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महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही अहिल्या, मशरूम की खेती कर चलाती हैं दाल रोटी - अहिल्या

गोपालगंज जिले के मकसूदपुर मंझरिया गांव निवासी विद्या प्रसाद यादव की पुत्री अहिल्या ने मशरूम की खेती की शुरुआत की और ढाई हजार महिलाओं को मशरूम की खेती से जोड़कर रोजगार भी दी है. जिस कारण आज अहिल्या को लोग मशरूम दीदी के नाम से जानी जाती है.

अहिल्या
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Published : Jan 20, 2020, 10:22 AM IST

गोपालगंज: कहते हैं मन में अगर कुछ करने की दृढ़ इच्छा शक्ति हो तो परेशानी आड़े नहीं आती. इस वाक्य को गोपालगंज की बेटी अहिल्या ने सही साबित कर दिया है. ये महिला आज खुद आत्मनिर्भर बनी और साथ-साथ दूसरों को भी स्वावलंबी बना रही है. इसके साथ ही वह अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत भी बन चुकी है.

गोपालगंज जिले के मकसूदपुर मंझरिया गांव निवासी विद्या प्रसाद यादव की पुत्री अहिल्या ने मशरुम की खेती की शुरुआत की और ढाई हजार महिलाओं को मशरूम की खेती से जोड़कर रोजगार भी दिया है. जिस कारण आज अहिल्या को लोग मशरूम दीदी के नाम से जानते हैं.

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महिलाओं को प्रशिक्षण देती अहिल्या

लोगों के लिए बनी मिसाल
ईटीवी भारत ने अहिल्या कुमारी से बात भी की. इस दौरान उन्होंने बताया कि साल 2002 में वह त्रिपुरा गई थी, वहां उन्होंने मशरूम की खेती करते लोगों को देखा और वहीं से कुछ जानकारी प्राप्त कर खुद को खेती से जोड़ने की ठानी. बता दें कि अहिल्या शुरुआती दौर से ही सामाजिक कार्यों में जुटी रहती हैं. उन्होंने कहा कि उनके गांव में ऐसे कई महिलाएं हैं, जो रोजी-रोटी के लिए तरस रही हैं. इसलिए वह मशरूम की खेती के की गुण सीखकर वापस लौटीं और अपने गांव आकर मशरूम की खेती कर लोगों के लिए मिसाल काम कर दिया.

लोगों को दी फ्री में प्रशिक्षण
अहिल्या ने कहा कि शुरूआती दौर में कई समस्याएं भी आई. लोग इस खेती को करना नहीं चाहते थे. उन्होंने कहा कि लोगों में समझ कम थी लेकिन उसने हार नहीं मानी और अपना प्रयास जारी रखा. बता दें कि जिले के विभिन्न प्रखंडों में जाकर निस्वार्थ भाव से समझाना और फिर इसके प्रति लोगों में जगरूकता पैदा करना अहिल्या की दिनचर्या थी. अहिल्या ने कहा कि धीरे धीरे उनकी मेहनत रंग लाने लगी और लोग समझने लगे. जिसके बाद उन्होंने महिलाओं को फ्री में ही इसकी शिक्षा देनी शुरू कर दी.

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मशरूम की खेती


कृषि विभाग का मिला साथ
महिला के इस प्रयास को देख कर कृषि विभाग ने इन्हें मशरूम की खेती के लिए प्रोत्साहित किया. इनके ओर से दी गई प्रशिक्षण के बाद किसानों को विभाग की मदद से पैकेट उपलब्ध कराया जाता है. जिसमें भूसी, बीज, दवाइयां समेत कई चीजें दी जाती है. साथ ही इस खेती को करने के लिए किसान को अपने पास से 6 रुपये लगाने पड़ते हैं, बाकी 54 रुपये सरकार मुहैया कराती है.

