गोपालगंजः एक तरफ सरकार खेती में लागत कम और मुनाफा ज्यादा होने को लेकर किसानों को कई तरह के प्रशिक्षण देने की बात करती है. इसके लिए कई योजना चला रही है. लेकिन दूसरी तरफ खेती के लिए मिट्टी जांचने को लेकर गम्भीर नहीं है. किसानों को मिट्टी जांच का लाभ समय पर नहीं मिल पा रहा है. इस वजह से खेतों में पैदावार अच्छी नहीं हो रही है.
प्रयोगशाला में स्टाफ की है कमी
दरअसल, पूरे जिले में मिट्टी जांचने की मात्र एक ही प्रयोगशाला सिर्फ जिला मुख्यालय स्थित कृषि विभाग में है. उसमें भी कर्मियों की घोर कमी है. जिससे किसानों को मिट्टी जांच का लाभ समय पर नहीं मिल पाता है. आलम यह है कि समय पर मिट्टी की जांच नहीं होने के कारण किसान बिना जांचे ही अपने खेतों में फसलों की बुवाई कर देते है. क्योंकि जब तक मिट्टी जांच की रिपोर्ट किसानों को मिलेगी तब तक किसानों बीज अंकुरित हो जाएंगे.
1 दिन में 20 से 25 सैंपल की होती है जांच
प्रयोगशाला में मैन पावर नहीं होने से किसानों को समय पर मिट्टी जांच का लाभ नहीं मिल रहा है. 1 दिन में 20 से 25 खेतों की मिट्टी जांच हो पाती है. किसानों तक रिपोर्ट पहुंचने में 15 से 20 दिन लग जाते हैं. ऐसे में किसान तब तक बीज उर्वरक और पेस्टिसाइड का उपयोग कर चुके होता है. प्रयोगशाला में अफसर व कर्मियों का 8 पद सृजित है. इसमें सिर्फ एक ही कार्यरत है. हलांकि विभाग 2 कर्मियों को संविदा के तौर पर रख कर किसी तरह कार्य कर रहा है.
प्रयोगशाला में कर्मचारियों की स्थिति
पदों के नाम पद स्वीकृत कार्यरत
- सहायक निदेशक रसायन 1 0
- सहायक अनुसंधान पदाधिकारी 2 1
- प्रयोगशाला सहायक 2 0
- क्लर्क 1 0
- पियून 1 0
- कम्प्यूटर ऑपरेटर 1 0
समय पर नहीं मिलता रिपोर्ट कार्ड
15 नवंबर से अब तक जांच के लिए जिला लेबोरेटरी में 200 मिट्टी के नमूने प्रखंड से गोपालगंज जांच के लिए भेजा जा चुका है. जिसका रिपोर्ट कार्ड किसानों को अब तक नहीं मिल पाया है. इसके पीछे सरकार की वह नीति जिम्मेदार है जिसमें प्रखंड स्तर पर जांच केंद्र विकसित नहीं किए गए हैं. हर जांच रिपोर्ट के लिए किसान गोपालगंज की ओर देखते हैं. वहीं, बिना मिट्टी जांचे खेती करने से फसलों की काफी क्षति हो जाती है.
ये भी पढ़ेंः जल जीवन हरियाली के तहत समस्तीपुर जाएंगे CM, बदलने लगी इलाके की सूरत
गिर रहा है पैदावार का स्तर
कृषि विभाग अनुदानित दर पर खाद बीज तो मुहैया करा रहा है. लेकिन पैदावार का स्तर बढ़ने के बाजाए गिर रहा है. इसका कारण है पुराने पैटर्न पर खेती करना. हकीकत ये है कि खेती की स्थिति पहले जैसी है, खेतों की उर्वरा शक्ति कमजोर होती जा रही है. लेकिन मिट्टी का ट्रीटमेंट करने के बजाय उर्वरकों की मात्रा बढ़ाई जा रही है. किसानों को पता नहीं चल पाता कि उनकी खेतों में किस पोषक तत्व की कमी या अधिकता है.
किसानों में 4817 क्विंटल उर्वरक का वितरण
विभागीय सूत्रों की माने तो रबी सीजन में जिले के करीब 2 लाख किसानों को करीब 28 हजार 4 सौ क्विंटल उर्वरक लगेगा. इतने उर्वरक की डिमांड भी की गई है. डिमांड के मुकाबले विभाग को अभी तक 6 हजार 832 क्विंटल ही उर्वरक प्राप्त हुआ है. 4817 क्विंटल का वितरण किया जा चुका है. स्टोर में अभी 2 हजार 14 क्विंटल यूरिया, डीएपी, एनपीके ,एमओपी व एसएसपी उपलब्ध हैं.
'की गई है स्टाफ बढ़ाने की मांग '
इस सिलसिले में सहायक अनुसंधान पदाधिकारी प्रमोद कुमार ने बताया कि स्टाफ बढ़ाने की मांग की गई है. स्टाफ की कमी दूर होने के बाद ही मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला का भरपूर फायदा किसानों को मिल सकेगा. हालांकि कम मैन पावर में बेहतर कार्य कर किसानों को सुविधा देने की कोशिश की जा रही है.