गया(बोधगया) : मीडिया कलेक्टिव फॉर क्लाइमेट इन बिहार के बैनर तले सीआरडी ट्रस्ट बिहार की सहयोग से गौतम बुद्धा होटल में मगध मीडिया वर्कशॉप का आयोजन किया गया. जिसमें ‘जलवायु अभाव और प्रभाव’ को लेकर चर्चा की गई.
मगध मीडिया वर्कशॉप में प्रसिद्ध लेखक सोपान जोशी ने बताया कि हमारे शरीर का तापमान अगर थोड़ा ज्यादा हो जाता है तो हमारे स्वास्थ्य पर इसका असर पड़ता है. लेकिन बीते 30 सालों से पृथ्वी और पर्यावरण के साथ यही हो रहा है. इसका असर कितना उनपर पड़ रहा होगा इसपर विचार करने की जरूरत है. बिहार राज्य के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि दक्षिण बिहार के 8 जिले सूखा प्रभावित हैं.
इन जिलों में सूखे की स्थिति
जिन जिलों का उन्होंने जिक्र किया उसमें कैमूर, रोहतास, औरंगाबाद, बक्सर, भोजपुर, जहानाबाद, पटना और गया है. इन 8 जिलों में 2011 से लगातार भूजल दोहन बढ़ रहा है. 2013-2017 तक के सर्वे बताते हैं कि भूजल दोहन में बढ़ोतरी हुई है. जलवायु परिवर्तन की वजह से मानसून में बदलाव आया है. इसकी वजह से दक्षिण बिहार में बहने वाली नदियों से निकलने वाली नहरों में पानी का भारी अभाव आया है.
बारिश में अब भारी गिरावट
बीते सालों से सालाना बरसात की गिरावट से धान की बुआई पर प्रतिकूल असर पड़ा है. 1986-2016 तक में बारिश में भारी गिरावट देखने को मिली है. पिछले तीन दशक में बिहार में वर्षा अवधि 55 दिनों से घटकर 37 दिनों की हो गयी है. भूजल आंकलन में दक्षिण बिहार में सन 2013- 2017 में सुरक्षित इलाकों की संख्या 39 से घटकर 2 पर आ गयी है. जिन इलाकों में स्तिथि चिंताजनक हुई है उनकी संख्या 8 से बढ़कर 25 हो गयी है. वहीं 6 इलाकों में संकट गहरा गया है.
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सर्वे के मुताबिक 2014 में बिहार में केवल 12% इलाका खेती का आहर-पईन पर निर्भर है. यह व्यवस्था दक्षिण बिहार में सर्वाधिक रही लेकिन आज इसके संकट के कारण यहां के खेती पर भी असर पड़ा है. इस कार्यशाला को मगध जल जमात के रवींद्र पाठक ने भी सम्बोधित किया और मगध क्षेत्र की स्थानीय पर्यावरण सम्बंधी संकटों की जानकारी दी. पर्यावरणविद् एवं पत्रकार गोपाल कृष्ण ने जलवायु परिवर्तन के वैश्विक सन्दर्भों की जानकारी दी.