गया: बिहार में 15 दिनों में 4 जिलों में हुए चार धमाकों ( Blast in Bihar ) के बाद ईटीवी भारत की टीम ने गया रेलवे स्टेशन ( Gaya Railway Station ) की ग्राउंड रियलिटी टेस्ट की तो नतीजे हैरान और परेशान करने वाले थे. गया जंक्शन ( Security on Gaya Junction) पर सुरक्षा जांच के नाम पर किसी प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं की गई है. बिहार की धार्मिक नगरी अति संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है. इस नगरी की सुरक्षा व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त होने चाहिए लेकिन गया जंक्शन पर सुरक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे है.
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प्लेटफॉर्म नं.-1 से बिना रोक टोक के इंट्री
ईटीवी भारत की टीम ने गया जंक्शन की सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया. पड़ताल में ये बात सामने आई कि गया जंक्शन की प्लेटफॉर्म नम्बर एक पर अवैध एंट्री की है. जहां लोग बिना चेकिंग और बिना रोक टोक के गया जंक्शन पर प्रवेश करते हैं. इस स्थान पर पुलिस की तैनाती नहीं रहती है.
पार्सल की जांच की कोई व्यवस्था नहीं
दूसरी तस्वीर गया जंक्शन का एक प्लेटफार्म पर स्थित पार्सल डिपार्टमेंट में कर्मियों के साथ-साथ पार्सल की जांच करने की व्यवस्था नहीं है. पार्सल डिपार्टमेंट के एक कर्मी सुरेंद्र कुमार ने बताया कि गया जंक्शन पर हर दिन 300 पार्सल कार्टन आते हैं. इन पार्सल को हमें खोलने की इजाजत नही हैं. शक होने के आधार पर हम लोग पार्सल लेने वाले व्यक्ति के सामने खोलते हैं. हमलोग के पास बम जांच करनेवाला कोई भी यंत्र नहीं है.
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सीसीटीवी से की जा रही निगरानी
तीसरी तस्वीर थोड़ी राहत वाली है. सुरक्षा व्यवस्था में गया जंक्शन पर 46 सीसीटीवी कैमरे लगे हैं. सभी कैमरे चालू हैं.आरपीएफ पोस्ट निरीक्षक एस सिद्दीकी ने बताया कि सभी सीसीटीवी कैमरा के फुटेज की निगरानी की जाती है.
'सीसीटीवी फुटेज में संदिग्ध या घटना होते देख तुरंत आरपीएफ और जीआरपी को सूचना देती है. सीसीटीवी से कई घटनाओं को रोकने में सफल हुए है.' :- एस सिद्दीकी, पोस्ट निरीक्षक आरपीएफ
मेन गेट नहीं लगा है मेटल डिटेक्टर
चौथी तस्वीर गया जंक्शन के मुख्य एंट्रेंस की है. पिछले साल तक मुख्य एंट्रेंस पर मेंटल डिटेक्टर लगा रहता था लेकिन अब वो भी नहीं लगा है. यात्री बिना चेक के जंक्शन में प्रवेश कर रहे हैं. आरपीएफ पोस्ट निरीक्षक एस सिद्दीकी ने बताया कि डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर नहीं लगे हैं. लेकिन जीआरपी के पास बम स्क्वायड है, जो जानकारी मिलते ही पहुंच जाती है.
पार्किंग में कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं
पांचवी तस्वीर गया जंक्शन की बाहरी परिसर की है. जहां एक पुलिस जवान की तैनाती नही है. बाहरी परिसर में चार पहिया, तीन पहिया और बाइक का स्टैंड है. इन गाड़ियों के आने पर कोई भी रोक-टोक नही हैं. जंक्शन परिसर पर जो जिस स्थिति में है वो प्रवेश कर सकता है. क्योंकि रेल पुलिस कहीं कोई जांच नहीं कर रही है.
लगातार हो रहे बम धमाके
बिहार में एक के बाद एक बम धमाके हो रहे हैं. बांका के मदरसा में हुए धमाके की गूंज अभी थमी भी नहीं थी कि अररिया में विस्फोट हो गया. चंद दिनों बाद दरभंगा और सिवान में भी बम फटा. इन धमाकों में आतंकी कनेक्शन की बात भी आ रही है. एनआईए और आईबी जैसी एजेंसियां जांच में लगी हैं.
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कई तरह के सवाल
पिछले 2 हफ्ते में हुए चार बम धमाकों को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. आखिर बिहार की धरती से आतंकी साजिश के पीछे क्या राज है. दरभंगा, बांका, सिवान और अररिया ब्लास्ट के पीछे का मास्टरमाइंड कौन है? इसमें कोई दो राय नहीं है कि बिहार में पिछले 2 हफ्ते में जो घटनाएं घटित हुई हैं उसमें बड़ी आतंकी साजिश हो सकती है.
बिहार के मिथिलांचल और पूर्वांचल के इलाके आतंकियों के सॉफ्ट टारगेट रहे हैं. बिहार के मुंगेर, दरभंगा के साथ-साथ कई इलाकों से पहले भी आधुनिक हथियार मिले हैं. बांका, अररिया, दरभंगा के बाद सिवान में भी बम धमाकों से कई सवाल खड़े हो रहे हैं.