गया: धर्मांतरण का मुद्दा आजकल गया जिले में काफी चर्चा में है. कई धार्मिक और सांस्कृतिक संगठन इसे लेकर आगे आ गये हैं. उन इलाकों में गतिविधियां काफी बढ़ गयी हैं. एक संगठन द्वारा 'घर वापसी' का भी अभियान चलाया जा रहा है. इसी बीच सूबे के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी (Former CM Jitan Ram Manjhi) ने एक प्रकार से धर्मांतरण का समर्थन किया है. हालांकि उन्होंने इसके लिए कई कारण जरूर गिनाये हैं. मांझी इस मामले को लेकर अप्रत्यक्ष तौर पर सरकार पर भी निशाना साधा है.
गया शहर स्थित अपने आवास पर बैठक में जीतनराम मांझी के समक्ष धर्मांतरण का मुद्दा उठाया गया. उन्होंने कहा कहा कि जैसे हम जिस घर में हैं, वहां मान-मर्यादा नहीं हो और कहीं और मिलती है तो स्वाभाविक तौर पर लोग जा रहे हैं. कहीं न कहीं कमी तो रह गई होगी. इसके चलते लोग दूसरी ओर जा रहे हैं. आजादी के इतने वर्षों बाद भी जात-पात, छुआछूत, ऊंच-नीच सारी बाते हैं. अब बिहार का मुख्यमंत्री किसी मंदिर में जाता है और मंदिर को धोया जाता है तो ये क्या है, कैसा वो मंदिर है.
मांझी ने कहा कि धर्म परिवर्तन से भारत की सार्वभौमता पर क्या कोई खतरा है? ये धर्म निरपेक्ष देश है. यहां अपनी इच्छा के अनुसार धर्म का पालन, धर्म का प्रचार करने की स्वतंत्रता है. इसलिए कौन कहां जा रहा है, मेरी समझ से यह समस्या का विषय नहीं है. घर के मालिक को समझना चाहिए कि आखिर वे क्यों जा रहे हैं? आपके यहां उनका विकास संभव नहीं है. आप छुआछूत की बात करते हैं. पूर्व सीएम ने कहा कि जब-जब धर्म लचीला हुआ है, तब-तब उस धर्म का प्रचार हुआ और जब-जब धर्म रिजिड हुआ, तब तब उस धर्म का नास हुआ है.
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दरअसल, गया जिले में खास करके महादलित के लोग हिंदू धर्म छोड़कर ईसाई धर्म अपना रहे हैं. यह खेल लगभग डेढ़ दशक से गया जिले में चल रहा है. अभी गया जिले में हजारों लोगों ने ईसाई धर्म अपना लिया है. इसको लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है.
ईटीवी भारत की टीम मामले की पड़ताल के लिए वहां पहुंची तो वहां देखा कि अंधविश्वास की आड़ में ईसाई धर्म के लोगों द्वारा धर्मांतरण का खेल खेला जा रहा है.गौरतलब है कि धान रोपनी के पहले आषाढ़ी पूजा होती है. उस पूजा को मांझी समाज के लोग करते हैं. जब इस साल पूजा नहीं हुई तो अन्य समाज के लोगों ने इसके बारे में जानकारी ली. तब पता चला कि मांझी परिवार के लोगों ने ईसाई धर्म अपना लिया है.