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गोपालगंज में भी होंगे सेब के बगान, कश्मीर नहीं गोपालगंज में लहलहाएंगे सेब के बागान - ईटीवी न्यूज बिहार

कृषि विभाग की योजना अगर सफल हुई तो अब बिहार के गोपालगंज (Apple Farming In Gopalganj) में सेब की खेती जोरों पर होगी. बिहार में सेब की खेती करने के लिए जिले 56 प्रगतिशील किसानों को चुना गया है.

गोपालगंज में लहलहाएंगे सेब के बागान
सेब के बागान
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Published : Dec 27, 2021, 1:51 PM IST

गोपालगंज: बिहार के लोगों को सेब के लिए कश्मीर और हिमाचल प्रदेश से सेब आने का इंतजार नहीं करना पडेगा. बिहार के गोपालगंज में कृषि विभाग की योजना (Agriculture Department Plan) सफल रही तो वहां की खेतों में भी अब सेब से लदे बगान (Gopalganj Apple Orchard) आपको देखने को मिलेंगे.

ये भी पढ़ेंः बिहार के किसान को पराली जलाने से मिलेगी मुक्ति, बायोचार बढ़ा रहा मिट्टी की उर्वरा शक्ति

गोपालगंज के सभी प्रखंडों में चार-चार प्रगतिशील किसानों को सेब की खेती के लिए चुना गया है. कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण (आत्मा) के तहत विभाग की नवाचार गतिविधि में इसे शामिल किया गया है.

कृषि विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि इसके तहत जिले के सभी 14 प्रखंडों से चार-चार किसानों का चयन किया गया है. इन किसानों के लिए विभाग से शत प्रतिशत अनुदान पर सेब के पौधे उपलब्ध कराये गये हैं. प्रत्येक किसान विभाग से 25-25 पौधे लेकर विभागीय टीम की देख रेख में लगभग 4 . 25 कट्ठा जमीन में सेब की खेती कर रहे हैं.

गोपालगंज के नोडल कृषि समन्वयक बजरंग कुमार सिंह (Bajrang Kumar Singh) बताते हैं कि सभी प्रखंडों में सेब के पौधे लगा दिए गए हैं. उन्होंने बताया कि इसके लिए किसानों को बजाब्ता प्रशिक्षण दिया गया है.

''हिमाचल प्रदेश में उन्नत किस्म की हरमन-99 प्रजाति से तैयार सेब के पौधों को फिलहाल लगाया गया है. उनका मानना है कि सभी किसान सेब के उपलब्ध कराए गए पौधे की देखभाल अच्छी तरीके से करें तो फरवरी और मार्च महीने तक इन पौधों में पत्ते आने शुरू हो जाएंगे. इतना ही नहीं, 2 वर्षो के अंदर इसमें फूल भी देने शुरू हो जाएंगे.'' - बजरंग कुमार सिंह, नोडल कृषि समन्वयक, गोपालगंज

बजरंग कुमार सिंह ने बताया कि किसान 3 से 5 वर्षों के अंदर सेब की अच्छी फसल प्राप्त कर पैदावार के साथ-साथ अपनी आमदनी भी बढ़ा सकेंगे. फिलहाल इसका ट्रायल किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि ट्रायल के बाद यदि स्थिति अनुकूल रही, तो विभाग विस्तृत पैमाने पर सेब की खेती शुरू करायेगा. अन्य किसानों को इसकी खेती के लिए प्रशिक्षण भी दिया जायेगा. सेब की खेती को व्यापक रूप देने के लिए विभाग पूरी तैयारी में है.

अधिकारी मानते हैं कि गोपालगंज जिले की मिट्टी सेब की खेती के लिए पूरी तरह उपयुक्त है. किसान बस परंपरागत खेती से कुछ अलग हटकर सेब की खेती के लिए आगे बढ़ें, इससे किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी.

ये भी पढ़ेंः बॉलीवुड स्टार पंकज त्रिपाठी के एक्टर बनने की कहानी, बचपन के दोस्तों से सुनिए उन्हीं की जुबानी

गोपालगंज के डीएम डॉ. नवल किशोर चौधरी (DM Naval Kishore Choudhary) बताते हैं कि बिहार में पहली बार गोपालगंज में सेब की खेती का प्रयोग किया जा रहा है. इसकी सफलता किसानों के लिए बड़ा परिवर्तन होगा. उन्होंने कहा कि चयनित किसानों को ट्रायल के रूप में सेब के खेती कराई जा रही है.

