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पितृ पक्ष के पांचवें दिन ब्रह्म सरोवर में ऐसे करें पिंडदान, पितरों को मिलेगा बैकुंठ में स्थान - brahm vedi

गया जी स्थित ब्रह्म सरोवर में पिंडदान करने से पितरों को ब्रह्म लोक में स्थान मिलता है. स्कंद पुराण की कथा के अनुसार इस स्थान पर ही ब्रह्मा जी ने गयासुर के शरीर पर यज्ञ किया था. जिसके बाद यहां एक खंभा उत्पन्न हुआ.

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Published : Sep 17, 2019, 7:06 AM IST

गया: पितृ पक्ष के पांचवें दिन मोक्ष की नगरी गया में ब्रह्म सरोवर महत्व रखता है. ब्रह्म सरोवर में पिंडदान कर काकबलि वेदी पर कुत्ता, कौआ और यम को उड़द के आटे का पिंड बनाकर तर्पण दिया जाता है. काकबलि से बलि देकर आम्र सिचन वेदी के पास आम वृक्ष की जड़ को कुश के सहारे जल दिया जाता है. तीनों वेदियों में प्रमुख वेदी ब्रह्म सरोवर है.

ऐसी मान्यता है कि इस सरोवर में पिंडदान करने से पितरों को ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है. इसके पीछे कथा है कि गया जी स्थित ब्रह्म सरोवर में यज्ञ करने के बाद ब्रह्मा जी ने स्नान किया था. ब्रह्मा जी ने गयासुर के विशाल शरीर पर ये यज्ञ किया था. चार महीने तक चले इस यज्ञ से गयासुर के शरीर से खंभा निकला. इसे ब्रह्म यूप कहते हैं.

ब्रह्म सरोवर
ब्रह्म सरोवर

आम्र वृक्ष का सेचन अवश्य करें
इसके बाद से इस सरोवर में श्राद्ध करने से पितरों को तरण और यूप की प्रदक्षिणा करने से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता हैं. गोप्रचार तीर्थ के समीप आम्र वृक्ष रूप तीर्थ है, जिसका सेचन करने से पितर से मोक्ष प्राप्त करते हैं.

बड़ी संख्या में पिंडदान करने पहुंच रहे हैं लोग

आम्र सेचन के पीछे की कहानी
आम्र सेचन करते समय यजमान बोले कि सर्व देवमय विष्णु रूप ब्रह्मसर उतपन्न. आम पेड़ का पितरों की मुक्ति के लिए अच्छी प्रकार से सेचन करते हैं. इस संबंध में यह उक्ति भी प्रसिद्ध है कि एक मुनि हाथ मे कुम्भ एवं कुशाग्र लेकर आम्र के जड़ में पानी दे रहे थे, जिससे पितरों की तृप्ति हो रही थी. क्रिया एक है किंतु दो अर्थ में प्रसिद्ध हैं.

पिंडदान करते लोग
पिंडदान करते लोग

कागबलि में मौजूद हैं तारक ब्रह्मा
ब्रह्म सरोवर तीर्थ के पास कागबलि तीर्थ है, यह रामशिला के पास के तीर्थ की वेदी भिन्न है. इसमें भी यम श्वान एवं काक को बलि रूप में पिंड दिए जाते हैं. काकबलि में मूंगदाल अथवा उरद दाल अवश्य दान करना चाहिए. ततपश्चात ब्रह्म सरोवर के पास तारक ब्रह्मा का दर्शन कर पांचवें दिन की विधि पूर्ण करें. तारक ब्रह्मा का पितृतारक ब्रह्मा कहते हैं.

गया: पितृ पक्ष के पांचवें दिन मोक्ष की नगरी गया में ब्रह्म सरोवर महत्व रखता है. ब्रह्म सरोवर में पिंडदान कर काकबलि वेदी पर कुत्ता, कौआ और यम को उड़द के आटे का पिंड बनाकर तर्पण दिया जाता है. काकबलि से बलि देकर आम्र सिचन वेदी के पास आम वृक्ष की जड़ को कुश के सहारे जल दिया जाता है. तीनों वेदियों में प्रमुख वेदी ब्रह्म सरोवर है.

ऐसी मान्यता है कि इस सरोवर में पिंडदान करने से पितरों को ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है. इसके पीछे कथा है कि गया जी स्थित ब्रह्म सरोवर में यज्ञ करने के बाद ब्रह्मा जी ने स्नान किया था. ब्रह्मा जी ने गयासुर के विशाल शरीर पर ये यज्ञ किया था. चार महीने तक चले इस यज्ञ से गयासुर के शरीर से खंभा निकला. इसे ब्रह्म यूप कहते हैं.