2010 में हुई थी शादी
अहिल्या ने बताया कि पुलिस विभाग में टेक्निकल ऑफिसर के पद पर कार्य करने का मौका मिला. लेकिन, उन्होंने उसे भी छोड़ कर महिलाओं को स्वावलंबी बनाने में लगी रही. अहिल्या की शादी साल 2010 में पटना जिले के रणधीर कुमार से हुई. इनके पति पेशे से व्यवसायी हैं. लेकिन, ये अपने बच्चों के साथ अपने मायके में ही रहती हैं. उन्होंने कहा कि राजनीतिक शास्त्र से स्नातक तक की पढ़ाई खुद के पैसे से की और इस बीच कई सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा भी लिया. बता दें कि अहिल्या पूर्व में जिला प्रशासन के जिला निगरानी समिति के सदस्य भी रही हैं. वहीं, वर्तमान में सदर अस्पताल में रोगी कल्याण समिति के सदस्य भी हैं. मालूम हो कि अहिल्या सिर्फ मशरूम की खेती के जानकार ही नहीं हैं बल्कि इन्हें 72 प्रकार के ट्रेंड का हुनर है. आचार, अगरबत्ती, मोमबत्ती, पापड़, हथकर्घ, कढ़ाई, बुनाई, सिलाई समेत कई प्रकार का भी प्रशिक्षण महिलाओं को देकर रोजगार से जोड़ती हैं. अहिल्या ने बताया कि साल 2021 और 22 तक 10 -15 हजार महिलाओं को रोजगार से जोड़ने का लक्ष्य है.

देखिए खास रिपोर्ट

10-15 हजार कमा रही महिला
महिलाओं को स्वावलंबी बनाने में जिस तरह अहिल्या जुटी है और उन्होंने 10 से 15 हजार महिलाओ को रोजगार से जोड़ने की प्रतिज्ञा को पूरा करने में लगी है इनके प्रयास महिला प्रति माह 10 से 15 हजार की आमदनी कमा रही हैं. अहिल्या के इस प्रयास से उन महिलाओं के घर के आर्थिक दशा भी बदलने लगी है जो पहले 2 जून की रोटी के लिए जद्दोजहद करती थी.

गोपालगंज: कहते हैं मन में अगर कुछ करने की दृढ़ इच्छा शक्ति हो तो परेशानी आड़े नहीं आती. इस वाक्य को गोपालगंज की बेटी अहिल्या ने सही साबित कर दिया है. ये महिला आज खुद आत्मनिर्भर बनी और साथ-साथ दूसरों को भी स्वावलंबी बना रही है. इसके साथ ही वह अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत भी बन चुकी है.

गोपालगंज जिले के मकसूदपुर मंझरिया गांव निवासी विद्या प्रसाद यादव की पुत्री अहिल्या ने मशरुम की खेती की शुरुआत की और ढाई हजार महिलाओं को मशरूम की खेती से जोड़कर रोजगार भी दिया है. जिस कारण आज अहिल्या को लोग मशरूम दीदी के नाम से जानते हैं.

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महिलाओं को प्रशिक्षण देती अहिल्या

लोगों के लिए बनी मिसाल
ईटीवी भारत ने अहिल्या कुमारी से बात भी की. इस दौरान उन्होंने बताया कि साल 2002 में वह त्रिपुरा गई थी, वहां उन्होंने मशरूम की खेती करते लोगों को देखा और वहीं से कुछ जानकारी प्राप्त कर खुद को खेती से जोड़ने की ठानी. बता दें कि अहिल्या शुरुआती दौर से ही सामाजिक कार्यों में जुटी रहती हैं. उन्होंने कहा कि उनके गांव में ऐसे कई महिलाएं हैं, जो रोजी-रोटी के लिए तरस रही हैं. इसलिए वह मशरूम की खेती के की गुण सीखकर वापस लौटीं और अपने गांव आकर मशरूम की खेती कर लोगों के लिए मिसाल काम कर दिया.

लोगों को दी फ्री में प्रशिक्षण
अहिल्या ने कहा कि शुरूआती दौर में कई समस्याएं भी आई. लोग इस खेती को करना नहीं चाहते थे. उन्होंने कहा कि लोगों में समझ कम थी लेकिन उसने हार नहीं मानी और अपना प्रयास जारी रखा. बता दें कि जिले के विभिन्न प्रखंडों में जाकर निस्वार्थ भाव से समझाना और फिर इसके प्रति लोगों में जगरूकता पैदा करना अहिल्या की दिनचर्या थी. अहिल्या ने कहा कि धीरे धीरे उनकी मेहनत रंग लाने लगी और लोग समझने लगे. जिसके बाद उन्होंने महिलाओं को फ्री में ही इसकी शिक्षा देनी शुरू कर दी.

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मशरूम की खेती


कृषि विभाग का मिला साथ
महिला के इस प्रयास को देख कर कृषि विभाग ने इन्हें मशरूम की खेती के लिए प्रोत्साहित किया. इनके ओर से दी गई प्रशिक्षण के बाद किसानों को विभाग की मदद से पैकेट उपलब्ध कराया जाता है. जिसमें भूसी, बीज, दवाइयां समेत कई चीजें दी जाती है. साथ ही इस खेती को करने के लिए किसान को अपने पास से 6 रुपये लगाने पड़ते हैं, बाकी 54 रुपये सरकार मुहैया कराती है.