''जिले में फिलहाल कुल 56 किसानों को चिहिन्त कर पहले आत्मा की ओर से प्रशिक्षण दिया गया और फिर कृषि वैज्ञानिकों की देखरेख में सेब के पौधा का प्लांटेंशन कराया गया है. ग्रामीण क्षेत्र में विभाग द्वारा सेब की खेती शुरू कराने से किसान भी खुश दिख रहे हैं.'' - डॉ. नवल किशोर चौधरी, जिलाधिकारी, गोपालगंज

इधर, अहमदाबाद के नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान के प्रशिक्षक डा. पार्थ कुमार दवे ने बताया कि गोपालगंज जिले की मिट्टी सेब की खेती के लिए पूरी तरह उपयुक्त है. यहां कृषक मेहनती भी हैं. बता दें कि डॉ. दवे की देखरेख में भी यहां सेब की खेती की जा रही है.

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गोपालगंज: बिहार के लोगों को सेब के लिए कश्मीर और हिमाचल प्रदेश से सेब आने का इंतजार नहीं करना पडेगा. बिहार के गोपालगंज में कृषि विभाग की योजना (Agriculture Department Plan) सफल रही तो वहां की खेतों में भी अब सेब से लदे बगान (Gopalganj Apple Orchard) आपको देखने को मिलेंगे.

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गोपालगंज के सभी प्रखंडों में चार-चार प्रगतिशील किसानों को सेब की खेती के लिए चुना गया है. कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण (आत्मा) के तहत विभाग की नवाचार गतिविधि में इसे शामिल किया गया है.

कृषि विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि इसके तहत जिले के सभी 14 प्रखंडों से चार-चार किसानों का चयन किया गया है. इन किसानों के लिए विभाग से शत प्रतिशत अनुदान पर सेब के पौधे उपलब्ध कराये गये हैं. प्रत्येक किसान विभाग से 25-25 पौधे लेकर विभागीय टीम की देख रेख में लगभग 4 . 25 कट्ठा जमीन में सेब की खेती कर रहे हैं.

गोपालगंज के नोडल कृषि समन्वयक बजरंग कुमार सिंह (Bajrang Kumar Singh) बताते हैं कि सभी प्रखंडों में सेब के पौधे लगा दिए गए हैं. उन्होंने बताया कि इसके लिए किसानों को बजाब्ता प्रशिक्षण दिया गया है.

''हिमाचल प्रदेश में उन्नत किस्म की हरमन-99 प्रजाति से तैयार सेब के पौधों को फिलहाल लगाया गया है. उनका मानना है कि सभी किसान सेब के उपलब्ध कराए गए पौधे की देखभाल अच्छी तरीके से करें तो फरवरी और मार्च महीने तक इन पौधों में पत्ते आने शुरू हो जाएंगे. इतना ही नहीं, 2 वर्षो के अंदर इसमें फूल भी देने शुरू हो जाएंगे.'' - बजरंग कुमार सिंह, नोडल कृषि समन्वयक, गोपालगंज

बजरंग कुमार सिंह ने बताया कि किसान 3 से 5 वर्षों के अंदर सेब की अच्छी फसल प्राप्त कर पैदावार के साथ-साथ अपनी आमदनी भी बढ़ा सकेंगे. फिलहाल इसका ट्रायल किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि ट्रायल के बाद यदि स्थिति अनुकूल रही, तो विभाग विस्तृत पैमाने पर सेब की खेती शुरू करायेगा. अन्य किसानों को इसकी खेती के लिए प्रशिक्षण भी दिया जायेगा. सेब की खेती को व्यापक रूप देने के लिए विभाग पूरी तैयारी में है.

अधिकारी मानते हैं कि गोपालगंज जिले की मिट्टी सेब की खेती के लिए पूरी तरह उपयुक्त है. किसान बस परंपरागत खेती से कुछ अलग हटकर सेब की खेती के लिए आगे बढ़ें, इससे किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी.

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गोपालगंज के डीएम डॉ. नवल किशोर चौधरी (DM Naval Kishore Choudhary) बताते हैं कि बिहार में पहली बार गोपालगंज में सेब की खेती का प्रयोग किया जा रहा है. इसकी सफलता किसानों के लिए बड़ा परिवर्तन होगा. उन्होंने कहा कि चयनित किसानों को ट्रायल के रूप में सेब के खेती कराई जा रही है.

''जिले में फिलहाल कुल 56 किसानों को चिहिन्त कर पहले आत्मा की ओर से प्रशिक्षण दिया गया और फिर कृषि वैज्ञानिकों की देखरेख में सेब के पौधा का प्लांटेंशन कराया गया है. ग्रामीण क्षेत्र में विभाग द्वारा सेब की खेती शुरू कराने से किसान भी खुश दिख रहे हैं.'' - डॉ. नवल किशोर चौधरी, जिलाधिकारी, गोपालगंज

इधर, अहमदाबाद के नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान के प्रशिक्षक डा. पार्थ कुमार दवे ने बताया कि गोपालगंज जिले की मिट्टी सेब की खेती के लिए पूरी तरह उपयुक्त है. यहां कृषक मेहनती भी हैं. बता दें कि डॉ. दवे की देखरेख में भी यहां सेब की खेती की जा रही है.

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