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बिहार में लॉकडाउन: बोधगया में फंसे विभिन्न देशों के बौद्ध भिक्षुओं की समाजसेवी ने की मदद

कोरोना वायरस और लॉकडाउन का व्यापक प्रभाव पर्व-त्योहारों पर भी देखने को मिल रहा है. इसी कड़ी में लॉकडाउन के दरम्यान बोधगया में फंसे विभिन्न देशों के बौद्ध भिक्षुओं को समाजसेवी ने मदद की.

gaya
बौद्ध भिक्षुओं की समाजसेवी ने की मदद
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Published : May 25, 2021, 8:27 PM IST

गया: बुधवार को बुद्ध पूर्णिमा है, बुद्ध जयंती महाबोधि मंदिर में धूमधाम से मनाया जाता था. लेकिन इस साल कोरोना महामारी के वजह से महाबोधि मंदिर में सादगी से पूजा अर्चना की जाएगी. वहीं, बुद्ध पूर्णिमा के पूर्व बोधगया में लॉकडाउन फंसे अलग-अलग देशों के श्रद्धालु को सिद्धार्थ कम्पैशन ट्रस्ट के द्वारा उपहार के रूप में खाद्य साम्रगी और आर्थिक मदद की गई.

ये भी पढ़ें...बिहार में ब्लैक फंगस का कहर, जानिए डॉक्टर से बचाव के सलाह

'लॉकडाउन के कारण बोधगया में देश के विभिन्न राज्यों और अन्य देशों के बौद्ध श्रद्धालु फंसे हुए हैं. कल बुद्ध पूर्णिमा है और इनके पास खाने के लिए और पूजा के लिए पैसे नहीं है. सिद्धार्थ कम्पैशन ट्रस्ट के द्वारा ऐसे सभी बौद्ध भिक्षुओं को खाद्य साम्रगी और आर्थिक मदद की गई. बुद्ध की धरती पर उनके जयंती पर उनका अनुयायी दुःखी हो तो मानवता के लिए शर्म की बात है'.- विवेक कल्याण, सिद्धार्थ कम्पैशन ट्रस्ट के निदेशक

gaya
बौद्ध भिक्षुओं की समाजसेवी ने की मदद

ये भी पढ़ें...बिहार में चक्रवाती तूफान 'यास' को लेकर CM की समीक्षा बैठक, कोरोना की स्थिति पर भी चर्चा

इस समय बौद्ध श्रद्धालुओं से पटा रहता था गया
बता दें कि महाबोधि मंदिर में बुद्ध जयंती बड़ी धूमधाम से मनाई जाती थी. बुद्ध जयंती पर हर साल विभिन्न देशों से बौद्ध श्रद्धालु बोधगया आते थे. पूरे बोधगया से महाबोधि मंदिर में कई धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता था. विश्व शांति के लिए धम्म यात्रा निकाली जाती थी. बुद्धं शरणं गच्छामि के जयघोष से बुद्ध नगरी गुंजायमान रहती थी. मंदिर मार्ग पंचशील ध्वज से सजा रहता था. लेकिन वैश्चिक महामारी कोरोना ने सभी धर्मावलंबियों के पर्व-त्योहार को फीका कर दिया है.

गया: बुधवार को बुद्ध पूर्णिमा है, बुद्ध जयंती महाबोधि मंदिर में धूमधाम से मनाया जाता था. लेकिन इस साल कोरोना महामारी के वजह से महाबोधि मंदिर में सादगी से पूजा अर्चना की जाएगी. वहीं, बुद्ध पूर्णिमा के पूर्व बोधगया में लॉकडाउन फंसे अलग-अलग देशों के श्रद्धालु को सिद्धार्थ कम्पैशन ट्रस्ट के द्वारा उपहार के रूप में खाद्य साम्रगी और आर्थिक मदद की गई.

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इस समय बौद्ध श्रद्धालुओं से पटा रहता था गया
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