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भारत की तीन हजार साल पुरानी सभ्यता का बौद्ध धर्म के उदय में अहम रोल- दलाईलामा - बोधगया में दलाईलामा का टीचिंग सेशन

अपने प्रवचन में दलाईलामा ने कहा कि जो भी दुख आता है वह अपनी अज्ञानता और बुरे गुणों की वजह से आता है, इससे हमें बचना चाहिए, तभी हम सुखी रह पाएंगे.

gaya
दलाईलामा
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Published : Jan 2, 2020, 3:21 PM IST

गयाः बोधगया में तिब्बतियों के 14 वें धर्मगुरू दलाईलामा के चार दिवसीय प्रवचन के पहले दिन का प्रवचन समाप्त हो गया है. पहले दिन के प्रवचन में दलाईलामा का करूणा-मैत्री और अहिंसा पर खास फोकस रहा. इसके साथ ही उन्होंने भारत की पाली सभ्यता और नालंदा की सभ्यता का भी जिक्र किया.

'भारत की तीन हजार साल पुरानी सभ्यता को धारण करें'
दलाईलामा के प्रवचन को हिंदी में ट्रांसलेट कर रहे कैलाश चन्द्र बौद्ध ने बताया कि बौद्ध धर्म के परिचय के रूप में उनका प्रवचन शुरू हुआ. बौद्ध का उदय में नालंदा परंपरा और पाली परंपरा का अहम रोल रहा. भारत की तीन हजार साल पुरानी सभ्यता जो है, उसे लोगो को धारण करना चाहिए. ये सभी धर्म के लिए कोई एक धर्म विशेष के लिए नहीं है.

gaya
कैलाश चन्द्र बौद्ध , दलाई लामा के ट्रांसलेटर

बोधिसत्व के 37 अभ्यास के ग्रन्थ की दी जानकारी
आज के प्रवचन में दलाईलामा ने कहा कि जीवन में जो भी दुख आता है वह अपनी अज्ञानता और बुरे गुणों की वजह से आता है, इससे हमें बचना चाहिए, तभी हम सुखी रह पाएंगे. कोई भी व्यक्ति चाहे वह किसी भी धर्म का हो सुख और शांति चाहता है. उन्होंने बोधिसत्व के 37 अभ्यास के ग्रन्थ को आधार बनाकर प्रवचन दिया.

जानकारी देते संवाददाता

प्रवचन में दलाई लामा पर टिकी थी सबकी नजर
वहीं, देश और विदेश से आये हजारों श्रद्धालु की नजर कालचक्र मैदान में बने विशेष आसन पर बैठे दलाई लामा पर टिकी थी. दलाई लामा प्रवचन करते हुए अगर मुस्कराते तो पूरा बौद्ध हुजूम मुस्कराता. बौद्ध धर्म के अनुयायी शांत होकर विभिन्न भाषाओं के लिए अलग-अलग फ्रीक्वेंसी पर एफएम रेडियो ट्यून कर सुन रहे थे.

ये भी पढ़ेंः पटना: गुरु गोविंद सिंह के 353वें प्रकाश पर्व को लेकर तख्त श्री हरमंदिर साहिब पहुंचे CM नीतीश

दलाईलामा ने तिब्बती भाषा में दिया प्रवचन
तिब्बती धर्म गुरु दलाईलामा प्रवचन तिब्बती भाषा में दे रहे थे. उनके भाषण को 11 भषाओं में ट्रांसलेट किया जा रहा था. आपको बता दें कि इतने बड़े आयोजन के लिए सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम था, एक व्यक्ति भी बिना सुरक्षा चेक के अंदर नहीं जा सकता था. तिब्बती मठ से लेकर कालचक्र मैदान तक सात स्तर की सुरक्षा व्यवस्था की गई थी.

gaya
लोगों से मिलते दलाईलामा

अनुयायियों के बीच बांटी गई 20 हजार लीटर चाय
दलाईलामा को सुनने के लिए लोग ठंड की भी परवाह नहीं कर रहे थे. जिन लोग को वाटर प्रूफ पंडाल में जगह नहीं मिली उन्होंने ठंड में खुले आसमान के नीचे बैठकर प्रवचन सुना. उनके लिए बड़े बड़े एलईडी स्क्रीन लगाया गया था. प्रवचन के बाद बौद्ध अनुयायियों को विशेष चाय वितरण की गई. लगभग 20 हजार लीटर चाय का वितरण किया गया.

