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वियतनाम की संस्था गया की महिलाओं को बना रही है आत्मनिर्भर, अब तक सैकड़ों महिलाओं को मिला रोजगार - nagyuen heen

संस्था के गुरुजी कहते है कि 10 सालों से मैं महिलाओं को इस संस्था में सिलाई सिखा रहा हूं. अब तक 1000 से ज्यादा महिलाओं को  ट्रेंनिंग दे चुका हूं. हमलोग के जानकारी में 100 से अधिक महिलाएं सिलाई कर घर को चला रही हैं.

सिलाई सीखती महिलाएं
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Published : Jul 30, 2019, 9:10 AM IST

गया: जिले के शहर बोधगया में वियतनाम संस्था महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का काम कर रही है. इस संस्था की शुरुआत वियतनाम के तत्कालीन राष्ट्रपति की पत्नी नगुयेन हीन ने करवाया था. यहां गरीब महिलाओं को निःशुल्क सिलाई का प्रशिक्षण देकर उन्हें स्वाबलंबी बनाया जाता है. इसके अलावा सिलाई सीखने के दौरान जो रद्दी निकलता हैं उसे झोला बनाकर गरीबों को बांटा जाता है. जो महिला जल्दी ही सिलाई सीख जाती हैं उन्हें संस्था की तरफ से रोजगार करने के लिए एक सिलाई मशीन भी दिया जाता है.

निशुल्क सिलाई सीखाने की पहल

हजारों महिला बनी आत्मनिर्भर
इस संस्था के गुरुजी बताते हैं कि 10 सालों से मैं महिलाओं को इस संस्था में सिलाई सिखा रहा हूं. अब तक 1000 से ज्यादा महिलाओं को ट्रेंनिंग दे चुका हूं. हमलोग के जानकारी में 100 से अधिक में सिलाई कर घर को चला रही हैं. इस संस्था में ऐसी-ऐसी महिलाएं थी, जिनको कुछ नंही पता था ना ही पढ़ी-लिखी थी. अब वो महिलाएं अपना सिलाई शॉप चलाती हैं.

gaya
संस्था का शुभारंभ नगुयेन हीन

प्रशिक्षण प्राप्त कर रही शिवानी शर्मा बताती हैं कि हमारे गांव की कुछ महिलाएं यहां से सीखकर कुछ महीनों में अपना सिलाई दुकान खोल ली. हमलोग घर में ऐसे ही बैठे रहते थे. जब निःशुल्क ट्रेनिंग दी जा रहा है तो सीखने में क्या हर्ज है.

गया: जिले के शहर बोधगया में वियतनाम संस्था महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का काम कर रही है. इस संस्था की शुरुआत वियतनाम के तत्कालीन राष्ट्रपति की पत्नी नगुयेन हीन ने करवाया था. यहां गरीब महिलाओं को निःशुल्क सिलाई का प्रशिक्षण देकर उन्हें स्वाबलंबी बनाया जाता है. इसके अलावा सिलाई सीखने के दौरान जो रद्दी निकलता हैं उसे झोला बनाकर गरीबों को बांटा जाता है. जो महिला जल्दी ही सिलाई सीख जाती हैं उन्हें संस्था की तरफ से रोजगार करने के लिए एक सिलाई मशीन भी दिया जाता है.

निशुल्क सिलाई सीखाने की पहल

हजारों महिला बनी आत्मनिर्भर
इस संस्था के गुरुजी बताते हैं कि 10 सालों से मैं महिलाओं को इस संस्था में सिलाई सिखा रहा हूं. अब तक 1000 से ज्यादा महिलाओं को ट्रेंनिंग दे चुका हूं. हमलोग के जानकारी में 100 से अधिक में सिलाई कर घर को चला रही हैं. इस संस्था में ऐसी-ऐसी महिलाएं थी, जिनको कुछ नंही पता था ना ही पढ़ी-लिखी थी. अब वो महिलाएं अपना सिलाई शॉप चलाती हैं.

gaya
संस्था का शुभारंभ नगुयेन हीन

प्रशिक्षण प्राप्त कर रही शिवानी शर्मा बताती हैं कि हमारे गांव की कुछ महिलाएं यहां से सीखकर कुछ महीनों में अपना सिलाई दुकान खोल ली. हमलोग घर में ऐसे ही बैठे रहते थे. जब निःशुल्क ट्रेनिंग दी जा रहा है तो सीखने में क्या हर्ज है.

Intro:'कदम छोटे हैं पर लक्ष्य बड़ा है' ये बाते गया के बोधगया में स्थित वियतनाम की संस्था साबित कर रही है। वियतनाम देश के तत्कालीन राष्ट्रपति के पत्नी नगुयेन हीन द्वारा शुभारंभ हुआ निःशुल्क सिलाई प्रशिक्षण केंद्र गरीब महिलाओं को स्वालंबी बना रहा है। ये संस्था निःशुल्क प्रशिक्षण देती हैं बदले में सिलाई सीखने के दौरान जो रद्दी निकलता हैं उसे झोला बनाकर गरीबो में बांटना रहता है।


Body:गया के बोधगया प्रखंड में हथियार गांव में वियतनाम देश के सामाजिक महिला माता जी कुक थी तरण द्वारा संचालित सिद्धार्थ कम्पेशन ट्रस्ट में गरीब महिलाओं को निःशुल्क सिलाई का ट्रेनिंग दिया जाता है। छः माह के कोर्स में जो महिला अच्छी से सिख लेती है उनको रोजगार करने के लिए संस्था द्वारा सिलाई मशीन दिया जाता है।

प्रशिक्षण प्राप्त कर रही है शिवानी शर्मा बताती हैं हमलोग के गांव कुछ महिला यहां सीखने आयी कुछ महीनों में सीखकर अपना सिलाई दुकान खोल दी। हमलोग घर ऐसे ही बैठे रहते थे। निःशुल्क जब ट्रेनिग दिया जा रहा है हमलोग सीखने आ गए है। तीन माह हुआ सीखे हुए बहुत तरह तरीके से कपड़ा सिलना सिख गए है। ट्रेनिग के बाद जो अच्छा से करता है उनको पुरस्कार स्वरूप रोजगार के लिए सिलाई मशीन दिया जाता है। यहाँ निःशुल्क ट्रेनिग के एवज में प्लास्टिक बैन को लेकर जो पर्यावरण को बचाने के लिए रद्दी कपड़ो को झोला बनाकर गरीबो की बीच निःशुल्क बांटना होता हैं। संस्था इसके पीछे उद्देश्य हैं प्लास्टिक बैग का उपयोग नही हो।

10 सालो से महिलाओं को सिलाई के ट्रेनिग देने वाले गुरुजी के नाम से प्रसिद्ध बताते हैं 10 सालो से मैं महिलाओं को इस संस्था में सिलाई सिखा रहा हूँ। अब तक हजार से ज्यादा महिला ट्रेंनिंग यहां से प्राप्त की हैं । हमलोग के जानकारी में 100 से अधिक में सिलाई कर घर को चला रही हैं। ये आंकड़ा बहुत हो सकता हैं बहुत लड़कियां शादी के बाद वही रह जाती हैं। इस संस्था ऐसी ऐसी महिलाएं जिनको कुछ नही पता था ना पढ़ी थी ना ही आगे कुछ सोची थी। अब वो महिलाएं सिलाई शॉप खोल ली हैं।




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