2010 में हुई थी शादी
अहिल्या ने बताया कि पुलिस विभाग में टेक्निकल ऑफिसर के पद पर कार्य करने का मौका मिला. लेकिन, उन्होंने उसे भी छोड़ कर महिलाओं को स्वावलंबी बनाने में लगी रही. अहिल्या की शादी साल 2010 में पटना जिले के रणधीर कुमार से हुई. इनके पति पेशे से व्यवसायी हैं. लेकिन, ये अपने बच्चों के साथ अपने मायके में ही रहती हैं. उन्होंने कहा कि राजनीतिक शास्त्र से स्नातक तक की पढ़ाई खुद के पैसे से की और इस बीच कई सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा भी लिया. बता दें कि अहिल्या पूर्व में जिला प्रशासन के जिला निगरानी समिति के सदस्य भी रही हैं. वहीं, वर्तमान में सदर अस्पताल में रोगी कल्याण समिति के सदस्य भी हैं. मालूम हो कि अहिल्या सिर्फ मशरूम की खेती के जानकार ही नहीं हैं बल्कि इन्हें 72 प्रकार के ट्रेंड का हुनर है. आचार, अगरबत्ती, मोमबत्ती, पापड़, हथकर्घ, कढ़ाई, बुनाई, सिलाई समेत कई प्रकार का भी प्रशिक्षण महिलाओं को देकर रोजगार से जोड़ती हैं. अहिल्या ने बताया कि साल 2021 और 22 तक 10 -15 हजार महिलाओं को रोजगार से जोड़ने का लक्ष्य है.

देखिए खास रिपोर्ट

10-15 हजार कमा रही महिला
महिलाओं को स्वावलंबी बनाने में जिस तरह अहिल्या जुटी है और उन्होंने 10 से 15 हजार महिलाओ को रोजगार से जोड़ने की प्रतिज्ञा को पूरा करने में लगी है इनके प्रयास महिला प्रति माह 10 से 15 हजार की आमदनी कमा रही हैं. अहिल्या के इस प्रयास से उन महिलाओं के घर के आर्थिक दशा भी बदलने लगी है जो पहले 2 जून की रोटी के लिए जद्दोजहद करती थी.

Intro:महिलाओं को स्वावलंबी बनाने में जुटी है अहिल्या
----करीब ढाई हजार महिलाओ को मशरूम के खेती से जोड़ कर बनाया स्वावलंबी

गोपालगंज। कहते हैं मन में अगर कुछ करने की दृढ़ इच्छा शक्ति हो तो परेशानी आड़े नहीं आती। यह सिद्ध कर दिया है। गोपालगंज की बेटी ने जिन्होंने ना सिर्फ अपने परिवार के भरण-पोषण का जिम्मा अपने कंधों पर उठा लिया बल्कि अन्य महिलाओं को रोजगार से जोड़ कर अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बन गई है।





Body:हम बात कर रहे है गोपालगंज जिले के मक़सूदपुर मंझरिया गाँव निवासी विद्या प्रसाद यादव की पुत्री अहिल्या की। जिसने ना सिर्फ खुद स्वावलंबी बनी है, बल्कि ढाई हजार महिलाओ को मशरूम की खेती से जोड़कर रोजगार दी। आज अहिल्या को लोग मशरूम दीदी के नाम से जानते है। अहिल्या उन महिलाओं के लिए किसी फरिस्ता से कम नही है, जो पहले अपने घरों तक सिमटी थी घर के सदस्य मेहनत मजदूरी करते थे और महिलाएं की दिनचर्या चूल्हा चौकी में ही बीत जाती थी। लेकिन इन महिलाओ को स्वावलंबी बनाने में यहां के महिला अहिल्या कुमारी जुटी हुई है। अहिल्या ना सिर्फ खुद अपने पैरों पर खड़ी होकर स्वावलंबी बनी है बल्कि 25 सौ से ज्यादा महिलाओं को रोजगार से जोड़ कर मशरूम की खेती कराकर उनकी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ की है। आज मशरुम की खेती से जुड़ कर यहां की महिला 10 से 15 हजार रुपये की आमदनी पा रही है। अहिल्या के इस प्रयास से उन महिलाओं के घर के आर्थिक दशा भी बदलने लगी है । पहले 2 जून की रोटी के लिए जद्दोजहद करने वाले घरों में खुशियां दस्तक दे रही है। मसरूम की खेती करने वाली उन महिलाओं के पास बदहाली ही बदहाली दिखती थी लेकिन अब यहां की महिलाएं अपने घर परिवार तथा गांव की दशा बदलने के लिए आगे बढ़ने लगी है । इस संदर्भ में अहिल्या कुमारी से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि वर्ष 2002 में त्रिपुरा गई थी वहां उन्होंने मशरूम की खेती करते लोगो को देखा और वही से कुछ जानकारी प्राप्त किया। सुरु से ही समाजिक कार्यो में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेने वाली अहिल्या ने सोचा कि क्यों न अपने गाँव जाकर इस खेती से महिलाओ को जोड़े ताकि घर बैठी महिलाएं अपने परिवार के ख्याल रखने के साथ ही रोजगार से जुड़ कर अच्छी आमदनी कमाए। और इसी सोच को लेकर अहिल्या गोपालगंज में मशरूम की खेती के लिए महिलाओ को प्रेरित करना शुरू कर दिया। शुरूआती दौर में कई समस्याएं आई लोग इस खेती को करना नही चाहते थे। लोगो में समझ कम थी लेकिन अहिल्या ने हार नही मानी और अपना प्रयास जारी रखा। जिले के विभिन्न प्रखंडों में जाकर निस्वार्थ भाव से समझाना और फिर इसके प्रति लोगों में जगरूकता पैदा करना इनकी दिन चर्या थी। और धीरे धीरे इनकी मेहनत रंग लाने लगी लोग समझने लगे महिलाए इनसे जुड़ने लगी और इसके बाद इन्होंने निःशुल्क मशरूम की खेती करने के लिए लोगो को प्रशिक्षण देने लगी जिसका असर हुआ कि आज इनसे करीब ढाई हजार महिलाएं जुड़ कर मशरूम की खेत कर रही है।

