई प्रखंडों में नौंवी से बारहवीं तक के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देते हैं. यहां तक कि विभिन्न पंचायतों में हेल्प डेस्क के जरिए लोगों की समस्यों का समाधान करने की कोशिश करते हैं.

naveen srivastav of gopalganj doing social work
बच्चों को पढ़ाते नवीन

छात्रों के लिए भगवान है नवीन
नवीन श्रीवास्तव के छात्र उन्हें भगवान मानते हैं. छात्रों का कहना है कि पारिवारिक हालात अच्छी नहीं रहने के कारण वे कई बार पढ़ाई पूरी नहीं कर सके. नवीन सर जिस तरह पढ़ाते हैं उससे उनमें आत्मविश्वास का संचार होता है. वे किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं और जिंदगी में कोई मुकाम हासिल कर सकते हैं.

naveen srivastav of gopalganj doing social work
सुशीला श्रीवास्तव, नवीन की मां

मां का मिलता है आशीर्वाद
बेटे की इस पहल पर मां सुशीला भी उनकी हौसला अफजाई करते नहीं थकतीं. वे कहतीं हैं कि नवीन को वो हमेशा ही आशीर्वाद देती हैं. अपने बेटे की सोच से उन्हें काफी खुशी मिलती है.

पेश है एक रिपोर्ट

भाई की मौत से आया बदलाव
अपनी पहल पर नवीन कहते हैं कि सिविल सर्विसेज की तैयारी के दौरान अपने मौसेरे भाई को खोने की वजह से उन्हें काफी गहरा धक्का लगा. गंगा में डूबने से उसकी मौत हुई और बहुत ढूंढ़ने पर भी शव नहीं मिल सका. उसकी तलाश में ही कई लावारिस शव मिलते रहे. एक दिन एक नाविक के सवाल पर उनके दिल में यह विचार जागा कि कितने ही लावारिस शव होते हैं जिन्हें अंतिम संस्कार तक नसीब नहीं हो पाता. तबसे नवीन ने कई शवों का विधि-विधान से अंतिम संस्कार किया है. इसके अलावा अक्षम बच्चों को भी वे निशुल्क शिक्षा देते आ रहे हैं, ताकि कोई भी अशिक्षित न रहे.

गोपालगंज: जिले के सदर प्रखंड के मानिकपुर गांव निवासी स्व. शम्भू प्रसाद श्रीवास्तव के बेटे नवीन श्रीवास्तव अपनी सोच और सामाजिक सरोकार के कामों की वजह से लोगों में एक प्रेरणा स्रोत बने हैं.

naveen srivastav of gopalganj doing social work
नवीन की संस्था शताक्षी सेवा संस्थान

206 लावारिस शवों का किया अंतिम संस्कार
नवीन एक ऐसे शख्स हैं जो 2001 से लेकर अब तक 206 लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करा चुके हैं. वे शिक्षा और सामाजिक जगत में भी अपनी पहचान स्थापित कर चुके हैं. वे सिविल सर्विसेज की तैयारी भी कराते हैं. अपने संस्थान में वैसे बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देते हैं जो पढ़ना चाहता है, लेकिन आर्थिक स्थिति से कमजोर है. कई प्रखंडों में नौंवी से बारहवीं तक के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देते हैं. यहां तक कि विभिन्न पंचायतों में हेल्प डेस्क के जरिए लोगों की समस्यों का समाधान करने की कोशिश करते हैं.

naveen srivastav of gopalganj doing social work
बच्चों को पढ़ाते नवीन

छात्रों के लिए भगवान है नवीन
नवीन श्रीवास्तव के छात्र उन्हें भगवान मानते हैं. छात्रों का कहना है कि पारिवारिक हालात अच्छी नहीं रहने के कारण वे कई बार पढ़ाई पूरी नहीं कर सके. नवीन सर जिस तरह पढ़ाते हैं उससे उनमें आत्मविश्वास का संचार होता है. वे किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं और जिंदगी में कोई मुकाम हासिल कर सकते हैं.

naveen srivastav of gopalganj doing social work
सुशीला श्रीवास्तव, नवीन की मां

मां का मिलता है आशीर्वाद
बेटे की इस पहल पर मां सुशीला भी उनकी हौसला अफजाई करते नहीं थकतीं. वे कहतीं हैं कि नवीन को वो हमेशा ही आशीर्वाद देती हैं. अपने बेटे की सोच से उन्हें काफी खुशी मिलती है.

