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गोपालगंज: टूटी छत के नीचे डर के साए में पढ़ते हैं नौनिहाल, शिकायत के बाद भी नहीं सुनते अफसर - बिहार ताजा समाचार

सरकारी के तमाम दावों के बावजूद यहां स्कूल में बुनियादी सुविधाओं की कमी है. न तो बेंच-डेस्क की बेहतर व्यवस्था है और न ही अच्छी पढ़ाई होती है. ऊपर से छत जगह-जगह से टूट रही हैं.

जर्जर स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर नौनिहाल
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Published : Aug 16, 2019, 12:03 AM IST

गोपालगंज: अफसर बनने का सपना लिए जिले के बच्चे जर्जर स्कूलों में पढ़ने को मजबूर हैं. जिले के ज्यादातर सरकारी स्कूलों के भवन जर्जर हो चुकें हैं. जिसकी सुध कोई लेने वाला नहीं है. जर्जर भवन के गिरने का डर हमेशा बना रहता है. ऐसे में न केवल नौनिहालों के बल्कि शिक्षकों की जान पर भी खतरा बना रहता है.

shabby schools in gopalganj
स्कूल की खराब हालत

बिहार सरकार सरकारी स्कूलों को प्राइवेट स्कूल से बेहतर बनाने की बात भले ही कर रही है, लेकिन स्कूलों की जर्जर हो चुकी इमारतें तो कुछ और ही कहानी बयां कर रही हैं. जिला मुख्यालय से 28 किलोमीटर दूर रतन चक गांव के पास बने राजकीय प्राथमिक विद्यालय की इमारतें जर्जर हो चुकी हैं. इसके बावजूद विभाग बेहतर शिक्षा की बात करता नहीं थकता.


नहीं सुनते अधिकारी
मामले में जब प्रधानाध्यापिका मीना शर्मा से बात गई तो उन्होंने कहा कि जर्जर भवन में बच्चों को पढ़ाना हमारी मजबूरी, क्योंकि बच्चों को पढ़ाने के लिए कोई और जगह नहीं है. उन्होंने कहा कि कई बार अधिकारियों को सूचना दी गई, लेकिन अधिकारी सुनने को तैयार नहीं. वहीं शिक्षक राघव साह ने बताया कि यह स्कूल भवन कई वर्षों से जर्जर हालत में है. कई बार विभाग को रिपोर्ट दी गई, लेकिन आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला.

shabby schools in gopalganj
छत के टूटे प्लास्टर

छात्रा का दर्द

स्कूल में पढ़ने वाली छात्रा अफसाना ने बताया कि हम लोगों को बहुत डर लगता है. उसने बताया कि प्लास्टर टूटकर गिरने से से कई बार चोट भी लग चुकी है. आगे उसने बताया कि सड़क पार करते समय उसे गाड़ी से दबने का डर लगा रहता है.

जर्जर स्कूल में पढ़ने को मजबूर है नौनिहाल

डीईओ की दलील
जिला शिक्षा पदाधिकारी संघमित्रा वर्मा ने बताया कि बीडीओ और डीपीओ को समग्र शिक्षा के द्वारा कार्रवाई का निर्देश दिया गया है. उन्होंने बताया कि प्रधान सचिव का भी पत्र आया है कि जो विद्यालय जर्जर है, बच्चों को उसमें न पढ़ाकर पास के स्कूल में पढ़ाया जाए.

आपको बता दें कि विद्यालय में कुल 40 बच्चे पढ़ाई करते हैं जबकि यहां प्राचार्य समेत तीन शिक्षक तैनात हैं.

