गोपालगंज: अफसर बनने का सपना लिए जिले के बच्चे जर्जर स्कूलों में पढ़ने को मजबूर हैं. जिले के ज्यादातर सरकारी स्कूलों के भवन जर्जर हो चुकें हैं. जिसकी सुध कोई लेने वाला नहीं है. जर्जर भवन के गिरने का डर हमेशा बना रहता है. ऐसे में न केवल नौनिहालों के बल्कि शिक्षकों की जान पर भी खतरा बना रहता है.
बिहार सरकार सरकारी स्कूलों को प्राइवेट स्कूल से बेहतर बनाने की बात भले ही कर रही है, लेकिन स्कूलों की जर्जर हो चुकी इमारतें तो कुछ और ही कहानी बयां कर रही हैं. जिला मुख्यालय से 28 किलोमीटर दूर रतन चक गांव के पास बने राजकीय प्राथमिक विद्यालय की इमारतें जर्जर हो चुकी हैं. इसके बावजूद विभाग बेहतर शिक्षा की बात करता नहीं थकता.
नहीं सुनते अधिकारी
मामले में जब प्रधानाध्यापिका मीना शर्मा से बात गई तो उन्होंने कहा कि जर्जर भवन में बच्चों को पढ़ाना हमारी मजबूरी, क्योंकि बच्चों को पढ़ाने के लिए कोई और जगह नहीं है. उन्होंने कहा कि कई बार अधिकारियों को सूचना दी गई, लेकिन अधिकारी सुनने को तैयार नहीं. वहीं शिक्षक राघव साह ने बताया कि यह स्कूल भवन कई वर्षों से जर्जर हालत में है. कई बार विभाग को रिपोर्ट दी गई, लेकिन आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला.
छात्रा का दर्द
स्कूल में पढ़ने वाली छात्रा अफसाना ने बताया कि हम लोगों को बहुत डर लगता है. उसने बताया कि प्लास्टर टूटकर गिरने से से कई बार चोट भी लग चुकी है. आगे उसने बताया कि सड़क पार करते समय उसे गाड़ी से दबने का डर लगा रहता है.
डीईओ की दलील
जिला शिक्षा पदाधिकारी संघमित्रा वर्मा ने बताया कि बीडीओ और डीपीओ को समग्र शिक्षा के द्वारा कार्रवाई का निर्देश दिया गया है. उन्होंने बताया कि प्रधान सचिव का भी पत्र आया है कि जो विद्यालय जर्जर है, बच्चों को उसमें न पढ़ाकर पास के स्कूल में पढ़ाया जाए.
आपको बता दें कि विद्यालय में कुल 40 बच्चे पढ़ाई करते हैं जबकि यहां प्राचार्य समेत तीन शिक्षक तैनात हैं.