गोपालगंजः लोक आस्था का महापर्व छठ को लेकर काफी उत्साह देखने को मिल रहा है. बड़ी धूम-धाम से रविवार को पहला अर्घ्य दिया जाएगा. महापर्व छठ को लेकर लोगों में इतनी आस्था है कि मन्नतें पूरी होने पर लोग सुरसुप्ता का निर्माण कराकर उसकी पूजा करते हैं.
गोपालगंज में छठ पूजा की अनोखी परंपराः आस्था और पवित्रता का पर्व छठ पूजा का जिक्र होते ही लोगो के मन में पारंपरिक तरीके से पूजा ख्याल आने लगता है, जिसमे लोग बांस के सूप में पूजा सामग्री सजाकर दौरा में रख कर छठ घाटों पर पहुंचते है. इसके बाद भगवान भास्कर को श्रद्धा और भक्ति के साथ अर्घ्य दिया जाता है. इसके अलावा भी कई परंपरा है, जिसे लोग निभाते हैं. बिहार के गोपालगंज में ऐसी ही एक अनोखी परंपरा है.
छठी मईया का प्रतीक है सुरसुप्ताः भक्त छठी मईया के प्रतिक के रूप में सुरसुप्ता बनाकर पूजा करते हैं. छठ पूजा के पूर्व लोग विभिन्न छठ स्थानों पर सुरसुप्ता की रंगाई पुताई और साफ-सफाई करते हैं. खास बात ये है कि इस काम को करने के लिए लोग खुद आगे आते हैं और पुण्य का भागीदार बनते हैं. छठ के मौके पर काफी संख्या में घाट पर सुरसुप्ता का निर्माण किया जाता है. जो पहले से ही बना होता है, उसका रंग रोंगन किया जाता है.
मन्नत पूरी होने पर बनाते हैं लोगः गोपालगंज में छठ महापर्व में सुरसुप्ता बनाने को लेकर मान्यताएं हैं. जो भी भक्त सच्चे मन से कोई मन्नत मांगता है और वह मन्नत पूर्ण होता है तो वह सुरसुप्ता बनाकर भक्ति भाव से छठी माई की पूजा करते हैं. बिहार के अन्य जिलों में शायद ही इस तरह की पूजा देखने को मिलती है. अन्य जगहों पर लोग छठ घाट पर ही जाकर नदी और तालाब के किनारे पानी में खड़े होकर भगवान भास्कर को अर्घ्य देते हैं.
"छठी मईया के प्रतीक के रूप में सुरसुप्ता बनाया जाता है. जिसकी मन्नत पूरी होती, वे सुरसुप्ता जरूर बनाते हैं. यह परंपरा पूरे जिले में चलती है. छठ पूजा के दौरान सुरसुप्ता की पूजा की जाती है." -चंचल कुमार, श्रद्धालु
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