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पितृपक्ष मेला में अनोखी आस्था: जिस श्मशान से दूर रहना चाहते हैं लोग, गयाजी में वहां हो रहा पिंडदान - ईटीवी भारत न्यूज

गया में देश-विदेश से श्रद्धालु जुटे हैं. यहां पितृपक्ष का मेला (Pitru Paksha 2022) चल रहा है. भीड़ की वजह से विष्णुपद का देवघाट छोटा पड़ गया है. ऐसे में श्रद्धालु श्मशान में बैठकर पिंडदान का धार्मिक अनुष्ठान कर रहे हैं. पढ़ें पूरी खबर...

गया में पितृपक्ष मेला का आयोजन
गया में पितृपक्ष मेला का आयोजन
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Published : Sep 20, 2022, 9:09 PM IST

गया: बिहार के गया में पितृपक्ष मेला (Pitru Paksha Mela in Gaya) चल रहा है. इसके बीच अनोखी आस्था भी देखने को मिल रही है. यहां गयाजी में विष्णुपद श्मशान में भी पिंडदान (Pind Daan At Gaya) हो रहा है. जिस श्मशान से लोग दूर रहना चाहते हैं. वहां पर पिंडदान का कर्मकांड कराया जाना एक अनोखी आस्था का उदाहरण है.

यह भी पढ़ें: पाकिस्तान आपदा और रूस-यूक्रेन युद्ध में मारे गए लोगों के लिए गया पितृपक्ष मेले में किया पिंडदान

विष्णुपद देवघाट छोटा पड़ा: गयाजी में वर्तमान में 54 वेदियों पर पिंडदान तर्पण का विधान है. इस वर्ष कोरोना काल के 2 सालों के बाद गया जी पितृपक्ष मेले में लाखों पिंडदानियों की भीड़ आई है. ऐसे में मोक्ष स्थली विष्णुपद का देवघाट छोटा पड़ गया है. देवघाट में ही बैठकर अधिकांश पिंडदानी पिंडदान का कर्मकांड करते हैं. चंदन का स्थल थोड़ा छोटा पड़ने को लेकर और झुलसाती धूप से बचने को लेकर पिंडदानी श्मशान घाट में भी पिंडदान का कर्मकांड कर रहे हैं.

यह भी पढ़ें: पुनपुन नदी के तट पर पिंडदान का खासा महत्व, सबसे पहले भगवान श्रीराम ने यहीं किया था तर्पण

श्मशान में कर रहे पिंडदान: विष्णुपद श्मशान घाट में बने आधुनिक प्रदूषण रहित श्मशान में सैकड़ों पितृपक्ष यात्री पिंडदान का कर्मकांड करते देखे जा सकते हैं. यह भी एक अनोखी आस्था है कि यात्री इससे दूर नहीं भागते हैं. उनका कहना है कि श्मशान घाट में हमारे पितरों का वास है. हमारे पितर जो भी भूत-प्रेत के रूप में श्मशान घाट में वास कर रहे हैं. उनके मोक्ष की कामना को लेकर हमलोग यहां पर पिंडदान कर रहे हैं. हमलोगों को यहां कोई दिक्कत नहीं है.

'श्मशान में भगवान शिव का वास' कुछ पिंडदानियों का मानना है कि भगवान शिव का सबसे प्रिय स्थल श्मशान होता है. ऐसे में यहां पिंडदान का कर्मकांड करना बेहतर है. वहीं स्थानीय ब्राह्मणों का कहना है कि जगह कम पड़ गयी है, इसलिए श्मशान में पिंडदान करा रहे हैं. पहले फल्गु नदी सूखी थी तो वहां भी पिंडदान कराया जाता था.

उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने गयाजी डैम बनवा दिया है. जिसके कारण फल्गु में पानी है. ऐसे में नदी में पिंडदान का कर्मकांड नहीं हो सकता है. मजबूरी में पिंंडदानियों को श्मशान घाट में पिंडदान कराया जा रहा है. इस श्मशान घाट में शव को आधुनिक मशीन में जलाया जाता है. जगह की कमी के वजह से श्मशान में पिंडदान कराया जा रहा है.

भीड़ की वजह से आने-जाने का रास्ता संकीर्ण: पितृपक्ष में लाखों पिंंदानियों की भीड़ जुटी है. ऐसे में आने-जाने का रास्ता संकीर्ण जरूर है. लेकिन इसका माध्यम पिंडदानियों ने खोज लिया है. पिंडदानी श्मशान घाट के रास्ते देवघाट पहुंच रहे हैं. इस रास्ते से जाने में पिंडदानी काफी सहूलियत महसूस करते हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि पिंंडदानियों को श्मशान घाट में जरा सा भी कोई दिक्कत महसूस नहीं हो रही है, जो कि उनकी गया जी को लेकर बड़ी आस्था को दर्शाती है.