गयाः बोधगया में तिब्बतियों के 14 वें धर्मगुरू दलाईलामा के चार दिवसीय प्रवचन के पहले दिन का प्रवचन समाप्त हो गया है. पहले दिन के प्रवचन में दलाईलामा का करूणा-मैत्री और अहिंसा पर खास फोकस रहा. इसके साथ ही उन्होंने भारत की पाली सभ्यता और नालंदा की सभ्यता का भी जिक्र किया.

'भारत की तीन हजार साल पुरानी सभ्यता को धारण करें'
दलाईलामा के प्रवचन को हिंदी में ट्रांसलेट कर रहे कैलाश चन्द्र बौद्ध ने बताया कि बौद्ध धर्म के परिचय के रूप में उनका प्रवचन शुरू हुआ. बौद्ध का उदय में नालंदा परंपरा और पाली परंपरा का अहम रोल रहा. भारत की तीन हजार साल पुरानी सभ्यता जो है, उसे लोगो को धारण करना चाहिए. ये सभी धर्म के लिए कोई एक धर्म विशेष के लिए नहीं है.

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कैलाश चन्द्र बौद्ध , दलाई लामा के ट्रांसलेटर

बोधिसत्व के 37 अभ्यास के ग्रन्थ की दी जानकारी
आज के प्रवचन में दलाईलामा ने कहा कि जीवन में जो भी दुख आता है वह अपनी अज्ञानता और बुरे गुणों की वजह से आता है, इससे हमें बचना चाहिए, तभी हम सुखी रह पाएंगे. कोई भी व्यक्ति चाहे वह किसी भी धर्म का हो सुख और शांति चाहता है. उन्होंने बोधिसत्व के 37 अभ्यास के ग्रन्थ को आधार बनाकर प्रवचन दिया.

जानकारी देते संवाददाता

प्रवचन में दलाई लामा पर टिकी थी सबकी नजर
वहीं, देश और विदेश से आये हजारों श्रद्धालु की नजर कालचक्र मैदान में बने विशेष आसन पर बैठे दलाई लामा पर टिकी थी. दलाई लामा प्रवचन करते हुए अगर मुस्कराते तो पूरा बौद्ध हुजूम मुस्कराता. बौद्ध धर्म के अनुयायी शांत होकर विभिन्न भाषाओं के लिए अलग-अलग फ्रीक्वेंसी पर एफएम रेडियो ट्यून कर सुन रहे थे.

ये भी पढ़ेंः पटना: गुरु गोविंद सिंह के 353वें प्रकाश पर्व को लेकर तख्त श्री हरमंदिर साहिब पहुंचे CM नीतीश

दलाईलामा ने तिब्बती भाषा में दिया प्रवचन
तिब्बती धर्म गुरु दलाईलामा प्रवचन तिब्बती भाषा में दे रहे थे. उनके भाषण को 11 भषाओं में ट्रांसलेट किया जा रहा था. आपको बता दें कि इतने बड़े आयोजन के लिए सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम था, एक व्यक्ति भी बिना सुरक्षा चेक के अंदर नहीं जा सकता था. तिब्बती मठ से लेकर कालचक्र मैदान तक सात स्तर की सुरक्षा व्यवस्था की गई थी.

