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गया के ANMMCH की टूटी खिड़कियों से आती है सर्द हवाएं, ठंड में परेशानी झेलने को मरीज मजबूर

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Published : Nov 27, 2022, 7:30 AM IST

डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के अल्टीमेटम के बाद भी मगध प्रमंडल के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल ANMMCH में टूटी खिड़कियों से इस ठंड में मरीज सर्द हवा झेलने को विवश हैं. एएनएमएमसीएच के भवन की बदहाल हालत (Bad Condition of Gaya ANMMCH Building)से मरीज परेशान हो रहे हैं. पढ़ें पूरी खबर..

गया एएनएमएमसीएच की टूटी खिड़कियाें से मरीज परेशान
गया एएनएमएमसीएच की टूटी खिड़कियाें से मरीज परेशान

गया: बिहार के गया में मगध प्रमंडल के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एएनएमएमसीएच में स्वास्थ्य सुविधा का हाल बेहाल है. यहां की टूटी खिड़कियां डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव अल्टीमेटम को बेकार साबित कर रही है. अस्पाताल में भर्ती मरीज टूटी खिड़कियों से सर्द हवा झेलने को विवश (Gaya ANMMCH patients upset due to broken windows) हैं. इसके अलावा भी अस्पताल में कई सारी खामियां हैं. एएनएमएमसीएच का भवन बदहाल अवस्था में है. इसके मरम्मत की कोई जहमत तक उठाने वाला नहीं दिखाई देता है.

ये भी पढ़ेंः गया में संचालित नहीं है एक भी ट्रॉमा सेंटर, नाजुक हालत के मरीजों को कर दिया जाता है रेफर

डिप्टी सीएम का अल्टीमेटम नहीं दिख रहा असरः बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने सरकारी अस्पतालों में सुधार को लेकर अल्टीमेटम दे रखा है, लेकिन इसका असर मगध प्रमंडल के सबसे बड़े अस्पताल एएनएमएमसीएच में नहीं दिख रहा है. यहां भर्ती मरीज ठंड के इस मौसम में सर्द हवा की मार झेलने को विवश हैं. यहां मगध प्रमंडल ही नहीं, बल्कि झारखंड से भी मराज इलाज कराने आते हैं.


मगध प्रमंडल ही नहीं झारखंड से भी इलाज कराने आते हैं मरीजः गया का मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल मगध प्रमंडल का सबसे बड़ा सरकारी हॉस्पिटल है. यहां मगध प्रमंडल के गया के अलावे जहानाबाद, अरवल, नवादा, औरंगाबाद समेत बिहार के अन्य कई जिले और झारखंड से भी इलाज कराने मरीज यहां आते हैं. इलाज को आने वाले मरीज जो भर्ती होते हैं, उन्हें इस मौसम में काफी परेशानियां झेलनी पड़ रही है. मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल के सर्जरी, मेडिसिन समेत कई वार्ड ऐसे हैं, जिन की खिड़कियां टूटी फूटी और जर्जर हैं. इनसे सर्द हवाएं सीधे ऐसे वार्डों में प्रवेश करती है और मरीज ठंड के कारण कंपकपाते रहने को विवश हैं.

ठोस व्यवस्था के बजाय प्लास्टिक से खानापूर्ति की कोशिशः सबसे बड़ी बात यह है कि ठोस व्यवस्था के तौर पर खिड़कियों को सही करने के बजाए उसे प्लास्टिक से ढंककर खानापूर्ति की कोशिश की जा रही है. अभी ऐसे कई वार्ड हैं, जहां की खिड़कियां खुली हुई या टूटी हुई है. ऐसे में मरीजों को काफी मुश्किलें झेलनी पड़ रही है और वह अपना इलाज सर्द हवाओं के बीच करा रहे हैं. एक मरीज का तो यह भी कहना है इस ठंड के मौसम में भी मांगने पर ही कंबल मिलता है.

