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गया में तीन रंगों के गेहूं की खेती, कैंसर और डायबिटीज के लिए हैं रामबाण

बिहार के गया में पिछले साल तीन रंगों के गेहूं की खेती पहली बार इंजीनियर आशीष कुमार ने की थी. इस साल भी आशीष कुमार खुद तीन रंगों की गेहूं की खेती कर रहे हैं. साथ ही दर्जनों किसानों को प्रेरित कर बीज उपलब्ध करवा रहे हैं. आशीष का कहना है कि तीन रंगों वाली गेहूं की रोटी कैंसर और डायबिटीज मरीजों के लिए रामबाण है.

तीन रंगों के गेहूं की खेती
तीन रंगों के गेहूं की खेती
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Published : Dec 3, 2020, 5:32 PM IST

Updated : Dec 3, 2020, 7:17 PM IST

गया: पिछले साल आशीष कुमार ने टिकारी में तीन रंगों के गेहूं की खेती करने की शुरुआत की थी. इस साल भी टिकारी प्रखंड और शेरघाटी प्रखंड के क्षेत्रों में आशीष कुमार ने तीन रंगों के गेहूं की फसल की बुआई की है. आशीष के तीन रंगों की गेंहू की फसल को देखने और जानने दूर दूर से किसान आ रहे हैं. दरअसल, टिकारी प्रखंड के रहने वाले आशीष कुमार छत्तीसगढ़ में इंजीनियरिंग कॉलेज में इंजीनियरिंग छात्रों को पढ़ाते थे.

आशीष कुमार कर रहे खेती के लिए प्रेरित
आशीष कुमार कर रहे खेती के लिए प्रेरित

आशीष कर रहे खेती के लिए प्रेरित
गया जिले के शेरघाटी प्रखण्ड के रतनपुरा गांव के किसान बताते हैं कि उन्होंने तीन हेक्टेयर में काले गेहूं की खेती की है. आशीष कुमार ने उन्हें इसके लिए प्रेरित किया था. उन्होंने इसके लिए बीज भी दिए हैं. सामान्य गेहूं की तरह इस गेहूं की बुआई की है. उम्मीद है कि हमारी फसल अच्छी होगी. गांव में 12 किसानों ने काले गेहूं की खेती की है.

तीन रंगों के गेहूं की खेती
तीन रंगों के गेहूं की खेती

''ब्लैक, पर्पल और ब्लू कलर के गेहूं की खेती कर रहे हैं. मगध किसान काला चावल की खेती अधिक करते थे, मैंने पहली बार पूरे बिहार में तीन रंगों की गेहूं की खेती की थी. इस बार मैंने 100 से ज्यादा किसानों को बीज के तौर पर गेहूं दिए हैं. मेरे प्रयास से तीन रंगों के गेहूं गया सहित मगध के अन्य जिलों में सैकड़ों हेक्टेयर में खेती हो रही है.'' - आशीष कुमार, किसान

तीन रंगों के गेहूं की खेती
तीन रंगों के गेहूं की खेती

इन रोगों को करता है नियंत्रित
काले गेहूं में पौष्टिक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. इसमें कार्बोहाइड्रेट, पोटाश, विटामिन, जिंक, आयरन व फाइबर आदि तत्व पारंपरिक गेहूं के मुकाबले दोगुनी मात्रा में होते हैं. जो कि मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए खाने योग्य है. इसका सेवन करने से कैंसर मरीजों को बड़ी राहत मिलती है. इसके साथ ही इसका सेवन करने से रेडिकल्स फ्री रहने के कारण आदमियों के चेहरों में झुर्रियां नही पड़ती है. तीन रंगों के गेहूं बाजारों आम गेहूं के मुकाबले कई गुना अधिक दामों पर बिकता है. एक अनुमान के तहत ये गेहूं बिहार में चार हजार प्रति क्विंटल तक बिकता है.

तीन रंगों के गेहूं की खेती

रिसर्च कर बनाया गया है इस गेहूं का बीज
बता दें कि आशीष कुमार छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ के इंजीनियरिंग कॉलेज में वाइस प्रिंसिपल की नौकरी छोड़कर विशेष प्रजाति के तीन रंगों के गेहूं की खेती कर रहे हैं. इस बीज का इजाद पंजाब के मोहाली में नेशनल एग्री बायोटेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट की डॉ. मोनिका गर्ग ने किया है. ये बीज प्राकृतिक नहीं है. इस बीज को रिसर्च करके बनाया गया है. तीन रंगों के गेहूं की खेती पंजाब, हरियाणा और मध्यप्रदेश में ज्यादा हो रही है. बिहार में इस साल 200 से ज्यादा किसान काले गेहूं की खेती कर रहे हैं.

