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क्या आइडिया है! खाली पड़े कमरे में मशरुम की खेती कर मकान मालिक कमा रहे 30 से 40 हजार - mushroom farming

छोटकी डेल्हा मोहल्ले में घरेलू महिलाओं ने भी मशरूम की खेती शुरू कर दी है. इसी मोहल्ले की पुष्पा शर्मा ने बताया कि हम देवरानी व जेठानी मिलकर खाली पड़े मकान में मशरूम की खेती करते हैं.

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Published : Dec 2, 2020, 4:38 PM IST

Updated : Dec 5, 2020, 5:26 PM IST

गयाः कोरोना वायरस के बचाव को लेकर देशभर में लॉकडाउन लागू कर दिया गया था. इसकी वजह से लोगों की आर्थिक स्थिति चरमरा गई है. शहरों में किराये के मकान में रहनेवाले लोग अपने घरों को वापस लौट गए. इससे मकान मालिक को काफी समस्या का सामना करना पड़ रहा है. गया शहर के मकान मालिकों ने इस आर्थिक समस्या से निजात पाने का तरीका ढूंढ लिया है.

रोजगार सृजन का नया तरीका
गया में मकान मालिक अपनी आय के लिए खाली पड़े मकानों में मशरूम की खेती कर रहे हैं. इससे आमदनी भी करीब 30 हजार रुपये प्रति महीने की हो रही है. दरअसल, शहर के छोटकी डेल्हा सहित दर्जनों मोहल्ले के अधिकांश घरों में लॉकडाउन लागू होने के साथ सभी किराएदार घर खाली करके चले गए हैं. ऐसे में मकान मालिकों ने रोजगार के लिए नया तरीका सृजन किया है.

देखें रिपोर्ट

"मेरा चार मंजिला घर पिछले चार महीने से खाली पड़ा हुआ था. इससे पहले यहां किराएदार रहते थे लेकिन सभी रूम खाली करके चले गए. इससे घर में आर्थिक समस्या उत्पन्न हो गई. इसी बीच समर्थ संस्था से संपर्क हुआ . उनके सहयोग से मैने खाली पड़े रूम में मशरूम की खेती शुरू कर दी."- अनिमेष आनंद, छोटकी डेल्हा निवासी

खाली पड़े मकान में मशरूम की खेती
छोटकी डेल्हा मोहल्ले में घरेलू महिलाओं ने भी मशरूम की खेती शुरू कर दी है. इसी मोहल्ले की पुष्पा शर्मा ने बताया कि हम देवरानी व जेठानी मिलकर खाली पड़े मकान में मशरूम की खेती करते हैं. स्कूल-कॉलेज बंद होने से बच्चे भी घर पर ही रहते हैं. इसमें उनका सहयोग भी मिल जाता है.

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मशरूम की खेती करने वाली घरेलू महिलाओं

"लॉकडाउन की वजह से आर्थिक समस्या उत्पन्न हो गई थी. समर्थ संस्था के संपर्क में आने के बाद हमलोगों ने घरों में ही मशरूम की खेती शुरू कर दी. मोहल्ले के कई परिवार इससे जुड़ चुके हैं." - पुष्पा शर्मा, छोटकी डेल्हा निवासी

मलोग अमूमन गांव और गरीब महिलाओं के बीच काम करते थे. लॉकडाउन के दौरान गांव जाने का मौका नहीं मिला तो शहर के डेल्हा में हमने खाली पड़े मकानों में मशरूम की खेती करवाना शुरू कर दिया. इसके लिए हमने युवाओं व महिलाओं को इसके प्रति जागरूक किया."- प्रभात, समर्थ संस्था के चेयरमैन

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घर में रखे मशरूम के बीज

मुफ्त में दी जाती है मशरूम किट
गौरतलब है कि समर्थ संस्था गरीब महिलाओं के उत्थान पर काम करती है. ग्रामीण महिलाओं से मशरूम, प्याज की खेती करवाना इनका प्राथमिक कार्य है. यह संस्था गरीब महिलाओं को मुफ्त मशरूम किट देकर रोजगार शुरू करवाती है. संस्था ने शहर में भी महिलाओं को सरकार व बाजार से कम लागत में मशरूम किट उपलब्ध करवाया है.

