गोपालगंजः 'मुश्किलों से कह दो उलझे नहीं हमसे, हमें हर हालात में जीने का हुनर आता है.' ये लाइनें गोपालगंज में सब्जी बेचते हुए दो बच्चों पर चरितार्थ होती है. उनकी मजबूरी ही उनको सब्जी बेचने के लिए सड़क पर ले आई है.
मामला शहर के सरेया मुहल्ले का है, जहां दो बच्चे सब्जी बेचते हुए नजर आए. ये बच्चे क्रमशः पांचवीं और तीसरी कक्षा के छात्र हैं. जो अपने परिवार का पेट पालने के लिए ठेले पर सब्जी रखकर गली गली घूमघूम कर सब्जी लेलो... सब्जी लेलो... की आवाज लगाते हुए बेच रहे थे.
परिवार का पेट पालने की मजबूरी
सब्जी बेचते बच्चे संदीप कुमार ने बताया कि उसके पिता बीमार हैं. जिससे घर चलाने में काफी परेशानी आ रही था. उसने बताया कि अपने भाई बहनों में सबसे बड़ा वही है और लॉकडाउन के कारण स्कूल अभी बंद है. जिससे परिवार का पेट पालने के लिए उसने सब्जी बेंचना शुरू कर दिया.
दाने-दाने को मोहताज हुआ परिवार
संदीप ने बताया कि उसकी तीन छोटी बहन और दो भाई हैं. पिता की बीमारी के कारण वे लोग दाने दाने को मोहताज हो गए थे. साथ ही पिता का इलाज भी नहीं हो पा रहा था. बच्चे ने बताया कि दिन भर सब्जी बेचकर वह 2-3 सौ रुपये कमा लेता है. जिससे उनलोगों का घर चलता है.
परिवार का भार उठा रहे बच्चे
कोरोना काल मे सभी स्कूल कॉलेज बंद है. जिसको लेकर छात्र अपने घरों में ही रहकर पढ़ाई कर रहे है. वहीं, कुछ ऐसे गरीब बच्चे हैं जो स्कूल बंद होने के कारण परिवार का भार उठा रहे हैं. मजबूरी ने इन मासूमों के कंधे पर परिवार का पेट पालने की जिम्मेदारी डाल दी है.