गया: मोक्ष की नगरी गयाजी की गलियों में इन दिनों सौंधी खुशबू की महक काफी बिखरी हुई है. धम-धम की आवाज गूंज रही है. इन दुकानों में नववर्ष के आगमन और मकर संक्रांति को लेकर तिलकुट बनाया जा रहा है.
जिले के रमणा रोड में करीब 140 साल पहले से तिलकुट बनाना शुरू हुआ था. आज के दौर में भी लोगों के बीच तिलकुट बेचने की होड़ लगी रहती है. इस व्यवसाय से लगभग हजारों लोग सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं. इस समय तिलकुट का स्वाद विदेशों तक फैला हुआ है.
![Famous tilkut made in Ramna Road shops in Gaya](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/bh-gaya-03-ramana-road-made-tilkut-pkg-7204414_14122020233607_1412f_04223_319.jpg)
लोग कर रहे तारीफ
इन दिनों तिलकुट की दुकानों पर काफी भीड़ लगी रहती है. तिलकुट खरीदने के लिए आने वाले लोग इसकी काफी तारीफ करते हैं. पंजाब से वापस लौटे व्यक्ति योगेंद्र प्रसाद ने कहा कि जब से यहां रह रहा हुं तब से तिलकुट खरीद कर खा रहा हुं. काफी स्वादिष्ट होता है. वहीं, तिलकुट बनाने के बारे में कारीगर ने काफी जानकारी दी.
सरकार से मदद की अपील
इस मौके पर गया धाम तिलकुट व्यवसाय संघ के अध्यक्ष लालजी प्रसाद ने बताया कि यहां पर पिछले साल 50 टन तिल का व्यापार हुआ था. हालांकि नालंदा के सिलाव का खाजा को जीआई टैग मिल गया है. लेकिन गया के तिलकुट को अभी तक जीआई टैग नहीं मिला है. इससे मकर संक्रांति के बाद तिलकुट के बाजार में काफी कमी देखने को मिलती है. हम सरकार से अपील कर रहे हैं कि तिलकुट व्यवसाय को भी मार्केट उपलब्ध करवाई जाए.