गयाः कोरोना वायरस के बचाव को लेकर देशभर में लॉकडाउन लागू कर दिया गया था. इसकी वजह से लोगों की आर्थिक स्थिति चरमरा गई है. शहरों में किराये के मकान में रहनेवाले लोग अपने घरों को वापस लौट गए. इससे मकान मालिक को काफी समस्या का सामना करना पड़ रहा है. गया शहर के मकान मालिकों ने इस आर्थिक समस्या से निजात पाने का तरीका ढूंढ लिया है.

रोजगार सृजन का नया तरीका
गया में मकान मालिक अपनी आय के लिए खाली पड़े मकानों में मशरूम की खेती कर रहे हैं. इससे आमदनी भी करीब 30 हजार रुपये प्रति महीने की हो रही है. दरअसल, शहर के छोटकी डेल्हा सहित दर्जनों मोहल्ले के अधिकांश घरों में लॉकडाउन लागू होने के साथ सभी किराएदार घर खाली करके चले गए हैं. ऐसे में मकान मालिकों ने रोजगार के लिए नया तरीका सृजन किया है.

देखें रिपोर्ट

"मेरा चार मंजिला घर पिछले चार महीने से खाली पड़ा हुआ था. इससे पहले यहां किराएदार रहते थे लेकिन सभी रूम खाली करके चले गए. इससे घर में आर्थिक समस्या उत्पन्न हो गई. इसी बीच समर्थ संस्था से संपर्क हुआ . उनके सहयोग से मैने खाली पड़े रूम में मशरूम की खेती शुरू कर दी."- अनिमेष आनंद, छोटकी डेल्हा निवासी

खाली पड़े मकान में मशरूम की खेती
छोटकी डेल्हा मोहल्ले में घरेलू महिलाओं ने भी मशरूम की खेती शुरू कर दी है. इसी मोहल्ले की पुष्पा शर्मा ने बताया कि हम देवरानी व जेठानी मिलकर खाली पड़े मकान में मशरूम की खेती करते हैं. स्कूल-कॉलेज बंद होने से बच्चे भी घर पर ही रहते हैं. इसमें उनका सहयोग भी मिल जाता है.

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मशरूम की खेती करने वाली घरेलू महिलाओं

"लॉकडाउन की वजह से आर्थिक समस्या उत्पन्न हो गई थी. समर्थ संस्था के संपर्क में आने के बाद हमलोगों ने घरों में ही मशरूम की खेती शुरू कर दी. मोहल्ले के कई परिवार इससे जुड़ चुके हैं." - पुष्पा शर्मा, छोटकी डेल्हा निवासी

मलोग अमूमन गांव और गरीब महिलाओं के बीच काम करते थे. लॉकडाउन के दौरान गांव जाने का मौका नहीं मिला तो शहर के डेल्हा में हमने खाली पड़े मकानों में मशरूम की खेती करवाना शुरू कर दिया. इसके लिए हमने युवाओं व महिलाओं को इसके प्रति जागरूक किया."- प्रभात, समर्थ संस्था के चेयरमैन

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घर में रखे मशरूम के बीज

मुफ्त में दी जाती है मशरूम किट
गौरतलब है कि समर्थ संस्था गरीब महिलाओं के उत्थान पर काम करती है. ग्रामीण महिलाओं से मशरूम, प्याज की खेती करवाना इनका प्राथमिक कार्य है. यह संस्था गरीब महिलाओं को मुफ्त मशरूम किट देकर रोजगार शुरू करवाती है. संस्था ने शहर में भी महिलाओं को सरकार व बाजार से कम लागत में मशरूम किट उपलब्ध करवाया है.

Last Updated : Dec 5, 2020, 5:26 PM IST
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