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गोपालगंज: वर्षो से बंद पड़े हैं नलकूप, महंगे दामों में खेतों की सिंचाई कराने को मजबूर हैं किसान

देश की अर्थव्यवस्था में अहम योगदान देने वाला एक आम किसान जब खेती करना शुरू करता है तो उसके सामने मुश्किलों का एक बड़ा पहाड़ खड़ा रहता है. आज खेती करने में सभी चीजें महंगी हो गई. बीज महंगा, खाद महंगा, डीजल महंगा, बिजली-पानी महंगी, ट्रैक्टर की जुताई महंगी, और लागत इतनी ज्यादा है कि किसान को मुनाफा तो छोड़िए लागत निकालना मुश्किल है. देखिए गोपालगंज से खास रिपोर्ट

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बंद पड़े नलकूप
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Published : Dec 25, 2020, 7:33 PM IST

Updated : Dec 26, 2020, 5:01 PM IST

गोपालगंज: जिले में खेतों की सिंचाई को लेकर किसानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. खेतों की सिंचाई के लिए वर्षों पूर्व सरकार द्वारा जिले में 287 नलकूप बनवाये गए थे. लेकिन वर्तमान में अधिकांश नलकूप बंद पड़े हैं. जिसके कारण किसान अपने खेतों की सिंचाई महंगे दामों पर करने के लिए मजबूर हैं. इतना ही नहीं, नलकूप के संचालन के लिए 150 कर्मियों को बहाल किया गया था. लेकिन वर्तमान में महज 6 कर्मी ही मौजूद हैं.

दरअसल, सरकार द्वारा खेतों की सिंचाई के लिए नलकूप लगाए गए थे. ताकि किसानों को सिंचाई में कोई परेशानी ना हो. लेकिन विभागीय लापरवाही और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण अधिकांश नलकूप बंद पड़े हैं. जिसकी वजह से किसान महंगे दामों पर खेतों की सिंचाई करने को मजबूर हैं. वहीं सरकार द्वारा नलकूप की मरम्मत कराने के लिए प्रतिवर्ष लाखों रुपये विभाग को मुहैया कराता है. लेकिन पैसा मिलने के बाद भी जिले के बंद पड़े नलकूपों को सही नहीं कराया जा रहा है. जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है.

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बंद पड़े नलकूप

कई नलकूप हैं खराब
जानकारी के अनुसार, खेतों की सिंचाई के लिए सरकार द्वारा जिले में 287 नलकूप लगाए गए थे. इसके बावजूद, किसानों को खेतों की सिंचाई के लिए निजी संसाधनों का सहारा लेना पड़ता है. विभागीय आंकड़ों के अनुसार, जिले में कुल 287 नलकूप हैं. इनमें से 147 नलकूप चालू हालत में हैं, जबकि 140 बंद पड़े हैं. वहीं नलकूपों को ऑपरेट करने के लिए कुल ऑपरेटरों का 150 पद स्वीकृत है. लेकिन हैरानी की बात है कि 150 ऑपरेटरों में से महज छह ऑपरेटर ही कार्यरत है. साथ ही दो पंप चालकों का पद स्वीकृत है, लेकिन महज एक ही कार्यरत हैं.

देखें रिपोर्ट

नलकूपों के लिए राशि आवंटित
कर्मियों के कमी के कारण विभाग के 23 चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों से काम चलाया जा रहा है. वहीं यांत्रिकी दोष के कारण 61 और विद्युत दोष के कारण तीन नलकूप खराब हैं. जबकि 66 नलकूप संयुक्त दोष के कारण नहीं चल पा रहा है. जबकि 10 नलकूप अन्य दोष के कारण बंद पड़े हैं. खराब पड़े नलकूपों को मरम्मत कर फिर से चालू कराने के लिए सरकार की तरफ से राशि स्वीकृत की गई है. जिले के 34 पंचायतों में फिलहाल 41 नलकूप को चालू कराने के लिए प्रथम फेज में 10 पंचायतों के लिए 38.06 लाख की राशि स्वीकृत कराई गई है. जिसमे 15.225 लाख राशि आवंटित की जा चुकी है. जिसे सभी पंचायतों को उपलब्ध करा दिया गया है.

जल्द ही ठीक कराए जाएंगे नलकूप
दूसरे फेज में 9 पंचायतों को 43.767 लाख कि राशि स्वीकृत कराई गई. जिसमें 30.583 आवंटन प्राप्त हुए. जो सभी पंचायतों को उप्लब्ध करा दिया गया है. वहीं यांत्रिक दोष के कारण बंद हुई नलकूपों को चालू कराने के लिए तीसरा किस्त 11 पंचायतों के लिए 2.600 लाख की राशि स्वीकृत कराई गई. जिसमें 1.420 लाख कि राशि का आवंटन हुआ है.

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पम्पिंग सेट से सिंचाई करा रहे किसान

'बंद पड़े नलकूपों को जल्द ही ठीक करा लिया जाएगा. इसके लिए राशि आवंटित होनी शुरू हो गई है. कर्मियों की कमी की जानकारी प्रत्येक बैठक में विभाग को बताई जाती है.'- कृष्णा पंडित, कार्यपालक अभियंता, लघु सिंचाई विभाग.

