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मगध विश्वविद्यालय में शिक्षक और कर्मचारियों की कमी, छात्रों को झेलनी पड़ रही परेशानी - Gaya news

मगध विश्वविद्यालय में कई साल से शैक्षणिक कैलेंडर धूल फांक रही है. कई सेमेस्टर के सिलबेस पूरे नहीं हुए. शिक्षकों और कर्मचारियों की कमी के कारण यहां की शैक्षणिक व्यवस्था ध्वस्त है. विश्वविद्यालय के कुलसचिव और शिक्षक सरकार से मांग कर रहे हैं कि खाली पदों पर बहाली की जाए.

Magadh university
मगध विश्वविद्यालय
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Published : Jan 20, 2021, 5:57 PM IST

Updated : Jan 20, 2021, 8:45 PM IST

गया: भगवान बुद्ध की ज्ञान स्थली बोधगया में 1962 में मगध विश्वविद्यालय का निर्माण किया गया था. मगध विश्वविद्यालय की ख्याति एक समय बिहार के सबसे बड़े विश्वविद्यालय की थी. इसे सरकार ने विखंडित कर दिया. अब इस विश्वविद्यालय में सिर्फ 20 कॉलेज बजे हैं. शिक्षकों और कर्मचारियों की कमी के कारण यहां की शैक्षणिक व्यवस्था ध्वस्त है.

धूल फांक रही शैक्षणिक कैलेंडर
मगध विश्वविद्यालय में कई साल से शैक्षणिक कैलेंडर धूल फांक रही है. कई सेमेस्टर के सिलबेस पूरे नहीं हुए. इसकी एक ही वजह है टीचिंग और नन टीचिंग स्टाफ की कमी. मगध विश्वविद्यालय के छात्र सुबोध पाठक बताते हैं कि विश्वविद्यालय में पीजी की पढ़ाई के लिए सभी विषयों के शिक्षक नहीं हैं. कर्मचारियों की कमी के कारण डिग्री के लिए छात्रों को महीनों विश्वविद्यालय का चक्कर लगाना पड़ता है. विश्वविद्यालय को अपनी छवि बेहतर बनाने के लिए टीचिंग और नन टीचिंग स्टाफ की नियुक्ति करनी चाहिए. आए दिन शिक्षकों और कर्मचारियों की कमी के कारण विश्वविद्यालय की छवि धूमिल हो रही है.

देखें रिपोर्ट

कर्मचारियों पर है काम का दबाव
मगध विश्वविद्यालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अमितेश प्रकाश ने कहा "कर्मचारियों की कमी की वजह से कार्यरत कर्मचारियों पर काम का अधिक दबाव है. एक कर्मचारी तीन विषय की डिग्री बनाता है. उसी कर्मचारी को नामांकन से लेकर परीक्षा की प्रक्रिया में भी शामिल होना पड़ता है. इसके बाद भी छात्रों का आक्रोश झेलना पड़ता है. मगध विश्वविद्यालय में हर माह कर्मचारी रिटायर्ड हो रहे हैं रिटायर्ड होने पर पद रिक्त हो जा रहा है. ऐसे सैकड़ों कर्मचारियों का पद रिक्त है, जिस पर बहाली नहीं की गई है.

ग्रामीण क्षेत्र के कॉलेजों में हैं 20 फीसदी शिक्षक
मगध विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष प्रोफेसर सुशील कुमार ने कहा "मगध विश्वविद्यालय के ग्रामीण क्षेत्र के कॉलेजों में 20 प्रतिशत शिक्षक हैं. वहीं, शहरी क्षेत्रों में 70 से 80 प्रतिशत शिक्षक हैं. मगध विश्वविद्यालय कैंपस में 70 प्रतिशत के आसपास शिक्षक हैं. जहां शिक्षकों की कमी होगी वहां शैक्षणिक स्तर में गिरावट दर्ज होगी. मगध विश्वविद्यालय में शिक्षकों की कमी की वजह से पीजी के तीनों सेमेस्टर की पढ़ाई एक साथ हो रही है. मेरा राज्य सरकार से आग्रह है कि पहले की अपेक्षा छात्रों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है लेकिन शिक्षकों की संख्या में वृद्धि नहीं हुई है. छात्रों की संख्या को देखते हुए विश्वविद्यालय में शिक्षकों की बहाली की जाए."

magadh university
मगध विश्वविद्यालय की स्थिति.

नन टीचिंग स्टाफ के 165 पद खाली
मगध विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ विजय कुमार ने कहा "विश्वविद्यालय में नन टीचिंग के 589 पद हैं, जिसमें से 424 पदों पर कर्मचारी काम कर रहे हैं. 165 पद खाली हैं. 119 टीचिंग स्टाफ कार्यरत हैं और दर्जनों पद खाली हैं. विश्वविद्यालय में टीचिंग स्टाफ को लेकर उतनी परेशानी नहीं है. 2017 में कुछ बहाली हुई थी, जिससे स्थिति ठीक है. नन टीचिंग स्टाफ की घोर कमी है. इनकी बहाली की जरूरत है. जल्द से जल्द इनकी बहाली की जाए. टीचिंग और नन टीचिंग स्टाफ की कमी के कारण शैक्षणिक कैलेंडर पर प्रभाव पड़ रहा है. हमलोग पूरा प्रयास कर रहे हैं कि शैक्षणिक कैलेंडर का पालन हो. इसके लिए कुलपति ने फैसला लिया है कि परीक्षाएं ओएमआर सीट से लेंगे, जिससे कर्मचारियों की कम आवश्यकता होगी और छात्रों को रिजल्ट समय से पहले मिल जाएगा.

