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मूलभूत सुविधाओं से महरूम हैं गोपालगंज के फायर ब्रिगेड के कर्मी, देखिए परिस्थिति - no arrangements for toilets

कर्मियों ने बताया कि पानी लोड करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. 16 किलो मीटर दूर जाकर पानी भरते है. ऐसे में घटनास्थल पर पहुंचे में देरी हो जाती है. तब तक सब कुछ जल चुका होता है. जब मौके पर पहुंचते है तो लोगों के कोपभाजन का शिकार होना पड़ता है.

मूलभूत सुविधाओं से महरूम फायर ब्रिगेड के कर्मी
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Published : Aug 27, 2019, 2:32 PM IST

गोपालगंज: खुद जान की परवाह किए बगैर लोगों की जिंदगी बचाने वाले और आग पर काबू पाने वाले फायर ब्रिगेड कर्मियों की स्थिति बदहाल है. इनकी बदहाली देख कोई भी आश्चर्यचकित हो जाएगा. यह कर्मी दिन और रात की परवाह किये बगैर एक फोन पर आग बुझाने पहुंच जाते हैं. दूसरों की मदद करने वाले फायर ब्रिगेड के कर्मी आज भी मूलभूत सुविधाओं से महरूम हैं.

फायरब्रिगेड के कर्मी अपनी बदहाली की गाथा गाकर सिर्फ ड्यूटी करने को बाध्य हैं. वर्षो पूर्व जिला मुख्यालय के हजियापुर में बने फायर स्टेशन को आजतक अपनी जमीन आवंटित नहीं की गई. जिस कारण यह स्टेशन बिस्कोमान भवन में किराए पर चल रहा है. प्रतिमाह किराए के रूप में 5890 रुपये खर्च किये जाते हैं.

पेश है रिपोर्ट

कर्मियों का है घोर अभाव
बिस्कोमान भवन में संचालित फायरब्रिगेड में कर्मियों का भी घोर अभाव है. अगर कहीं आग लग जाए तो फिर एक सिपाही और एक ड्राइवर को ही जाना पड़ता है. कभी कभी सिर्फ ड्राइवर ही आग बुझाने चला जाता है. वर्तमान में जिला मुख्यालय पर 9 विभागीय कर्मी और 4 पर्यटक चालक है. जबकि प्रत्येक गाड़ी पर एक ड्राइवर, एक हवलदार और सिपाही होने चाहिए.

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पानी लोड करने के लिए 16 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है.

पानी लोड करने में होती है परेशानी
अग्निशमन की गाड़ियों में पानी लोड करने में काफी परेशानी होती है. इस स्टेशन पानी लोड करने के लिए बोरिंग की व्यवस्था नहीं है. इस कारण ये या तो शहर के मिंज स्टेडियम या फिर 16 किलोमीटर दूर कुचायकोट पानी भरने जाते हैं. कर्मियों का कहना है कि यह समस्या काफी दिनों से है. बावजूद इसके किसी अधिकारियों ने इसकी सुध नहीं ली.

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बिस्कोमान भवन में किराए पर चल रहा फायर स्टेशन

शौचालय की भी व्यवस्था नहीं
उन्होंने बताया कि यहां रहने के लिए भवन नहीं है. शौचालय भी नहीं है. मजबूरन खुले में शौच जाना पड़ता है. बरसात के दिनों में छत से पानी टपकता है. रहने में काफी परेशानी है. कर्मियों ने बताया कि यहां पानी लोड करने के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं है. 16 किलो मीटर दूर जाकर पानी भरते है. ऐसे में घटनास्थल पर पहुंचे में देरी हो जाती है. तब तक सब कुछ जल चुका होता है. जब मौके पर पहुंचते है तो लोगों के कोपभाजन का शिकार होना पड़ता है.

गोपालगंज: खुद जान की परवाह किए बगैर लोगों की जिंदगी बचाने वाले और आग पर काबू पाने वाले फायर ब्रिगेड कर्मियों की स्थिति बदहाल है. इनकी बदहाली देख कोई भी आश्चर्यचकित हो जाएगा. यह कर्मी दिन और रात की परवाह किये बगैर एक फोन पर आग बुझाने पहुंच जाते हैं. दूसरों की मदद करने वाले फायर ब्रिगेड के कर्मी आज भी मूलभूत सुविधाओं से महरूम हैं.

फायरब्रिगेड के कर्मी अपनी बदहाली की गाथा गाकर सिर्फ ड्यूटी करने को बाध्य हैं. वर्षो पूर्व जिला मुख्यालय के हजियापुर में बने फायर स्टेशन को आजतक अपनी जमीन आवंटित नहीं की गई. जिस कारण यह स्टेशन बिस्कोमान भवन में किराए पर चल रहा है. प्रतिमाह किराए के रूप में 5890 रुपये खर्च किये जाते हैं.