"मैं अपने पूर्वजों का पिंडदान करने यूपी के जौनपुर से आया हूं. श्मशान घाट जैसा पवित्र स्थान पूरे पृथ्वी पर कहीं नहीं है. ऐसे में यहां पिंडदान करने से कोई दिक्कत नहीं है. यहां की प्रशासनिक व्यवस्था और अन्य व्यवस्था भी काफी अच्छा है" -कमलेश कुमार सिंह, यूपी से आए पिंडदानी

"मैं अपने पापा के लिए आया हूं. यहां पिंडदान करने के लिए हिमाचल प्रदेश से आया हूं. पूरे विधि विधान से पिंडदान का धार्मिक अनुष्ठान किया है" - अजित शर्मा, हिमाचल प्रदेश से आए पिंडदानी

"जगह नहीं मिलने के चलते हमलोगों यहां बैठे है. साफ-सुथरा जगह है, श्रद्धालुओं को सुविधा अनुसार पिंडदान करवा देते है. जगह नहीं मिला रहा है तो क्या करे" -रामजी तिवारी, स्थानीय ब्राह्नम्ण

गया: बिहार के गया में पितृपक्ष मेला (Pitru Paksha Mela in Gaya) चल रहा है. इसके बीच अनोखी आस्था भी देखने को मिल रही है. यहां गयाजी में विष्णुपद श्मशान में भी पिंडदान (Pind Daan At Gaya) हो रहा है. जिस श्मशान से लोग दूर रहना चाहते हैं. वहां पर पिंडदान का कर्मकांड कराया जाना एक अनोखी आस्था का उदाहरण है.

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विष्णुपद देवघाट छोटा पड़ा: गयाजी में वर्तमान में 54 वेदियों पर पिंडदान तर्पण का विधान है. इस वर्ष कोरोना काल के 2 सालों के बाद गया जी पितृपक्ष मेले में लाखों पिंडदानियों की भीड़ आई है. ऐसे में मोक्ष स्थली विष्णुपद का देवघाट छोटा पड़ गया है. देवघाट में ही बैठकर अधिकांश पिंडदानी पिंडदान का कर्मकांड करते हैं. चंदन का स्थल थोड़ा छोटा पड़ने को लेकर और झुलसाती धूप से बचने को लेकर पिंडदानी श्मशान घाट में भी पिंडदान का कर्मकांड कर रहे हैं.

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श्मशान में कर रहे पिंडदान: विष्णुपद श्मशान घाट में बने आधुनिक प्रदूषण रहित श्मशान में सैकड़ों पितृपक्ष यात्री पिंडदान का कर्मकांड करते देखे जा सकते हैं. यह भी एक अनोखी आस्था है कि यात्री इससे दूर नहीं भागते हैं. उनका कहना है कि श्मशान घाट में हमारे पितरों का वास है. हमारे पितर जो भी भूत-प्रेत के रूप में श्मशान घाट में वास कर रहे हैं. उनके मोक्ष की कामना को लेकर हमलोग यहां पर पिंडदान कर रहे हैं. हमलोगों को यहां कोई दिक्कत नहीं है.

'श्मशान में भगवान शिव का वास' कुछ पिंडदानियों का मानना है कि भगवान शिव का सबसे प्रिय स्थल श्मशान होता है. ऐसे में यहां पिंडदान का कर्मकांड करना बेहतर है. वहीं स्थानीय ब्राह्मणों का कहना है कि जगह कम पड़ गयी है, इसलिए श्मशान में पिंडदान करा रहे हैं. पहले फल्गु नदी सूखी थी तो वहां भी पिंडदान कराया जाता था.

उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने गयाजी डैम बनवा दिया है. जिसके कारण फल्गु में पानी है. ऐसे में नदी में पिंडदान का कर्मकांड नहीं हो सकता है. मजबूरी में पिंंडदानियों को श्मशान घाट में पिंडदान कराया जा रहा है. इस श्मशान घाट में शव को आधुनिक मशीन में जलाया जाता है. जगह की कमी के वजह से श्मशान में पिंडदान कराया जा रहा है.

भीड़ की वजह से आने-जाने का रास्ता संकीर्ण: पितृपक्ष में लाखों पिंंदानियों की भीड़ जुटी है. ऐसे में आने-जाने का रास्ता संकीर्ण जरूर है. लेकिन इसका माध्यम पिंडदानियों ने खोज लिया है. पिंडदानी श्मशान घाट के रास्ते देवघाट पहुंच रहे हैं. इस रास्ते से जाने में पिंडदानी काफी सहूलियत महसूस करते हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि पिंंडदानियों को श्मशान घाट में जरा सा भी कोई दिक्कत महसूस नहीं हो रही है, जो कि उनकी गया जी को लेकर बड़ी आस्था को दर्शाती है.

"मैं अपने पूर्वजों का पिंडदान करने यूपी के जौनपुर से आया हूं. श्मशान घाट जैसा पवित्र स्थान पूरे पृथ्वी पर कहीं नहीं है. ऐसे में यहां पिंडदान करने से कोई दिक्कत नहीं है. यहां की प्रशासनिक व्यवस्था और अन्य व्यवस्था भी काफी अच्छा है" -कमलेश कुमार सिंह, यूपी से आए पिंडदानी

"मैं अपने पापा के लिए आया हूं. यहां पिंडदान करने के लिए हिमाचल प्रदेश से आया हूं. पूरे विधि विधान से पिंडदान का धार्मिक अनुष्ठान किया है" - अजित शर्मा, हिमाचल प्रदेश से आए पिंडदानी

"जगह नहीं मिलने के चलते हमलोगों यहां बैठे है. साफ-सुथरा जगह है, श्रद्धालुओं को सुविधा अनुसार पिंडदान करवा देते है. जगह नहीं मिला रहा है तो क्या करे" -रामजी तिवारी, स्थानीय ब्राह्नम्ण

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