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गोपालगंज: एक ही कमरे में पढ़ने को मजबूर है 3 क्लास के छात्र

सरकार शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों में संसाधन बढ़ा रही है. वहीं गोपालगंज के पुरानी चौक स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय में सुविधाओं की घोर कमी है. जिससे यहां एक ही कमरे में तीन कक्षाएं संचालित करनी पड़ती है.

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Published : Nov 27, 2019, 1:44 PM IST

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एक ही कमरे में पढ़ने को मजबूर तीन कक्षा के छात्र

गोपालगंज: जिले के पुरानी चौक स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय की हालत बेहद खस्ता है. यहां एक ही रूम में 3 कक्षाएं संचालित होती हैं. इससे छात्र-छात्राओं को काफी परेशानी होती है.

3 कक्षाओं की पढ़ाई एक साथ
विद्यालय में सिर्फ दो ही कमरे हैं. यहां कुल 111 बच्चे और तीन शिक्षिकाएं है. स्कूल में एक से पांचवीं कक्षा तक की पढ़ाई होती है. जहां एक कमरे में आंगनबाड़ी केंद्र संचालित होता है. वहीं दूसरे कमरे में 3 कक्षाओं की पढ़ाई एक साथ होती है. लिहाजा इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे और पढ़ाने वाले शिक्षक सभी कंफ्यूज रहते हैं.

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एक ही कमरे में पढ़ते तीन कक्षा के छात्र

25 साल से ऐसे ही बनी हुई है समस्या
25 साल से स्कूल की यह समस्या ऐसे ही बनी हुई है. इसके बावजूद प्रशासन इस ओर से कोई पहल नहीं कर रहा. दोनों सरकारें शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों में संसाधन बढ़ा रही है. इसके लिए हर साल करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं. लेकिन सरकारी पहल अभी तक यहां नहीं पहुंच पाई है.

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बरामदे में पढ़ते बच्चे

विभाग की तरफ से नहीं की गई कोई पहल
स्कूल की प्रिंसिपल राजवंती कुमारी ने बताया कि कई बार अधिकारियों को इसके बारे में बताया गया. लेकिन, किसी ने आज तक कोई पहल नहीं की. यहां पढ़ने वाली छात्रा रूबी कुमारी ने बताया कि उनलोगों को ऐसे पढ़ने में काफी दिक्कत होती है. जिला शिक्षा पदाधिकारी संघमित्रा वर्मा ने कहा कि स्कूल को दूसरी जगह शिफ्ट किया जाएगा. साथ ही बीईओ द्वारा इसकी जांच कराई जाएगी.

एक ही कमरे में पढ़ने को मजबूर तीन कक्षा के छात्र

गोपालगंज: जिले के पुरानी चौक स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय की हालत बेहद खस्ता है. यहां एक ही रूम में 3 कक्षाएं संचालित होती हैं. इससे छात्र-छात्राओं को काफी परेशानी होती है.

3 कक्षाओं की पढ़ाई एक साथ
विद्यालय में सिर्फ दो ही कमरे हैं. यहां कुल 111 बच्चे और तीन शिक्षिकाएं है. स्कूल में एक से पांचवीं कक्षा तक की पढ़ाई होती है. जहां एक कमरे में आंगनबाड़ी केंद्र संचालित होता है. वहीं दूसरे कमरे में 3 कक्षाओं की पढ़ाई एक साथ होती है. लिहाजा इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे और पढ़ाने वाले शिक्षक सभी कंफ्यूज रहते हैं.

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एक ही कमरे में पढ़ते तीन कक्षा के छात्र

25 साल से ऐसे ही बनी हुई है समस्या
25 साल से स्कूल की यह समस्या ऐसे ही बनी हुई है. इसके बावजूद प्रशासन इस ओर से कोई पहल नहीं कर रहा. दोनों सरकारें शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों में संसाधन बढ़ा रही है. इसके लिए हर साल करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं. लेकिन सरकारी पहल अभी तक यहां नहीं पहुंच पाई है.

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बरामदे में पढ़ते बच्चे

विभाग की तरफ से नहीं की गई कोई पहल
स्कूल की प्रिंसिपल राजवंती कुमारी ने बताया कि कई बार अधिकारियों को इसके बारे में बताया गया. लेकिन, किसी ने आज तक कोई पहल नहीं की. यहां पढ़ने वाली छात्रा रूबी कुमारी ने बताया कि उनलोगों को ऐसे पढ़ने में काफी दिक्कत होती है. जिला शिक्षा पदाधिकारी संघमित्रा वर्मा ने कहा कि स्कूल को दूसरी जगह शिफ्ट किया जाएगा. साथ ही बीईओ द्वारा इसकी जांच कराई जाएगी.