पेश है रिपोर्ट

कर्मियों का है घोर अभाव
बिस्कोमान भवन में संचालित फायरब्रिगेड में कर्मियों का भी घोर अभाव है. अगर कहीं आग लग जाए तो फिर एक सिपाही और एक ड्राइवर को ही जाना पड़ता है. कभी कभी सिर्फ ड्राइवर ही आग बुझाने चला जाता है. वर्तमान में जिला मुख्यालय पर 9 विभागीय कर्मी और 4 पर्यटक चालक है. जबकि प्रत्येक गाड़ी पर एक ड्राइवर, एक हवलदार और सिपाही होने चाहिए.

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पानी लोड करने के लिए 16 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है.

पानी लोड करने में होती है परेशानी
अग्निशमन की गाड़ियों में पानी लोड करने में काफी परेशानी होती है. इस स्टेशन पानी लोड करने के लिए बोरिंग की व्यवस्था नहीं है. इस कारण ये या तो शहर के मिंज स्टेडियम या फिर 16 किलोमीटर दूर कुचायकोट पानी भरने जाते हैं. कर्मियों का कहना है कि यह समस्या काफी दिनों से है. बावजूद इसके किसी अधिकारियों ने इसकी सुध नहीं ली.

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बिस्कोमान भवन में किराए पर चल रहा फायर स्टेशन

शौचालय की भी व्यवस्था नहीं
उन्होंने बताया कि यहां रहने के लिए भवन नहीं है. शौचालय भी नहीं है. मजबूरन खुले में शौच जाना पड़ता है. बरसात के दिनों में छत से पानी टपकता है. रहने में काफी परेशानी है. कर्मियों ने बताया कि यहां पानी लोड करने के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं है. 16 किलो मीटर दूर जाकर पानी भरते है. ऐसे में घटनास्थल पर पहुंचे में देरी हो जाती है. तब तक सब कुछ जल चुका होता है. जब मौके पर पहुंचते है तो लोगों के कोपभाजन का शिकार होना पड़ता है.

Intro:खुद जान की परवाह किए बिना लोगों की जिंदगी बचाने वाले व आग पर काबू पाने वाले फायर ब्रिगेड कर्मियों की बदहाल जिंदगी देख कोई भी आश्चर्यचकित हो जाएगा यह कर्मी ना दिन की परवाह न रात की फिक्र किए बगैर एक फोन पर आग बुझाने पहुंच जाते हैं। लेकिन इन कर्मियों के लिए मूलभूत सुविधा आज तक नसीब नहीं हो पा रही है।






Body:फायरविग्रेड के कर्मी अपनी बदहाली की गाथा गा कर सिर्फ ड्यूटी करने को बाध्य होते हैं। वर्षो पूर्व जिला मुख्यालय के हजियापुर में बना फायर स्टेशन का अपना जमीन आज तक नहीं हो सका जिसके कारण यह स्टेशन विस्कोमान भवन में किराए पर चल रहे हैं । प्रतिमाह किराए के रूप में 5890 रुपये किराए के तौर पर खर्च होते है।

कर्मियों का है घोर अभाव

विस्कोमान भवन में संचालित हो रहे फायरविग्रेड में कर्मियों का भी घोर अभाव है। अगर कही आग लग जाये तो फिर एक सिपाही व एक ड्राइवर को ही जाना पड़ता है। कभी कभी सिर्फ ड्राइवर ही आग बुझाने चल जाता है। वर्तमान में जिला मुख्यालय पर 9 विभागीय कर्मी व 4 पर्यटक चालक है। जबकि प्रत्येक गाड़ी पर
1.ड्राइवर,1.हवलदार, 4. सिपाही होनी चाहिए

पानी लोड करने में होती है मुश्किल

अग्निशमन की गाड़ियों में पानी लोड करने में काफी समस्याए होती है क्योंकि इस स्टेशन पर खुद का पानी लोड करने के लिए बोरिग ही नही है। जिसके कारण ये या तो शहर के मिंज स्टेडियम या 16 किलोमीटर दूर कुचायकोट पानी भरने जाते है।

क्या कहते है कर्मी

फायरविग्रेड के बदहाल स्थिति को देख जब कर्मियों से बात की गई तो उन्होंने कहा कि, ये समस्याएं बहुत पहले से ही बनी हुई है। किसी तरह जीवन गुजारने को बाध्य होते है। यहां रहने के लिए नाही कोई सही भवन है और नाही शौच जाने के लिए शौचालय।मजबूरन खुले में शौच जाना पड़ता है। भवन में बरसात के दिनों में पानी टपकता है। साथ ही साँप बिछु भी निकलते है, कर्मियों ने बताया कि यहां पानी लोड करने के लिए कोई व्यवस्था नही है जिसके कारण हम लोग या तो मिंज स्टेडियम से पानी भरते है या उसमे पानी नही रहने के कारण यहां से 16 किलो मीटर दूर जाकर पानी भरते है और फिर आग बुझाया जाता है। तब तक सब कुछ जल चुका होता है। वही जब मौके पर पहुंचते है तो लोगो के कोपभाजन का शिकार होना पड़ता है।


बाइट-कर्मी
बाइट-अनिल तिवारी(अग्निशमन पदाधिकारी)






Conclusion:na
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