पेश है एक रिपोर्ट

भाई की मौत से आया बदलाव
अपनी पहल पर नवीन कहते हैं कि सिविल सर्विसेज की तैयारी के दौरान अपने मौसेरे भाई को खोने की वजह से उन्हें काफी गहरा धक्का लगा. गंगा में डूबने से उसकी मौत हुई और बहुत ढूंढ़ने पर भी शव नहीं मिल सका. उसकी तलाश में ही कई लावारिस शव मिलते रहे. एक दिन एक नाविक के सवाल पर उनके दिल में यह विचार जागा कि कितने ही लावारिस शव होते हैं जिन्हें अंतिम संस्कार तक नसीब नहीं हो पाता. तबसे नवीन ने कई शवों का विधि-विधान से अंतिम संस्कार किया है. इसके अलावा अक्षम बच्चों को भी वे निशुल्क शिक्षा देते आ रहे हैं, ताकि कोई भी अशिक्षित न रहे.

Intro:कहते है सच्ची सोच मेहनत और लगन से काम करने वालो की कभी हार नही होती। और कठिन से कठिन काम आसान हो जाता है और कुछ इसी सच्ची सोच लगन और मेनहत के बदौलत जिले के एक ऐसा शख्स जो आज किसी पहचान के मोहताज नही है। लोग उनके नामो से नही बल्कि कामो से जानते है।।हम बात कर रहे है बिहार के गोपालगंज जिले के सदर प्रखंड स्थित मानिकपुर गांव निवासी स्व शम्भू प्रसाद श्रीवास्तव के पुत्र नवीन श्रीवास्तव की जिनकी सोच व कार्य के कारण समाज मे एक प्रेरणा का स्रोत बने हुए है।