कृषि विभाग का मिला साथ

महिला के इस प्रयास को देख कर कृषि विभाग द्वार इन्हें मशरूम की खेती के लिए प्रोत्साहित किया। इनके द्वारा दी गई प्रशिक्षण के बाद किसानों को विभाग द्वारा पैकेट उपलब्ध कराया जाता है जिसमे भूसी, बीज, दवाइयां समेत कई चीजें दी जाती है। साथ ही इस खेती को करने के लिए किसान को अपने पास से 6 रुपये।लगाने पड़ते है बाकी 54 रुपये सरकार मुहैया कराती है।

कौन है अहिल्या

गोपालगंज जिले के मकसूदपुर मंझरिया गाँव निवासी एक साधारण किसान परिवार में जन्मी अहिल्या वैसी महिलाओ में से एक है जिसने समाजिक कार्यो के लिए कई बार के सरकारी नौकरी को दरकिनार किया। लेकिन सामाजिक कार्यो को नही छोड़ा। अहिल्या ने बताया कि पुलिस विभाग में टेक्निकल ऑफिसर के पद पर कार्य करने का मौका मिला। लेकिन उन्होंने उसे भी छोड़ कर महिलाओ को स्वावलंबी बनाने में लगी रही।अहिल्या की शादी वर्ष 2010 में पटना जिले के रणधीर कुमार से हुई। इनका पति पेशे से व्यवसायी है। लेकिन ये अपने बच्चो के साथ अपने मैके में ही रहती है। राजनीतिक शास्त्र से स्नातक तक की पढ़ाई खुद के पैसे से की और इस बीच कई सामाजिक कार्यो में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। अहिल्या पूर्व में जिला प्रशासन के जिला निगरानी समिति के सदस्य रही वही वर्तमान में सदर अस्पताल में रोगी कल्याण समिति के सदस्य भी है। अहिल्या सिर्फ मशरूम की खेती के जानकार ही नही है बल्कि इन्हें 72प्रकार के ट्रेंड का हुनर है। आचार अगरबत्ती मोमबत्ती, पापड़, हथकर्घ, कढ़ाई , बुनाई , सिलाई समेत कई प्रकार का भी प्रशिक्षण महिलाओ को देकर रोजगार से जोड़ती है। अहिल्या ने बताया कि वर्ष 2021 व 22तक 10 से15 हजार महिलाओ को रोजगार से जोड़ने का लक्ष्य है।
बाइट-अहिल्या कुमारी
बाइट-मैना देवी, पिला साड़ी,प्रशिक्षण प्राप्त करने वाली महिला




Conclusion:महिलाओं को स्वावलंबी बनाने में जिस तरह अहिल्या जुटी है और उन्होंने 10 से 15 हजार महिलाओ को रोजगार से जोड़ने की प्रतिज्ञा को पूरा करने में लगी है इनके प्रयास महिला प्रति माह 10 से 15 हजार की आमदनी कमा रही है।।
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