गया: जिले में कुछ युवकों की वजह से पाक माह रमजान में रोजेदारों के द्वारा गया शहर में निशुल्क ऑक्सीजन सिलेंडर घर तक पहुंचाया जा रहा है. रोजेदारों की इस टीम में वार्ड पार्षद से लेकर बुजुर्ग और कई युवा भी शामिल हैं. जो सुबह से लेकर रात के नौ बजे तक सेवा देते हैं.
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कोरोना का कहर
दरअसल, इन दिनों कोरोना अपना कहर बरपा रहा है. हर दिन हजारों लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है. सरकारी आंकड़ा जिले में सैकड़ों हैं लेकिन जमीनी हकीकत में हजारों लोग कोरोना से संक्रमित हैं. कोरोना संक्रमण के बाद मरीज का ऑक्सीजन लेबल घटता रहता है. ऑक्सीजन लेबल बरकरार रखने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है.
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'हमलोगों ने पिछले साल तीन सिलेंडर से शुरुआत की थी. इस साल हमारे पास 48ऑक्सीजन सिलेंडर है. हर दिन 48 लोगों की मदद बिल्कुल निशुल्क की जा रही है. अभी तक हमलोगों ने 200 लोगों को मदद पहुंचायी है. हमारी टीम में 20 लोग है, जो ऑक्सीजन सिलेंडर को रिफिल करवाने, उसको मरीजों के घर तक पहुंचाने और वापस सिलेंडर लाने का काम करते हैं. हमारे टीम अनुभवकर्ता हैं. उनका काम है मरीज की पूरी जानकारी रखना. इस सेवा में किसी से हमलोग आर्थिक मदद नहीं ले रहे हैं. मैं अकेला इसकी फंडिंग कर रहा हूं;.-नैय्यर अहमद ,वार्ड पार्षद बारी रोड
'हमलोगों ने जब सोशल मीडिया पर नम्बर जारी किया तब से 24 घण्टे फ़ोन बजता रहता है. हमलोग इस रमजान में रोजा रहकर अहले सुबह से लोगों का फोन उठाकर उनकी हर संभव मदद पहुंचाने का काम करते हैं. हमारे पास जितने ऑक्सीजन सिलेंडर हैं उसमें सबसे जरूरतमंद को देते हैं. इसके लिए दो लोग रहते है. ये पता करने के लिए कौन मरीज का परिजन झूठ बोल रहा है और कौन सच बोल रहा है. हमलोग की टीम में शामिल सभी लोग रोजा रखते हैं. .- मोहम्मद वदीउल अख्तर, वेलफेयर कमेटि के सचिव
गौरतलब है कि इनकी टीम के लोगों का कहना है कि सबसे ज्यादा परेशानी डरे हुए लोग से हो रही है. जो बीमार पड़ते ही ऑक्सीजन स्टोरेज कर लेते हैं. जबकि हमलोग किसी की जिंदगी बचाने के लिए ऑक्सीजन उपलब्ध करवाते हैं. कई जगहों से हमलोगों को जबरदस्ती ऑक्सीजन सिलेंडर लाना पड़ता है.