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International Women's Day : पति की मौत के बाद सिलाई मशीन के साथ नई जिंदगी की शुरुआत, मैकेनिक वूमेन के रूप में बनाई पहचान - Bihar News

आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है. इस मौके पर एक मैकेनिक वूमेन से परिचय करा रहे हैं. जीवन कष्ट से भरा होने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी. कोरोनाकल में पति की मौत के बाद के गम में टूट चुकी मालती ने अपने बच्चों के लिए सिलाई मशीन के साथ नई जिंदगी की शुरुआत की. पति के काम को आगे बढ़ाते हुए आज सिलाई मशीन ठीक कर बेटी को मेडिकल की तैयारी करवा रही है. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Mar 8, 2023, 12:01 AM IST

गया के गांव में रहने वाली मैकेनिक वूमेन की कहानी.

गयाः बिहार के गया की महिला मालती देवी अन्य महिलाओं के लिए मिसाल (mechanic woman in gaya) बन रही है. पति के मरने के बाद मालती के सामने कई सारी समस्या आई लेकिन उसने हार नहीं मानी. पति से सिलाई मशीन बनाने का काम सीखा था, उसे ही अपना हथियार बनाया. आज मालती के बेटी मेडिकल की तैयारी कर रही है. मालती ने बताया कि उसके पास कोई विकल्प नहीं था, इसलिए पति के काम को आगे बढ़ा रही है. इतनी कमा लेती है कि दो समय का खाना और बच्चों की पढ़ाई हो जाती है. मालती को लोग मैकेनिक वूमेन के नाम से जानने लगे हैं.

यह भी पढ़ेंः International Womens Day 2023: 22 साल की उम्र में डिप्टी कलेक्टर बनीं रूचि शर्मा की मोटिवेशनल स्टोरी

चौथी क्लास तक पढ़ी है मालतीः गया के चांद चौरा की रहने वाली मालती देवी सिर्फ चौथी क्लास तक पढ़ी है, लेकिन सिलाई मशीन के सैकड़ों पार्ट्स पुर्जे की जानकारी रखती हैं. सिलाई मशीन की सफल कारीगरी करती है. सबसे बड़ी बात यह है कि विपरीत हालातों में उसने अपने पूरे घर की जिम्मेवारी कंधों पर संभाली. आज उसके पास गया शहर के अलावे ग्रामीण इलाकों से भी सिलाई मशीन बनवाने के लिए लोग आते हैं. घर चलाने के साथ साथ अपने बच्चों को पढ़ाती भी है.

तीन साल पहले पति की हो गई थी मौतः मालती देवी की कहानी काफी दर्द भरी है. मालती देवी के पति प्रमोद मिस्त्री की मौत 3 साल पहले हो गई थी. पति की मौत तब हुई थी, जब कोरोना काल का लॉकडाउन का संकट चल रहा था. पति की ऐसे समय में मौत के बाद घर में कमाने वाला कोई नहीं बचा था. मालती देवी को भी कुछ सूझ नहीं रहा था. घर के कुछ सामानों को बेचकर कई दिनों तक घर का चूल्हा जला. फिर उस पर भी आफत आ गई. इधर, तीन बेटियों और एक पुत्र की पढ़ाई भी छूट गई.

फुटपाथ पर सिलाई मशीन बनायीः विपरीत परिस्थितियों में मालती देवी किसी तरह से परिवार को चला रही थी. मालती ने अपने पति के काम को ही संभालने का निर्णय लिया. संकट की घड़ी में परिवार का भार थामने के लिए मालती देवी ने फुटपाथ पर सिलाई मशीन को लेकर बैठ गई. एक छोटा सा बोर्ड लगाया कि 'यहां सिलाई मशीन ठीक होती है' शुरुआत में ग्राहक नहीं के बराबर आए, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी. फिर इसके बाद ग्राहक लगातार आने लगे तो मालती देवी का हौसला बढ़ता गया. आज वह आत्मनिर्भर बन चुकी है.

बच्चे भी बढा रहे हाथः मालती देवी अपनी तीन बेटियों को अच्छी परवरिश दे रही है. वही बेहतर पढ़ाई भी करवा रही है. बेटियां कोचिंग जाती है. मालती देवी ने अपने पुत्र को भी सिलाई मशीन की कला के अलावा अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को बनाने में भी हुनर बंद बना दिया है. बेटी कल्याणी कुमारी भी अपनी मां के हौसले देख मजबूत इरादे से भरी हुई है. वह प्रतियोगिता की तैयारी कर रही है. कोचिंग भी जाती है. कहती है वह बड़ा डॉक्टर बनेगी.

अचानक हुई थी पति की मौतः मालती देवी के पति की मौत अचानक हो गई थी, किंतु उसने काफी संघर्ष के बाद खुद और परिवार को खड़ा कर लिया है. अब बच्चे भी इस लायक हो गए हैं, कि वह भी अपनी मां की मदद कर सकते हैं. हालांकि यह सब मालती देवी के मजबूत इरादों के कारण संभव हो पाया है. यही वजह है कि उसका परिवार फिलहाल खुशहाली के बीच अपनी जिंदगी काट रहा है. हालांकि इस परिवार को यदि थोड़ी सरकारी मदद मिल जाए तो निश्चित तौर पर इस संघर्षशील परिवार की जिंदगी में बेहतरी हो सकेगी.