Body:नवीन जिले के एक ऐसे शख्स है जो 2001 से लेकर अब तक 206 लावारिस लाशों के अंतिम संस्कार कर चुके है साथ ही ये शिक्षा व सामाजिकता जगत में भी अपनी पहचान स्थापित किया है। नवीन सिविल सर्विसेज की तैयारी कराते है ये अपने संस्थान में वैसे बच्चो को निःशुल्क तैयारी कराते है जो पढ़ना चाहता हो और वे आर्थिक स्थिति से कमजोर हो। साथ ही ये कई प्रखंडों में निःशुल्क नौंवी से बारहवीं तक कि शिक्षा देते है। विभिन्न पंचायतो में हेल्प डेस्क द्वारा लोगो की समस्या इक्कठा कर के समस्या का समाधान करने की कोशिश करते है। इस संदर्भ में नवीन श्रीवास्तव से जब बात की तो उन्होंने बताया कि बात 1999 की है जब मैं इलाहाबा के तेलियरगंज शिवकुटी में किराए के मकान में रह कर सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहा था। मेरे साथ देवरिया जिला निवासी केशव प्रसाद के पुत्र रितेश मेरा मौसेरा भाई था। जो मेरे साथ ही रहकर सिविल सर्विसेज की तैयारी करता था। रितेश से मुझे काफी लगाव था। साथ पढ़ना साथ खाना सोना कभी एक दुसरे से अलग नही हुए। इसी बीच 14 जनवरी 2001 को गंगा स्नान करने गए लेकिन वे दुबारा नही आया। जब मुझे जानकारी मिली की वह गंगा में डूब गया। तब मेरे पैरों तले के जमीन खिसक गई। और तुरंत मैंने मौके पर पहुंचा जहां उसकी शव की खोजबीन हो रही थी। काफी प्रयास के बाद भी शव नही मिला। मैं रोज गंगा किनारे जाता और अपने भाई को खोजता, लेकिन शव नही मिला। नाव के द्वारा गंगा में बह रहे शव को पलट पलट के देखता ताकि अपने भाई की पहचान हो सके लेकिन नही हुई यही सिलसिला लगातार चलता रहा। और एक दिन नाव पर बैठकर जब शव खोजने गया तब वहां एक शव को देख कर मैं छोड़ दिया जो मेरा भाई का नही था। तभी मेरे साथ मौजूद नाविक ने कहा कि अगर ये आपका भाई होता तो, बस यही बात मुझे घर कर गई और मेरे दिमाग मे अचानक एक बात उतपन्न हुई कि ये भी किसी के भाई का लाश होगा। और इसी सोच को लेकर मैने लावारिस लाशों को खोजने के दौरान बोरे में बंद शव मिलता तो कोई क्षत-विक्षत,किसी को मछलियां खा चुकी होती, जानवर द्वारा नोचा हुआ, किसी का सिर नहीं होता ऐसे शव को मैं घाट पर ले जाता। स्टूडेंट लाइफ होने के कारण पैसे के अभाव में पूर्व में किसी अन्य के दाह संस्कार के दौरान बचे लकड़ियों को इक्कठा कर के शव का संस्कार करता था। ये सब देखकर कई लोग मुझसे दूरी बना लिए। लोग मुझसे तरह तरह के व्यवहार करने लगे। परिवार और समाज के लोगों को जानकारी मिली कि मैं लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार करता हूं तो इसे स्वीकार न कर सके। परिवार के लोग कहते कि उनका काम क्यों करते हो अनजान लाश को क्यों छूते हो लेकिन मेरी माँ मेरे साथ थी। उसने मुझे हौसला दिया और मैं आगे बढ़ता रहा। इस दौरान घर में एक के बाद एक कई हादसे हुए सब ने मान लिया कि मेरी वजह से यह सब हो रहा है। मेरा जुनून कभी नहीं छूटा बहुत से लोग शादी विवाह में नहीं बुलाते लेकिन धीरे-धीरे मेरे प्रति व्यवहार बदल रहा है। लोग अब यह समझने लगे हैं कि मैं जो भी कर रहा हूं वह गलत नहीं है। लावारिस शव की विधि-विधान से जो जिस धर्म का है, उसी के अनुसार संस्कार करते हैं। जिसका मुखग्नि भी खुद देते थे। इसके बाद हमारी मिट्टी जन्मभूमि मुझे अपनी ओर खींचने लगी और मैं अपने गांव वर्ष 2005 लौट आया। यहां आकर भी मैंने सदर अस्पताल में आये लावारिश शव का भी संस्कार करने लगा। इसके बाद सिविल सर्विसेज की क्लास शुरू की और बच्चो को पढ़ाने लगा । इनके कोचिंग में 45 %वैसे बच्चे पढ़ते है जो आर्थिक स्थिति से कमजोर है। इन्होंने अपने गाँव में किसी को निरक्षर नही रहने देना चाहते है। इनकी सोच है कि सभी लोग कम से कम मैट्रिक तक कि पढ़ाई जरूर पूरी करे इसके लिए इन्होंने अभियान भी शुरू कर दिया है। इनके कार्य को लेकर कई बार इन्हें पुरस्कार भी मिल चुका है।

बाइट- सुशीला श्रीवास्तव, नवीन की माँ(कुर्सी पर बैठी हुई)
बाइट-कमल कुमार आसमानी, सर्ट में छात्र
बाइट-अनुप्रिया छात्रा,



Conclusion:na
Last Updated : Sep 21, 2019, 8:07 AM IST
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