गोपालगंज: जिले के किसानों को अब खेतों में सिंचाई के लिए अत्यधिक पानी की आवश्यकता नही पड़ेगी. क्योंकि प्रधानमंत्री सिंचाई योजना के तहत किसानों को माइक्रो इरीगेशन विधि से खेतों में लगे फसलों तक जरूरत के अनुसार पानी पहुंचेगी. इसको लेकर जिले में त्यागी इंडस्ट्रीज किसानों के खेतों तक इस विधि को इनस्टॉल कर रही है.
जल संरक्षण की कवायद
बता दें पिछले कुछ वर्षों से भू-गर्भ जलस्तर तेजी से भाग रहा है. इसे बचाने के लिए शासन-प्रशासन पूरी तरह से गंभीर है. पूरे देश में जल संरक्षण की कवायद चल रही है. यही वजह है कि किसानों को हर संभव कोशिश कर जलसंरक्षण के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. देश की बड़ी आबादी खेती पर निर्भर है.
पंप सेट से सिंचाई
हमारी 80 फीसदी खेती बारिश के भरोसे है. कहीं ज्यादा बारिश तो कहीं सूखा की वजह से हर साल बड़ी तादाद में किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है. इसके अलावे हर जगह नदी-नहर की भी सुविधा नहीं होने की वजह से किसानों को डीजल पंप सेट से सिंचाई करनी पड़ती है. पंप सेट से सिंचाई करने पर सिंचाई का करीब 30 फीसदी पानी बर्बाद हो जाता है. जिसको लेकर सिंचाई में पानी की एक-एक बूंद का इस्तेमाल करने के लिए केंद्र सरकार ने ''प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना'' चलाई हुई है.
ड्रिप विधि का प्रयोग
इसका नाम ड्रॉप मोर क्रॉप-माइक्रो इरीगेशन' स्कीम रखा गया है. जिसमें आधुनिक तकनीकों का भरपूर इस्तेमाल करने पर जोर दिया गया है. 'माइक्रो इरीगेशन' दो तरह से काम करता है. पहला ड्रिप यानी टपक विधि और दूसरा मिनी स्प्रिंकलर यानी फब्बारा विधि है. ड्रिप विधि के प्रयोग के लिए किसानों को तैयार खेत में पहले पाइप बिछाना पड़ता है.
पोषक तत्व की बर्बादी
पाइप में जगह-जगह पर छेद कर दिया जाता है. छेद के माध्यम से फसल के जड़ों में पानी जाता है. इस विधि से पटवन करने पर 60 से 70 प्रतिशत तक पानी की बचत होती है. किसान खाद और दवाई भी डाल सकते हैं. इससे पोषक तत्व की बर्बादी कम होती है. जिससे खाद की भी बचत होती है. साथ ही पैदावार में भी बढ़त होती है. वहीं मिनी स्प्रिंकलर विधि के तहत खेत के बीच में पाइप बिछाकर झरना लगा दिया जाता है.
किसानों के लिए वरदान
झरना खेत के चारों तरफ घूम-घूमकर पानी का छिड़काव करता है. यानी जितनी पानी की जरूरत होती है. उतना पानी मिलता रहता है. जिला उद्यान विभाग के निर्देशन में किसानों की ओर से ड्रिप सिंचाई विधि से केला, सब्जी, बागवानी में नींबू, अमरूद आदि की खेती करके नया उदाहरण अन्य किसानों के लिए प्रस्तुत किया जा रहा है. ऐसे में ड्रिप और फब्बारा सिंचाई विधि किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है.
जल संरक्षण को बढ़ावा
इसके लिए सरकार 90 प्रतिशत अनुदान पर किसानों को यह सुविधा उपलब्ध करा रही है. ड्रिप सिंचाई विधि से खेती कर रहे जिले के कई प्रखंड के किसान सफलता के नया आयाम दिया दिए है. इससे अन्नदाताओं के जीवन की तस्वीर भी बदल रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना के तहत किसानों की आय दोगुनी करने में भी अहम भूमिका निभा रहा है. ड्रिप सिंचाई से जहां एक ओर जल संरक्षण को बढ़ावा मिल रहा है. तो वहीं कम लागत में ही अन्नदाताओं को अच्छी उपज मिल जा रही है.
क्या हैं इसके फायदे-
- बागवानी, कृषि फसलों में ड्रिप और मिनीस्प्रिंकलर सिंचाई तकनीक को अपनाकर फसल की क्वाविटी और पैदावार में इजाफा करना.
- पौधों में उनकी जरूरत के मुताबिक पानी का इस्तेमाल करना.
- खुली सिंचाई में बर्बाद होने वाले पानी की बचत करके जमीन के अंदर पानी के लेवल को कम होने से बचाना.
- पौधों की जड़ों में ड्रिप सिंचाई के साथ ही खाद और कीट मारने वाले केमिकलों के इस्तेमाल में कमी लाना.
- इस तकनीक से ऊंची-नीची जमीन पर भी खेती की जा सकती है.
इन किसानों को मिलेगा फायदा
योजना का फायदा लेने वाले किसान के पास अपनी जमीन और सिंचाई के पानी का स्रोत होना चाहिए. इस योजना का फायदा उठाने के लिए किसान को आधार कार्ड, जमीन की खेसरा- खाता किसान रजिस्ट्रेशन नम्बर होना अनिवार्य है.