एक ही कमरे में पढ़ने को मजबूर तीन कक्षा के छात्र
Intro:शहर में एक ऐसा स्कूल वर्षो से आज भी संचालित हो रहा है जिसमे मूलभूत सुविधाओं का घोर आभाव है। यहां पढ़ने वाले बच्चे हमेशा भ्रम में रहते हैं। क्योंकि यहां एक ही रूम में 3 वर्ग संचालित होते हैं। एक ही ब्लैक बोर्ड पर 3 शिक्षक एक ही समय में अलग-अलग कक्षा के बच्चों को पढ़ाते हैं। ऐसे में स्कूल के बच्चे कभी एक शिक्षक तो कभी दूसरी शिक्षक द्वारा समझाए जा रहे सवाल को देखते ही रह जाते हैं। यह हालात है गोपालगंज शहर के बीचों बीच पुरानी चौक स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय की जहाँ एक दो वर्षों से नहीं बल्कि 25 वर्षों से भी अधिक समय से यह समस्या बनी हुई है। बावजूद शासन प्रशासन की नजरें इस ओर नहीं जाती








Body:इस राजकीय प्राथमिक विद्यालय में सिर्फ दो कमरे है एक कमरे में आंगनबाड़ी केंद्र संचालित होता है। जबकि दूसरे कमरे में 3 क्लास की एक साथ पढ़ाई होती है। लिहाजा इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे और पढ़ाने वाले शिक्षक सभी कंफ्यूज रहते हैं।
इस विद्यालय में कुल 111 बच्चे नामांकित है जिसमे तीन शिक्षिकाए तैनात है। यहां एक से पाँचवीं कक्षा तक कि पढ़ाई कराई जाती है। ईटीवी भारत के संवाददाता स्कूल पहुँचे तो कई तरह के चौकाने दृश्य देखने को मिले
जहां इस विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र मौजूद थे और 2 शिक्षिकाएं एक ही ब्लैक बोर्ड पर तीसरी और पांचवी की बच्चों को हिंदी और गणित की शिक्षा दे रही थी। वही स्कूल के बाहर बरामदे में प्राचार्या बच्चो को पढा रही थी। ऐसे में आप समझ चूके होंगे कि सरकार के शिक्षा व्यवस्था की क्या हालात है। एक ही कमरे में संचालित होने वाले विद्यालय को किसी विद्यालय में विलय भी नहीं किया गया और ना ही पुनर्वासीत किया गया। एक ओर सरकार शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों में संसाधन बढ़ा रही है। संसाधन बढ़ाने के लिए हर साल करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। लेकिन स्कूलों में संसाधन बढ़ाने की सरकार की पहल अभी तक शहर के गोपालगंज में नहीं पहुंची। यहां के बच्चो की ख्वाहिश है कि उन्हें भी अलग अलग क्लास रूम मुहैया कराई जाए। लेकिन उनकी ये ख्वाहिश पूरी होती हुई नजर नही आती। यहां तीन-तीन शिक्षकों को एक साथ पढ़ाने से बच्चे ना तो समझ पाते हैं और ना ही ब्लैक बोर्ड पर क्या लिखा है यह उनको नजर आती है। इस प्राथमिक विद्यालय में संसाधन की भारी कमी है। यहां पढ़ाई के नाम पर बस कोरम पूरा हो रहा है ऐसी स्थिति में यहां पढ़ने वाले बच्चों के साथ शिक्षक व शिक्षिकाएं भी परेशान है। लेकिन इसके बाद भी इस विद्यालय की तरफ शिक्षा विभाग ध्यान नहीं दे रहा।
विद्यालय के प्राचार्या राजवंती कुमारी ने बताया कि इस स्कूल में मात्र दो ही कमरे हैं और एक आंगनबाड़ी है। यह समस्या 25 वर्षो से बना हुआ है। कई बार अधिकारियों को इसके बारे में अवगत कराया गया लेकिन किसी ने आज तक पहल नही की। वही छात्रा रूबी कुमारी ने बताया कि हम लोगो को एक साथ तीन क्लास के छात्रों की पढ़ाई होती है। मैडम के पढ़ाई समझ मे नही आती है। वही पूरे मामले को लेकर जब जिला शिक्षा पदाधिकारी संघमित्रा वर्मा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि बीईओ द्वारा इसकी जांच कराई जाएगी। साथ ही ऐसे विद्यालय को दूसरे विद्यालय में शिफ्ट किया जाएगा।







Conclusion:na
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