gaya
लोगों से मिलते दलाईलामा

अनुयायियों के बीच बांटी गई 20 हजार लीटर चाय
दलाईलामा को सुनने के लिए लोग ठंड की भी परवाह नहीं कर रहे थे. जिन लोग को वाटर प्रूफ पंडाल में जगह नहीं मिली उन्होंने ठंड में खुले आसमान के नीचे बैठकर प्रवचन सुना. उनके लिए बड़े बड़े एलईडी स्क्रीन लगाया गया था. प्रवचन के बाद बौद्ध अनुयायियों को विशेष चाय वितरण की गई. लगभग 20 हजार लीटर चाय का वितरण किया गया.

Intro:गया के बोधगया के कालचक्र मैदान में तिब्बत के 14 वे दलाई लामा का चार दिवसीय प्रवचन में पहले दिन का प्रवचन हुआ है। पहले दिन के प्रवचन में भारत के करूणा-मैत्री और अहिंसा पर खास फोकस रहा ।


Body:गया के कड़ाके ठंड में तड़के सुबह से तिब्बती धर्म गुरु के प्रति आस्था रखनेवाले 47 देशों के बौद्ध अनुयायियों का कालचक्र मैदान में आना जारी था। सुबह आठ बजे दलाई लामा के आगमन के बाद सूत पाठ शुरू किया गया। करीबन नौ बजे दलाई लामा ने अपना प्रवचन शुरू किया ।

vo:1 देश ही नही विदेश से आये हजारो श्रद्धालु एक नजर से कालचक्र मैदान में बने विशेष आसन पर बैठे दलाई लामा पर टिकी थी। दलाई लामा प्रवचन करते हुए अगर मुस्कराते तो पूरा बौद्ध हुजूम मुस्कराता। बौद्ध धर्म के अनुयायी शांत होकर विभिन्न भाषाओं के लिए अलग अलग फ्रीक्वेंसी पर एफ़एम रेडियो ट्यून कर सुन रहे थे।

vo:2 तिब्बती धर्म गुरु दलाईलामा प्रवचन तिब्बती भाषा मे दे रहे थे उनके भाषण को 11 भषाओं में ट्रांसलेट किया जा रहा था। प्रवचन का हिंदी ट्रांसलेट कर रहे ट्रांसलेटर से ईटीवी भारत ने बात की , उन्होंने ने बताया बौद्ध धर्म के परिचय के रूप में उनका प्रवचन शुरू हुआ। बौद्ध का उदय में नालंदा परंपरा और पाली परंपरा का अहम रोल रहा । आज का जो मुख्य जो फोकस रहा,करुणा-मैत्री और अहिंसा। भारत के तीन हजार पुरानी सभ्यता जो हैं उसे लोगो को धारण करना चाहिए। ये सभी धर्म के लिए कोई एक धर्म विशेष के लिए नही है। बोधिसत्व के 37 अभ्यास के ग्रन्थ को आधार बनाकर प्रवचन दिया गया।

बाईट- कैलाश चन्द्र बौद्ध ( दलाई लामा का हिंदी ट्रांसलेटर)


Conclusion:आपको बता दे इतने बड़े आयोजन के लिए सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम था, एक व्यक्ति भी बिना सुरक्षा चेक के अंदर नही जा सकता था। तिब्बती मठ से लेकर कालचक्र मैदान तक सात स्तर की सुरक्षा व्यवस्था की गई थी।

दलाई लामा को सुने के लिए लोग ठंड का भी परवाह नही कर रहे थे जिन लोग को वाटर प्रूफ पंडाल में जगह नही मिला वैसे हजारो लोग ठंड में खुले आसमान के नीचे बैठकर प्रवचन सुना। उनके लिए बड़े बड़े एलईडी स्क्रीन लगाया गया था।

प्रवचन के बाद बौद्ध अनुयायियों को विशेष चाय वितरण किया गया। लगभग 20 हजार लीटर चाय का वितरण किया गया।

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