ब्रह्म सरोवर
ब्रह्म सरोवर

आम्र वृक्ष का सेचन अवश्य करें
इसके बाद से इस सरोवर में श्राद्ध करने से पितरों को तरण और यूप की प्रदक्षिणा करने से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता हैं. गोप्रचार तीर्थ के समीप आम्र वृक्ष रूप तीर्थ है, जिसका सेचन करने से पितर से मोक्ष प्राप्त करते हैं.

बड़ी संख्या में पिंडदान करने पहुंच रहे हैं लोग

आम्र सेचन के पीछे की कहानी
आम्र सेचन करते समय यजमान बोले कि सर्व देवमय विष्णु रूप ब्रह्मसर उतपन्न. आम पेड़ का पितरों की मुक्ति के लिए अच्छी प्रकार से सेचन करते हैं. इस संबंध में यह उक्ति भी प्रसिद्ध है कि एक मुनि हाथ मे कुम्भ एवं कुशाग्र लेकर आम्र के जड़ में पानी दे रहे थे, जिससे पितरों की तृप्ति हो रही थी. क्रिया एक है किंतु दो अर्थ में प्रसिद्ध हैं.

पिंडदान करते लोग
पिंडदान करते लोग

कागबलि में मौजूद हैं तारक ब्रह्मा
ब्रह्म सरोवर तीर्थ के पास कागबलि तीर्थ है, यह रामशिला के पास के तीर्थ की वेदी भिन्न है. इसमें भी यम श्वान एवं काक को बलि रूप में पिंड दिए जाते हैं. काकबलि में मूंगदाल अथवा उरद दाल अवश्य दान करना चाहिए. ततपश्चात ब्रह्म सरोवर के पास तारक ब्रह्मा का दर्शन कर पांचवें दिन की विधि पूर्ण करें. तारक ब्रह्मा का पितृतारक ब्रह्मा कहते हैं.

Intro:गया जी के मोक्षधाम में पिंडदान के पांचवा दिन का महत्व ब्रह्म सरोवर में है। ब्रह्म सरोवर में पिंडदान कर काकबलि वेदी पर कुत्ता,कौआ और यम को उड़द के आटे का पिंड बनाकर बलि दिया जाता है। काकबलि से बलि देकर आम्र सिचन वेदी के पास आम वृक्ष की जड़ को कुश के सहारे जल दिया जाता है। तीनो वेदियों में प्रमुख वेदी ब्रह्म सरोवर है। इस सरोवर में पिंडदान करने से पितरों को ब्रह्मलोक की प्राप्ति होता हैं।


Body:17 दिवसीय श्राद्ध में पांचवे दिन का महत्व ब्रह्मसरोवर में है। इसके पीछे कथा है ब्रह्म सरोवर में गयाजी में यज्ञ करने के बाद ब्रह्मा जी ने स्नान किया था। ब्रह्मा जी गया सुर के विशाल शरीर पर यज्ञ किया था। यह यज्ञ चार मास तक हुआ था।

ब्राहसर रूप अवट से यूप (खम्भ) निकला जो ब्रह्मा यूप कहलाता है। इस ब्रह्म सरोवर पर श्राद्ध करने से सभी पितरों का तरण एवं यूप की प्रदक्षिणा करने से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता हैं। गोप्रचार तीर्थ के समीप आम्र वृक्ष रूप तीर्थ है जिसका सेचन करने से पितर से मोक्ष प्राप्त करते हैं।

आम्र सेचन करते समय यजमान बोले कि सर्व देवमय विष्णु रूप ब्रह्मसर उतपन्न। आम पेड़ का पितरों की मुक्ति के लिए अच्छी प्रकार से सेचन करते हैं। इस संबंध में यह उक्ति भी प्रसिद्ध है कि एक मुनि हाथ मे कुम्भ एवं कुशाग्र लेकर आम्र के जड़ में पानी दे रहे थे जिसमे आम्र सेचन एवं पितरों की तृप्ति हो रही थी। क्रिया एक है किंतु दो अर्थ में प्रसिद्ध हैं।

ब्रह्म सरोवर तीर्थ के पास कागबलि तीर्थ है यह रामशिला के पास के तीर्थ से वेदी भिन्न है। इसमें भी यम श्वान एवं काक को बलि रूप में पिंड दिए जाते हैं। काकबलि में मूंगदाल अथवा उरद दाल अवश्य दान करना चाहिए। ततपश्चात ब्रह्म सरोवर के पास तारक ब्रह्मा का दर्शन कर पांचवे दिन की विधि पूर्ण करें। तारक ब्रह्मा का पितृतारक ब्रह्मा कहते हैं।




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