यह भी पढ़ें- पटना आयुर्वेद कॉलेज में जल्द शुरू होगी नामांकन के लिए स्टेट कोटे की काउंसलिंग

गया: भगवान बुद्ध की ज्ञान स्थली बोधगया में 1962 में मगध विश्वविद्यालय का निर्माण किया गया था. मगध विश्वविद्यालय की ख्याति एक समय बिहार के सबसे बड़े विश्वविद्यालय की थी. इसे सरकार ने विखंडित कर दिया. अब इस विश्वविद्यालय में सिर्फ 20 कॉलेज बजे हैं. शिक्षकों और कर्मचारियों की कमी के कारण यहां की शैक्षणिक व्यवस्था ध्वस्त है.

धूल फांक रही शैक्षणिक कैलेंडर
मगध विश्वविद्यालय में कई साल से शैक्षणिक कैलेंडर धूल फांक रही है. कई सेमेस्टर के सिलबेस पूरे नहीं हुए. इसकी एक ही वजह है टीचिंग और नन टीचिंग स्टाफ की कमी. मगध विश्वविद्यालय के छात्र सुबोध पाठक बताते हैं कि विश्वविद्यालय में पीजी की पढ़ाई के लिए सभी विषयों के शिक्षक नहीं हैं. कर्मचारियों की कमी के कारण डिग्री के लिए छात्रों को महीनों विश्वविद्यालय का चक्कर लगाना पड़ता है. विश्वविद्यालय को अपनी छवि बेहतर बनाने के लिए टीचिंग और नन टीचिंग स्टाफ की नियुक्ति करनी चाहिए. आए दिन शिक्षकों और कर्मचारियों की कमी के कारण विश्वविद्यालय की छवि धूमिल हो रही है.

देखें रिपोर्ट

कर्मचारियों पर है काम का दबाव
मगध विश्वविद्यालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अमितेश प्रकाश ने कहा "कर्मचारियों की कमी की वजह से कार्यरत कर्मचारियों पर काम का अधिक दबाव है. एक कर्मचारी तीन विषय की डिग्री बनाता है. उसी कर्मचारी को नामांकन से लेकर परीक्षा की प्रक्रिया में भी शामिल होना पड़ता है. इसके बाद भी छात्रों का आक्रोश झेलना पड़ता है. मगध विश्वविद्यालय में हर माह कर्मचारी रिटायर्ड हो रहे हैं रिटायर्ड होने पर पद रिक्त हो जा रहा है. ऐसे सैकड़ों कर्मचारियों का पद रिक्त है, जिस पर बहाली नहीं की गई है.

ग्रामीण क्षेत्र के कॉलेजों में हैं 20 फीसदी शिक्षक
मगध विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष प्रोफेसर सुशील कुमार ने कहा "मगध विश्वविद्यालय के ग्रामीण क्षेत्र के कॉलेजों में 20 प्रतिशत शिक्षक हैं. वहीं, शहरी क्षेत्रों में 70 से 80 प्रतिशत शिक्षक हैं. मगध विश्वविद्यालय कैंपस में 70 प्रतिशत के आसपास शिक्षक हैं. जहां शिक्षकों की कमी होगी वहां शैक्षणिक स्तर में गिरावट दर्ज होगी. मगध विश्वविद्यालय में शिक्षकों की कमी की वजह से पीजी के तीनों सेमेस्टर की पढ़ाई एक साथ हो रही है. मेरा राज्य सरकार से आग्रह है कि पहले की अपेक्षा छात्रों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है लेकिन शिक्षकों की संख्या में वृद्धि नहीं हुई है. छात्रों की संख्या को देखते हुए विश्वविद्यालय में शिक्षकों की बहाली की जाए."

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मगध विश्वविद्यालय की स्थिति.

नन टीचिंग स्टाफ के 165 पद खाली
मगध विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ विजय कुमार ने कहा "विश्वविद्यालय में नन टीचिंग के 589 पद हैं, जिसमें से 424 पदों पर कर्मचारी काम कर रहे हैं. 165 पद खाली हैं. 119 टीचिंग स्टाफ कार्यरत हैं और दर्जनों पद खाली हैं. विश्वविद्यालय में टीचिंग स्टाफ को लेकर उतनी परेशानी नहीं है. 2017 में कुछ बहाली हुई थी, जिससे स्थिति ठीक है. नन टीचिंग स्टाफ की घोर कमी है. इनकी बहाली की जरूरत है. जल्द से जल्द इनकी बहाली की जाए. टीचिंग और नन टीचिंग स्टाफ की कमी के कारण शैक्षणिक कैलेंडर पर प्रभाव पड़ रहा है. हमलोग पूरा प्रयास कर रहे हैं कि शैक्षणिक कैलेंडर का पालन हो. इसके लिए कुलपति ने फैसला लिया है कि परीक्षाएं ओएमआर सीट से लेंगे, जिससे कर्मचारियों की कम आवश्यकता होगी और छात्रों को रिजल्ट समय से पहले मिल जाएगा.

यह भी पढ़ें- पटना आयुर्वेद कॉलेज में जल्द शुरू होगी नामांकन के लिए स्टेट कोटे की काउंसलिंग

Last Updated : Jan 20, 2021, 8:45 PM IST
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