महंगे दामों पर करानी पड़ती है सिंचाई
वहीं किसानों का कहना है कि विभाग द्वारा इसपर कोई ध्यान नहीं देने के कारण आज नलकूप उपेक्षा का शिकार बना हुआ है. मजबूरन महंगे दामों पर खेतों की सिंचाई पम्पिंग सेट से करानी पड़ती है. प्रति घंटा 180 रुपये से 200 रुपये देकर खेतों की सिंचाई करनी पड़ती है. वहीं कई ऐसे नलकूप हैं जो खराब होते हुए भी सही बताया गया है. शासन प्रशासन के दावे हवा-हवाई साबित होती है.

गोपालगंज: जिले में खेतों की सिंचाई को लेकर किसानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. खेतों की सिंचाई के लिए वर्षों पूर्व सरकार द्वारा जिले में 287 नलकूप बनवाये गए थे. लेकिन वर्तमान में अधिकांश नलकूप बंद पड़े हैं. जिसके कारण किसान अपने खेतों की सिंचाई महंगे दामों पर करने के लिए मजबूर हैं. इतना ही नहीं, नलकूप के संचालन के लिए 150 कर्मियों को बहाल किया गया था. लेकिन वर्तमान में महज 6 कर्मी ही मौजूद हैं.

दरअसल, सरकार द्वारा खेतों की सिंचाई के लिए नलकूप लगाए गए थे. ताकि किसानों को सिंचाई में कोई परेशानी ना हो. लेकिन विभागीय लापरवाही और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण अधिकांश नलकूप बंद पड़े हैं. जिसकी वजह से किसान महंगे दामों पर खेतों की सिंचाई करने को मजबूर हैं. वहीं सरकार द्वारा नलकूप की मरम्मत कराने के लिए प्रतिवर्ष लाखों रुपये विभाग को मुहैया कराता है. लेकिन पैसा मिलने के बाद भी जिले के बंद पड़े नलकूपों को सही नहीं कराया जा रहा है. जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है.

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बंद पड़े नलकूप

कई नलकूप हैं खराब
जानकारी के अनुसार, खेतों की सिंचाई के लिए सरकार द्वारा जिले में 287 नलकूप लगाए गए थे. इसके बावजूद, किसानों को खेतों की सिंचाई के लिए निजी संसाधनों का सहारा लेना पड़ता है. विभागीय आंकड़ों के अनुसार, जिले में कुल 287 नलकूप हैं. इनमें से 147 नलकूप चालू हालत में हैं, जबकि 140 बंद पड़े हैं. वहीं नलकूपों को ऑपरेट करने के लिए कुल ऑपरेटरों का 150 पद स्वीकृत है. लेकिन हैरानी की बात है कि 150 ऑपरेटरों में से महज छह ऑपरेटर ही कार्यरत है. साथ ही दो पंप चालकों का पद स्वीकृत है, लेकिन महज एक ही कार्यरत हैं.

देखें रिपोर्ट

नलकूपों के लिए राशि आवंटित
कर्मियों के कमी के कारण विभाग के 23 चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों से काम चलाया जा रहा है. वहीं यांत्रिकी दोष के कारण 61 और विद्युत दोष के कारण तीन नलकूप खराब हैं. जबकि 66 नलकूप संयुक्त दोष के कारण नहीं चल पा रहा है. जबकि 10 नलकूप अन्य दोष के कारण बंद पड़े हैं. खराब पड़े नलकूपों को मरम्मत कर फिर से चालू कराने के लिए सरकार की तरफ से राशि स्वीकृत की गई है. जिले के 34 पंचायतों में फिलहाल 41 नलकूप को चालू कराने के लिए प्रथम फेज में 10 पंचायतों के लिए 38.06 लाख की राशि स्वीकृत कराई गई है. जिसमे 15.225 लाख राशि आवंटित की जा चुकी है. जिसे सभी पंचायतों को उपलब्ध करा दिया गया है.

जल्द ही ठीक कराए जाएंगे नलकूप
दूसरे फेज में 9 पंचायतों को 43.767 लाख कि राशि स्वीकृत कराई गई. जिसमें 30.583 आवंटन प्राप्त हुए. जो सभी पंचायतों को उप्लब्ध करा दिया गया है. वहीं यांत्रिक दोष के कारण बंद हुई नलकूपों को चालू कराने के लिए तीसरा किस्त 11 पंचायतों के लिए 2.600 लाख की राशि स्वीकृत कराई गई. जिसमें 1.420 लाख कि राशि का आवंटन हुआ है.

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पम्पिंग सेट से सिंचाई करा रहे किसान

'बंद पड़े नलकूपों को जल्द ही ठीक करा लिया जाएगा. इसके लिए राशि आवंटित होनी शुरू हो गई है. कर्मियों की कमी की जानकारी प्रत्येक बैठक में विभाग को बताई जाती है.'- कृष्णा पंडित, कार्यपालक अभियंता, लघु सिंचाई विभाग.

महंगे दामों पर करानी पड़ती है सिंचाई
वहीं किसानों का कहना है कि विभाग द्वारा इसपर कोई ध्यान नहीं देने के कारण आज नलकूप उपेक्षा का शिकार बना हुआ है. मजबूरन महंगे दामों पर खेतों की सिंचाई पम्पिंग सेट से करानी पड़ती है. प्रति घंटा 180 रुपये से 200 रुपये देकर खेतों की सिंचाई करनी पड़ती है. वहीं कई ऐसे नलकूप हैं जो खराब होते हुए भी सही बताया गया है. शासन प्रशासन के दावे हवा-हवाई साबित होती है.

Last Updated : Dec 26, 2020, 5:01 PM IST
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