गोपालगंज: अफसर बनने का सपना लिए जिले के बच्चे जर्जर स्कूलों में पढ़ने को मजबूर हैं. जिले के ज्यादातर सरकारी स्कूलों के भवन जर्जर हो चुकें हैं. जिसकी सुध कोई लेने वाला नहीं है. जर्जर भवन के गिरने का डर हमेशा बना रहता है. ऐसे में न केवल नौनिहालों के बल्कि शिक्षकों की जान पर भी खतरा बना रहता है.

shabby schools in gopalganj
स्कूल की खराब हालत

बिहार सरकार सरकारी स्कूलों को प्राइवेट स्कूल से बेहतर बनाने की बात भले ही कर रही है, लेकिन स्कूलों की जर्जर हो चुकी इमारतें तो कुछ और ही कहानी बयां कर रही हैं. जिला मुख्यालय से 28 किलोमीटर दूर रतन चक गांव के पास बने राजकीय प्राथमिक विद्यालय की इमारतें जर्जर हो चुकी हैं. इसके बावजूद विभाग बेहतर शिक्षा की बात करता नहीं थकता.


नहीं सुनते अधिकारी
मामले में जब प्रधानाध्यापिका मीना शर्मा से बात गई तो उन्होंने कहा कि जर्जर भवन में बच्चों को पढ़ाना हमारी मजबूरी, क्योंकि बच्चों को पढ़ाने के लिए कोई और जगह नहीं है. उन्होंने कहा कि कई बार अधिकारियों को सूचना दी गई, लेकिन अधिकारी सुनने को तैयार नहीं. वहीं शिक्षक राघव साह ने बताया कि यह स्कूल भवन कई वर्षों से जर्जर हालत में है. कई बार विभाग को रिपोर्ट दी गई, लेकिन आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला.

shabby schools in gopalganj
छत के टूटे प्लास्टर

छात्रा का दर्द

स्कूल में पढ़ने वाली छात्रा अफसाना ने बताया कि हम लोगों को बहुत डर लगता है. उसने बताया कि प्लास्टर टूटकर गिरने से से कई बार चोट भी लग चुकी है. आगे उसने बताया कि सड़क पार करते समय उसे गाड़ी से दबने का डर लगा रहता है.

जर्जर स्कूल में पढ़ने को मजबूर है नौनिहाल

डीईओ की दलील
जिला शिक्षा पदाधिकारी संघमित्रा वर्मा ने बताया कि बीडीओ और डीपीओ को समग्र शिक्षा के द्वारा कार्रवाई का निर्देश दिया गया है. उन्होंने बताया कि प्रधान सचिव का भी पत्र आया है कि जो विद्यालय जर्जर है, बच्चों को उसमें न पढ़ाकर पास के स्कूल में पढ़ाया जाए.

आपको बता दें कि विद्यालय में कुल 40 बच्चे पढ़ाई करते हैं जबकि यहां प्राचार्य समेत तीन शिक्षक तैनात हैं.

Intro:सरकारी स्कूलों को प्राइवेट स्कूल से बेहतर बनाने की बात भले ही सरकार कर रही है। लेकिन सच्चाई यह है कि सरकारी स्कूलों की जर्जर हो चुकी इमारतों की कोई सुध लेने वाला नहीं है। बावजूद शासन प्रशासन बेहतर शिक्षा की बात करती नही थकती। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही व्या करती है। सरकार के अधिकांश स्कूलों के भवन खस्ताहाल हो चुके हैं जो कभी भी धराशाई हो सकते हैं। लेकिन अब तक इन जर्जर स्कूलों की जगह पर नया भवन बनाने की जरूरत महसूस नहीं की जा रही ऐसे में न केवल नौनिहालों के बल्कि शिक्षकों के जान पर भी खतरा मंडरा रहा है।