गया: पिछले साल आशीष कुमार ने टिकारी में तीन रंगों के गेहूं की खेती करने की शुरुआत की थी. इस साल भी टिकारी प्रखंड और शेरघाटी प्रखंड के क्षेत्रों में आशीष कुमार ने तीन रंगों के गेहूं की फसल की बुआई की है. आशीष के तीन रंगों की गेंहू की फसल को देखने और जानने दूर दूर से किसान आ रहे हैं. दरअसल, टिकारी प्रखंड के रहने वाले आशीष कुमार छत्तीसगढ़ में इंजीनियरिंग कॉलेज में इंजीनियरिंग छात्रों को पढ़ाते थे.

आशीष कुमार कर रहे खेती के लिए प्रेरित
आशीष कुमार कर रहे खेती के लिए प्रेरित

आशीष कर रहे खेती के लिए प्रेरित
गया जिले के शेरघाटी प्रखण्ड के रतनपुरा गांव के किसान बताते हैं कि उन्होंने तीन हेक्टेयर में काले गेहूं की खेती की है. आशीष कुमार ने उन्हें इसके लिए प्रेरित किया था. उन्होंने इसके लिए बीज भी दिए हैं. सामान्य गेहूं की तरह इस गेहूं की बुआई की है. उम्मीद है कि हमारी फसल अच्छी होगी. गांव में 12 किसानों ने काले गेहूं की खेती की है.

तीन रंगों के गेहूं की खेती
तीन रंगों के गेहूं की खेती

''ब्लैक, पर्पल और ब्लू कलर के गेहूं की खेती कर रहे हैं. मगध किसान काला चावल की खेती अधिक करते थे, मैंने पहली बार पूरे बिहार में तीन रंगों की गेहूं की खेती की थी. इस बार मैंने 100 से ज्यादा किसानों को बीज के तौर पर गेहूं दिए हैं. मेरे प्रयास से तीन रंगों के गेहूं गया सहित मगध के अन्य जिलों में सैकड़ों हेक्टेयर में खेती हो रही है.'' - आशीष कुमार, किसान

तीन रंगों के गेहूं की खेती
तीन रंगों के गेहूं की खेती

इन रोगों को करता है नियंत्रित
काले गेहूं में पौष्टिक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. इसमें कार्बोहाइड्रेट, पोटाश, विटामिन, जिंक, आयरन व फाइबर आदि तत्व पारंपरिक गेहूं के मुकाबले दोगुनी मात्रा में होते हैं. जो कि मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए खाने योग्य है. इसका सेवन करने से कैंसर मरीजों को बड़ी राहत मिलती है. इसके साथ ही इसका सेवन करने से रेडिकल्स फ्री रहने के कारण आदमियों के चेहरों में झुर्रियां नही पड़ती है. तीन रंगों के गेहूं बाजारों आम गेहूं के मुकाबले कई गुना अधिक दामों पर बिकता है. एक अनुमान के तहत ये गेहूं बिहार में चार हजार प्रति क्विंटल तक बिकता है.

तीन रंगों के गेहूं की खेती

रिसर्च कर बनाया गया है इस गेहूं का बीज
बता दें कि आशीष कुमार छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ के इंजीनियरिंग कॉलेज में वाइस प्रिंसिपल की नौकरी छोड़कर विशेष प्रजाति के तीन रंगों के गेहूं की खेती कर रहे हैं. इस बीज का इजाद पंजाब के मोहाली में नेशनल एग्री बायोटेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट की डॉ. मोनिका गर्ग ने किया है. ये बीज प्राकृतिक नहीं है. इस बीज को रिसर्च करके बनाया गया है. तीन रंगों के गेहूं की खेती पंजाब, हरियाणा और मध्यप्रदेश में ज्यादा हो रही है. बिहार में इस साल 200 से ज्यादा किसान काले गेहूं की खेती कर रहे हैं.

Last Updated : Dec 3, 2020, 7:17 PM IST
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