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PMCH में पहली बार हुई 'कमांडो सर्जरी', जानिए क्या और कैसे होती है सर्जरी? - COMMANDO SURGERY IN PMCH

पीएमसीएच के 100 सालों के इतिहास में पहली बार कुछ काफी अलग किया गया है. यहां एक मरीज की कमांडो सर्जरी कर जान बचाई गई.

COMMANDO SURGERY IN PMCH
पीएमसीएच में कमांडो सर्जरी (Canva)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Feb 13, 2025, 11:09 AM IST

Updated : Feb 13, 2025, 2:35 PM IST

पटना: बिहार के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल पीएमसीएच के 100 सालों के इतिहास में पहली बार किसी मरीज की कमांडो सर्जरी करके जान बचाई गई है. माउथ कैंसर से पीड़ित मरीज की कमांडो विधि से सर्जरी कर उसके मुंह, जबड़े और गले के कैंसरग्रस्त बड़े हिस्से को अलग कर दिया गया है.

ऑपरेशन के बाद तैयार किया गया जबड़ा: कैंसरग्रस्त बड़े हिस्से को अलग करने के बाद छाती से मांस और चमड़े का हिस्सा लेकर जबड़े का ढांचा फिर से तैयार किया गया. यह ऑपरेशन इंदू भूषण के यूनिट में कैंसर सर्जन डॉक्टर अमित कुमार और सर्जरी विभाग के प्राध्यापक डॉक्टर आलोक रंजन की टीम ने किया है. इस टीम में डॉक्टर अमित की भूमिका बेहद खास रही.

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बिहार में पहली बार कमांडो सर्जरी (ETV Bharat)

मरीज को कैसे हुआ मुंह का कैंसर: कैंसर सर्जन डॉक्टर अमित कुमार ने बताया कि नालंदा जिला के जंगसारी गांव निवासी 43 वर्षीय मरीज को गुटखा और खैनी खाने के कारण मुंह का कैंसर हो गया था. नवंबर 2024 में इस बात का उसे पता चला, जिसके बाद कमांडो विधि से सफल इसका इलाज किया गया‌‌ है. टीम में डॉ. अमित, डॉ आलोक के अलावा डॉ कुणाल कुमार, डॉ कुणाल आनंद, डॉ अभिषेक अंकुर व एनेस्थेटिक डॉ रवि रंजन शामिल रहे.

"मरीज को गुटखा और खैनी खाने के कारण मुंह का कैंसर हुआ था. यह सर्जरी साढ़े तीन घंटे तक चली. फिलहाल अब मरीज की स्थिति में काफी सुधार है. यह सफलता पीएमसीएच के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है."-डॉ. अमित कुमार, कैंसर सर्जन

क्या होता है कमांडो सर्जरी: डॉक्टर अमित कुमार ने बताया कि कमांडो सर्जरी मुंह के कैंसर के लिए की जाती है. इस सर्जरी को तीन चरण में पूरा किया जाता है. पहले चरण में कैंसरग्रस्त जबड़े, मुंह और गले के हिस्से को हड्डी सहित हटाया जाता है. इसके बाद दूसरे चरण में गर्दन से लिम्फ नोड्स (गिलटियां) हटाई जाती हैं, जिससे कैंसर के फैलाव को रोका जाता है.

ऐसे होता है मरीज कैंसर से मुक्त: अंत और तीसरे चरण में मरीज के छाती से मांस और चमड़े का टिशू लेकर जबड़े और मुंह की रिकंस्ट्रक्शन की जाती है. इससे मरीज का चेहरा और बोलने की क्षमता यथासंभव सामान्य बनी रहती है. इसके बाद मरीज कैंसर से मुक्त हो जाता है और सामान्य जीवन जीने की संभावना बढ़ जाती है.

पढ़ें-पटना AIIMS के डॉक्टरों ने बनाया कमाल का डिवाइस, ब्रेन सर्जरी में है कारगर, 20 साल के लिए मिला पेटेंट

पटना: बिहार के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल पीएमसीएच के 100 सालों के इतिहास में पहली बार किसी मरीज की कमांडो सर्जरी करके जान बचाई गई है. माउथ कैंसर से पीड़ित मरीज की कमांडो विधि से सर्जरी कर उसके मुंह, जबड़े और गले के कैंसरग्रस्त बड़े हिस्से को अलग कर दिया गया है.

ऑपरेशन के बाद तैयार किया गया जबड़ा: कैंसरग्रस्त बड़े हिस्से को अलग करने के बाद छाती से मांस और चमड़े का हिस्सा लेकर जबड़े का ढांचा फिर से तैयार किया गया. यह ऑपरेशन इंदू भूषण के यूनिट में कैंसर सर्जन डॉक्टर अमित कुमार और सर्जरी विभाग के प्राध्यापक डॉक्टर आलोक रंजन की टीम ने किया है. इस टीम में डॉक्टर अमित की भूमिका बेहद खास रही.

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बिहार में पहली बार कमांडो सर्जरी (ETV Bharat)

मरीज को कैसे हुआ मुंह का कैंसर: कैंसर सर्जन डॉक्टर अमित कुमार ने बताया कि नालंदा जिला के जंगसारी गांव निवासी 43 वर्षीय मरीज को गुटखा और खैनी खाने के कारण मुंह का कैंसर हो गया था. नवंबर 2024 में इस बात का उसे पता चला, जिसके बाद कमांडो विधि से सफल इसका इलाज किया गया‌‌ है. टीम में डॉ. अमित, डॉ आलोक के अलावा डॉ कुणाल कुमार, डॉ कुणाल आनंद, डॉ अभिषेक अंकुर व एनेस्थेटिक डॉ रवि रंजन शामिल रहे.

"मरीज को गुटखा और खैनी खाने के कारण मुंह का कैंसर हुआ था. यह सर्जरी साढ़े तीन घंटे तक चली. फिलहाल अब मरीज की स्थिति में काफी सुधार है. यह सफलता पीएमसीएच के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है."-डॉ. अमित कुमार, कैंसर सर्जन

क्या होता है कमांडो सर्जरी: डॉक्टर अमित कुमार ने बताया कि कमांडो सर्जरी मुंह के कैंसर के लिए की जाती है. इस सर्जरी को तीन चरण में पूरा किया जाता है. पहले चरण में कैंसरग्रस्त जबड़े, मुंह और गले के हिस्से को हड्डी सहित हटाया जाता है. इसके बाद दूसरे चरण में गर्दन से लिम्फ नोड्स (गिलटियां) हटाई जाती हैं, जिससे कैंसर के फैलाव को रोका जाता है.

ऐसे होता है मरीज कैंसर से मुक्त: अंत और तीसरे चरण में मरीज के छाती से मांस और चमड़े का टिशू लेकर जबड़े और मुंह की रिकंस्ट्रक्शन की जाती है. इससे मरीज का चेहरा और बोलने की क्षमता यथासंभव सामान्य बनी रहती है. इसके बाद मरीज कैंसर से मुक्त हो जाता है और सामान्य जीवन जीने की संभावना बढ़ जाती है.

पढ़ें-पटना AIIMS के डॉक्टरों ने बनाया कमाल का डिवाइस, ब्रेन सर्जरी में है कारगर, 20 साल के लिए मिला पेटेंट

Last Updated : Feb 13, 2025, 2:35 PM IST
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