Body:हम बात कर रहे है गोपालगंज जिला मुख्यालय से 28 किलोमीटर दूर रतन चक गाँव के पास बने राजकीय प्राथमिक विद्यालय की। जिसका निर्माण वर्ष 1956 में हुआ था। लेकिन वर्तमान समय मे।यह स्कूल अपने उपेक्षाओं पर आंसू बहा रहा है। इस विद्यालय की छत जर्जर हो चुकी है, दीवार में दरार आ चुकी है, छत से प्लास्टर टूट टूट कर गिरते है। छत से सरिया साफ तौर पर दिखाई देता है। बावजूद इसी भवन में नौनिहाल अपना भविष्य बनाते है। यहां के बच्चो को आज तक इस जर्जर भवन से मुक्ति नही मिली। यहां के बच्चों को मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखा जाता है। जहां बच्चे आज भी जान हथेली पर रखकर शिक्षा की तालीम सीखते हैं। इन बच्चों के मन में पढ़ लिख कर कुछ कर गुजरने की तमन्ना तो जरूर है लेकिन जर्जर भवन में अपना भविष्य कैसे बना सकते हैं। जहाँ हमेशा जान का खतरा बरकरार रहता हो। वर्ष 1956 ईस्वी में बने इस स्कूल की मरम्मत नहीं होने के कारण यह यह भवन जर्जर हो गई है। बारिश के दिनों में छत से पानी टपकना जब शुरू हो जाता है।तब क्लास रूम में पढ़ रहे बच्चो के किताब कॉपी भीग जाते हैं। और इसी जर्जर छत के नीचे बच्चों को शिक्षक पढ़ाते हैं। यहां के शिक्षक व प्राचार्य द्वारा कई बार अधिकारियों के इस बात से अवगत कराया लेकिन अधिकारी इस बात पर ध्यान देने की कोशिश नहीं करते। शायद उन्हें इंतजार है किसी बड़े हादसे की जब कोई हादसा हो जाएगा और सिर्फ अधिकारी जांच का भरोसा देकर मामले को ठंडे बस्ते में डाल देंगे। लेकिन समय के पूर्व हादसे को बचाने के लिए कोई ठोस पहल करना उचित नहीं समझते। ईटीवी भारत ने जब स्कूल का जायजा लिया तो कुछ बच्चे बाहर घर से बोरी लाकर बरामदे में बैठकर शिक्षा ग्रहण कर रहे थे तो कुछ बच्चे क्लास रूम में टूटी हुई छत के नीचे बैठे हुए थे और शिक्षक पढ़ा रहे थे। हमने जब क्लास में मौजूद प्रधानाध्यापिका मीना शर्मा से बात की तो उन्होंने अपनी दुखड़ा बताते हुए कहा कि मजबूरी है इसी में पढ़ाना क्योंकि अन्य कहीं जगह नहीं है। यह स्कूल भी काफी जर्जर हो चुका है। कई बार अधिकारियों को सूचित किया गया लेकिन अधिकारी कुछ सुनने को तैयार नहीं है। वही वर्ग में पढने वाली छात्रा से जब हमने बात की तो छात्रा अफसाना ने कहा कि इसी तरह हम लोग डर के साए में पढ़ते हैं। छत से प्लास्टर टूट टूट कर गिरता है। लेकिन पढ़ना हमें जरूरी है। क्योंकि मुझे अफसर बनना है। अब ऐसे में इस बच्ची के मन में अफसर बनने जो सपना है वो कैसे पुरा होगा। वही शिक्षक राघव साह ने बताया कि यह स्कूल कई वर्षो से जर्जर है कई बार विभाग को रिपोर्ट गया लेकिन सिर्फ आश्वासन ही मिला। इस विद्यालय में कुल 40 बच्चे नामांकित है साथ ही प्राचार्य समेत तीन शिक्षक तैनात है।
इस संदर्भ में जब हमने जिला शिक्षा पदाधिकारी संघमित्रा वर्मा से बात की तो उन्होंने कहा कि हमने बीडीओ व डीपीओ को समग्र शिक्षा के द्वारा कार्यवाई का निर्देश दिया है साथ ही प्रधान सचिव का भी पत्र आया है कि ऐसे विद्यालय जो जर्जर है उसे कही अन्य जगह स्थानांतरण किया जाए। साथ ही बीओ को निर्देश दिया गया है कि इसपर अपने स्तर से कार्यवाई करें।




Conclusion:na
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