छत से टूटकर गिरते रहते हैं प्लास्टरः मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल के ऐसे वार्ड जर्जर भी हुए हैं, जिनमें प्लास्टर टूटकर गिरता है, जिससे मरीजों की जान आफत में रहती है. बीमारियों का इलाज कराने आए मरीज मजबूर होकर इस व्यवस्था के बीच अपना इलाज कराने को विवश हैं. हालांकि वे इस प्रकार की व्यवस्था से नाराज जरूर देखते हैं, लेकिन इलाज की मजबूरी में विरोध दर्ज करा आफत मोल लेना नहीं चाहते.
खिड़कियां टूटी रहने से मरीजों को परेशानीः मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल के सर्जरी वार्ड में भर्ती रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि वह गोदावरी के रहने वाले हैं और यहां की व्यवस्था से असंतुष्ट है. उन्होंने बताया कि खिड़कियां टूटी रहने के कारण सर्द हवाएं आती है, और काफी परेशान होते हैं. वहीं मांगने पर कंबल मिलता है. बताया कि सर्द हवाएं काफी परेशान कर रही है, लेकिन यहां कोई सुनने वाला नहीं है.

"खिड़कियां टूटी रहने के कारण सर्द हवाएं आती है, और काफी परेशान होते हैं. वहीं मांगने पर कंबल मिलता है. सर्द हवाएं काफी परेशान कर रही है, लेकिन यहां कोई सुनने वाला नहीं है"- रंजीत कुमार सिन्हा, गोदावरी

कमियां को शीघ्र दूर करने का दावा: मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक गोपाल शरण ने बताया कि इस प्रकार की परेशानी आ रही है, जिसे दूर करने की कोशिश हो रही है. यदि और भी मेडिकल के वार्ड में खिड़कियां टूटी हुई है और मरीजों को सर्द हवाओं से जूझना पड़ रहा है, तो इसका भी समाधान किया जाएगा. इस प्रकार की व्यवस्था को दूर कर मरीजों को किसी प्रकार की तकलीफ ना हो, इसका पूरा ध्यान रखा जाएगा.

" इस प्रकार की परेशानी आ रही है, जिसे दूर करने की कोशिश हो रही है. यदि और भी मेडिकल के वार्ड में खिड़कियां टूटी हुई है और मरीजों को सर्द हवाओं से जूझना पड़ रहा है, तो इसका भी समाधान किया जाएगा. इस प्रकार की व्यवस्था को दूर कर मरीजों को किसी प्रकार की तकलीफ ना हो, इसका पूरा ध्यान रखा जाएगा" - गोपाल शरण, अधीक्षक, मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल गया

गया: बिहार के गया में मगध प्रमंडल के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एएनएमएमसीएच में स्वास्थ्य सुविधा का हाल बेहाल है. यहां की टूटी खिड़कियां डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव अल्टीमेटम को बेकार साबित कर रही है. अस्पाताल में भर्ती मरीज टूटी खिड़कियों से सर्द हवा झेलने को विवश (Gaya ANMMCH patients upset due to broken windows) हैं. इसके अलावा भी अस्पताल में कई सारी खामियां हैं. एएनएमएमसीएच का भवन बदहाल अवस्था में है. इसके मरम्मत की कोई जहमत तक उठाने वाला नहीं दिखाई देता है.

ये भी पढ़ेंः गया में संचालित नहीं है एक भी ट्रॉमा सेंटर, नाजुक हालत के मरीजों को कर दिया जाता है रेफर

डिप्टी सीएम का अल्टीमेटम नहीं दिख रहा असरः बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने सरकारी अस्पतालों में सुधार को लेकर अल्टीमेटम दे रखा है, लेकिन इसका असर मगध प्रमंडल के सबसे बड़े अस्पताल एएनएमएमसीएच में नहीं दिख रहा है. यहां भर्ती मरीज ठंड के इस मौसम में सर्द हवा की मार झेलने को विवश हैं. यहां मगध प्रमंडल ही नहीं, बल्कि झारखंड से भी मराज इलाज कराने आते हैं.


