गया: मुश्किलों को मात देती रहीं 54 साल की महिला सब इंस्पेक्टर कुमकुम कुमारी को कोलन कैंसर जैसी गंभीर बीमारी हैं. इसके बावजूद वह ड्यूटी कर रही हैं. बिहार के गया जिले के मगध मेडिकल थाने में पोस्टेड है. लेकिन इतनी गंभीर बीमारी होने के बावजूद उनका आत्मविश्वास तनिक भी नहीं डिगा है. वह लगातार अपनी ड्यूटी पर हैं. उनका इलाज दिल्ली के अपोलो अस्पताल से चल रहा है, फिर भी इनकी नौकरी और कर्तव्य के प्रति समर्पण देखते ही बनता है.
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कैंसर पीड़ित SI कुमकुम कुमारी, लोगों के लिए प्रेरणा: बिहार के गया में मगध मेडिकल थाना की दारोगा कुमकुम कुमारी को कोलन कैंसर है, इसके बावजूद वह ड्यूटी कर रही हैं. इतनी गंभीर बीमारी होने के बावजूद उनका आत्मविश्वास तनिक भी नहीं डिगा है. वह लगातार अपनी ड्यूटी पर हैं और दूसरों लोगों के लिए प्रेरणा साबित हो रही हैं. पुलिस की नौकरी को लेकर महिला दारोगा का कहना है कि उनके लिए यह सिर्फ एक नौकरी नहीं बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी भी है.
मगध मेडिकल थाने में पदस्थापित है : कुमकुम कुमारी 50 की उम्र पार कर चुकी हैं. वह बताती है कि वर्ष 2019 में मगध मेडिकल थाने में ड्यूटी कर थी. ड्यूटी के दौरान ही अचानक गिर पड़ीं थीं. बेहोशी की हालत में उन्हें एएनएमएमसीएच में भर्ती कराया गया. बाद में जांच रिपोर्ट में सामने आया कि उन्हें कोलन कैंसर है. इसके बाद बेहतर इलाज के लिए दिल्ली रेफर कर दिया गया. आज भी कुमकुम कुमारी का इलाज दिल्ली के अपोलो अस्पताल में चल रहा है और उन्हें हर दो महीने पर डायलिसिस के लिए दिल्ली जाना पड़ता है.
पूर्णिया जिले की रहने वाली हैं कुमकुम कुमारी : महिला दारोगा कुमकुम कुमारी पूर्णिया जिले की रहने वाली हैं. उनका निवास पूर्णिया के सदर थाना अंतर्गत रामबाग मोहल्ले में है. बिहार पुलिस में बतौर कांस्टेबल 24 अक्टूबर 1989 में ज्वाइनिंग हुई थी. 2019 में प्रमोशन मिला. प्रमोशन होने के बाद सब इंस्पेक्टर बनीं. पति की पहले ही मौत हो चुकी है. परिवार में कुमकुम कुमारी की एक बेटी है.
"फिलहाल में मगध मेडिकल थाना में सब इंस्पेक्टर के पद पर हूं. 5 साल पहले डॉक्टर ने बताया था कि मुझे कोलन कैंसर हैं, लेकिन मैंने अपने मनोबल टूटने नहीं दिया. बीमारी से लड़ने का फैसला किया. मैं कहना चाहती हूं कि हिम्मत से बड़ा कुछ नहीं, इसलिए कभी भी हिम्मत नहीं हारना चाहिए"- कुमकुम कुमारी, महिला सब इंस्पेक्टर
किसी प्रेरणा स्रोत से कम नहीं कुमकुम: वास्तव में कुमकुम कुमारी आज की तारीख में बीमारियों से हारने वालों के लिए जहां एक बड़े उदाहरण के तौर पर हैं. जो बताती है कि बड़ी से बड़ी बीमारी में भी इंसान को नहीं टूटना चाहिए. चुनौती वाली स्थितियों का सामना करना चाहिए. वहीं, कुमकुम कुमारी महिलाओं के सशक्तिकरण के रूप में भी उदाहरण है, क्योंकि एक ओर वह महिला हैं और सब इंस्पेक्टर हैं तो दूसरी ओर बीमारी के बावजूद उन्होंने हारना नहीं सीखा.