"पति की मौत के बाद घर में रहने खाने की समस्या हो गई. किसी तरह परिवार चल रहा था. बच्चों की पढ़ाई छूट गई थी. पति से काम सीखी थी, जिसे आगे बढ़ाया. शुरू में कोई ग्राहन नहीं आता था, लेकिन धीरे धीरे अब पूरे जिले से सिलाई मशीन ठीक कराने आते हैं. परिवार ठीक चल रहा है. बच्चे मेडिकल की तैयारी कर रहे हैं. अभी फूटपाथ पर दुकान चलाते हैं. सरकार से कोई मदद मिल जाती तो दुकान खोल लेते." -मालती देवी, सिलाई मशील मैकेनिक

गया के गांव में रहने वाली मैकेनिक वूमेन की कहानी.

गयाः बिहार के गया की महिला मालती देवी अन्य महिलाओं के लिए मिसाल (mechanic woman in gaya) बन रही है. पति के मरने के बाद मालती के सामने कई सारी समस्या आई लेकिन उसने हार नहीं मानी. पति से सिलाई मशीन बनाने का काम सीखा था, उसे ही अपना हथियार बनाया. आज मालती के बेटी मेडिकल की तैयारी कर रही है. मालती ने बताया कि उसके पास कोई विकल्प नहीं था, इसलिए पति के काम को आगे बढ़ा रही है. इतनी कमा लेती है कि दो समय का खाना और बच्चों की पढ़ाई हो जाती है. मालती को लोग मैकेनिक वूमेन के नाम से जानने लगे हैं.

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चौथी क्लास तक पढ़ी है मालतीः गया के चांद चौरा की रहने वाली मालती देवी सिर्फ चौथी क्लास तक पढ़ी है, लेकिन सिलाई मशीन के सैकड़ों पार्ट्स पुर्जे की जानकारी रखती हैं. सिलाई मशीन की सफल कारीगरी करती है. सबसे बड़ी बात यह है कि विपरीत हालातों में उसने अपने पूरे घर की जिम्मेवारी कंधों पर संभाली. आज उसके पास गया शहर के अलावे ग्रामीण इलाकों से भी सिलाई मशीन बनवाने के लिए लोग आते हैं. घर चलाने के साथ साथ अपने बच्चों को पढ़ाती भी है.

तीन साल पहले पति की हो गई थी मौतः मालती देवी की कहानी काफी दर्द भरी है. मालती देवी के पति प्रमोद मिस्त्री की मौत 3 साल पहले हो गई थी. पति की मौत तब हुई थी, जब कोरोना काल का लॉकडाउन का संकट चल रहा था. पति की ऐसे समय में मौत के बाद घर में कमाने वाला कोई नहीं बचा था. मालती देवी को भी कुछ सूझ नहीं रहा था. घर के कुछ सामानों को बेचकर कई दिनों तक घर का चूल्हा जला. फिर उस पर भी आफत आ गई. इधर, तीन बेटियों और एक पुत्र की पढ़ाई भी छूट गई.

फुटपाथ पर सिलाई मशीन बनायीः विपरीत परिस्थितियों में मालती देवी किसी तरह से परिवार को चला रही थी. मालती ने अपने पति के काम को ही संभालने का निर्णय लिया. संकट की घड़ी में परिवार का भार थामने के लिए मालती देवी ने फुटपाथ पर सिलाई मशीन को लेकर बैठ गई. एक छोटा सा बोर्ड लगाया कि 'यहां सिलाई मशीन ठीक होती है' शुरुआत में ग्राहक नहीं के बराबर आए, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी. फिर इसके बाद ग्राहक लगातार आने लगे तो मालती देवी का हौसला बढ़ता गया. आज वह आत्मनिर्भर बन चुकी है.

बच्चे भी बढा रहे हाथः मालती देवी अपनी तीन बेटियों को अच्छी परवरिश दे रही है. वही बेहतर पढ़ाई भी करवा रही है. बेटियां कोचिंग जाती है. मालती देवी ने अपने पुत्र को भी सिलाई मशीन की कला के अलावा अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को बनाने में भी हुनर बंद बना दिया है. बेटी कल्याणी कुमारी भी अपनी मां के हौसले देख मजबूत इरादे से भरी हुई है. वह प्रतियोगिता की तैयारी कर रही है. कोचिंग भी जाती है. कहती है वह बड़ा डॉक्टर बनेगी.

अचानक हुई थी पति की मौतः मालती देवी के पति की मौत अचानक हो गई थी, किंतु उसने काफी संघर्ष के बाद खुद और परिवार को खड़ा कर लिया है. अब बच्चे भी इस लायक हो गए हैं, कि वह भी अपनी मां की मदद कर सकते हैं. हालांकि यह सब मालती देवी के मजबूत इरादों के कारण संभव हो पाया है. यही वजह है कि उसका परिवार फिलहाल खुशहाली के बीच अपनी जिंदगी काट रहा है. हालांकि इस परिवार को यदि थोड़ी सरकारी मदद मिल जाए तो निश्चित तौर पर इस संघर्षशील परिवार की जिंदगी में बेहतरी हो सकेगी.

"पति की मौत के बाद घर में रहने खाने की समस्या हो गई. किसी तरह परिवार चल रहा था. बच्चों की पढ़ाई छूट गई थी. पति से काम सीखी थी, जिसे आगे बढ़ाया. शुरू में कोई ग्राहन नहीं आता था, लेकिन धीरे धीरे अब पूरे जिले से सिलाई मशीन ठीक कराने आते हैं. परिवार ठीक चल रहा है. बच्चे मेडिकल की तैयारी कर रहे हैं. अभी फूटपाथ पर दुकान चलाते हैं. सरकार से कोई मदद मिल जाती तो दुकान खोल लेते." -मालती देवी, सिलाई मशील मैकेनिक

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