मगध प्रमंडल ही नहीं झारखंड से भी इलाज कराने आते हैं मरीजः गया का मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल मगध प्रमंडल का सबसे बड़ा सरकारी हॉस्पिटल है. यहां मगध प्रमंडल के गया के अलावे जहानाबाद, अरवल, नवादा, औरंगाबाद समेत बिहार के अन्य कई जिले और झारखंड से भी इलाज कराने मरीज यहां आते हैं. इलाज को आने वाले मरीज जो भर्ती होते हैं, उन्हें इस मौसम में काफी परेशानियां झेलनी पड़ रही है. मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल के सर्जरी, मेडिसिन समेत कई वार्ड ऐसे हैं, जिन की खिड़कियां टूटी फूटी और जर्जर हैं. इनसे सर्द हवाएं सीधे ऐसे वार्डों में प्रवेश करती है और मरीज ठंड के कारण कंपकपाते रहने को विवश हैं.

ठोस व्यवस्था के बजाय प्लास्टिक से खानापूर्ति की कोशिशः सबसे बड़ी बात यह है कि ठोस व्यवस्था के तौर पर खिड़कियों को सही करने के बजाए उसे प्लास्टिक से ढंककर खानापूर्ति की कोशिश की जा रही है. अभी ऐसे कई वार्ड हैं, जहां की खिड़कियां खुली हुई या टूटी हुई है. ऐसे में मरीजों को काफी मुश्किलें झेलनी पड़ रही है और वह अपना इलाज सर्द हवाओं के बीच करा रहे हैं. एक मरीज का तो यह भी कहना है इस ठंड के मौसम में भी मांगने पर ही कंबल मिलता है.

छत से टूटकर गिरते रहते हैं प्लास्टरः मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल के ऐसे वार्ड जर्जर भी हुए हैं, जिनमें प्लास्टर टूटकर गिरता है, जिससे मरीजों की जान आफत में रहती है. बीमारियों का इलाज कराने आए मरीज मजबूर होकर इस व्यवस्था के बीच अपना इलाज कराने को विवश हैं. हालांकि वे इस प्रकार की व्यवस्था से नाराज जरूर देखते हैं, लेकिन इलाज की मजबूरी में विरोध दर्ज करा आफत मोल लेना नहीं चाहते.
खिड़कियां टूटी रहने से मरीजों को परेशानीः मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल के सर्जरी वार्ड में भर्ती रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि वह गोदावरी के रहने वाले हैं और यहां की व्यवस्था से असंतुष्ट है. उन्होंने बताया कि खिड़कियां टूटी रहने के कारण सर्द हवाएं आती है, और काफी परेशान होते हैं. वहीं मांगने पर कंबल मिलता है. बताया कि सर्द हवाएं काफी परेशान कर रही है, लेकिन यहां कोई सुनने वाला नहीं है.

"खिड़कियां टूटी रहने के कारण सर्द हवाएं आती है, और काफी परेशान होते हैं. वहीं मांगने पर कंबल मिलता है. सर्द हवाएं काफी परेशान कर रही है, लेकिन यहां कोई सुनने वाला नहीं है"- रंजीत कुमार सिन्हा, गोदावरी

कमियां को शीघ्र दूर करने का दावा: मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक गोपाल शरण ने बताया कि इस प्रकार की परेशानी आ रही है, जिसे दूर करने की कोशिश हो रही है. यदि और भी मेडिकल के वार्ड में खिड़कियां टूटी हुई है और मरीजों को सर्द हवाओं से जूझना पड़ रहा है, तो इसका भी समाधान किया जाएगा. इस प्रकार की व्यवस्था को दूर कर मरीजों को किसी प्रकार की तकलीफ ना हो, इसका पूरा ध्यान रखा जाएगा.

" इस प्रकार की परेशानी आ रही है, जिसे दूर करने की कोशिश हो रही है. यदि और भी मेडिकल के वार्ड में खिड़कियां टूटी हुई है और मरीजों को सर्द हवाओं से जूझना पड़ रहा है, तो इसका भी समाधान किया जाएगा. इस प्रकार की व्यवस्था को दूर कर मरीजों को किसी प्रकार की तकलीफ ना हो, इसका पूरा ध्यान रखा जाएगा" - गोपाल शरण, अधीक्षक, मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल गया

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