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एक तरफ पेयजल संकट से जूझ रहे लोग, दूसरी तरफ गया में लाखों लीटर पानी की हो रही बर्बादी

एक ओर जहां राज्य भर से पानी की किल्लत की खबरें सामने आ रही हैं. वहीं बिहार के गया में लाखों लीटर पानी बर्बाद हो रहा है. ब्रह्मयोनि पहाड़ (brahmayoni hill gaya) पर स्थित मुख्य टंकी से ओवरफ्लो होकर नाले में चौबीसों घंटे पानी बहता रहता है. पढ़ें पूरी खबर..

brahmayoni hill gaya
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Published : May 7, 2022, 2:26 PM IST

Updated : May 7, 2022, 4:29 PM IST

गया: पानी की बर्बादी रोकने के तमाम उपाय निरर्थक साबित हो रहे हैं. जबकि हर साल गर्मी के मौसम में पानी की किल्लत से हर कोई वाकिफ है. फिर भी प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है. गया शहर के दर्जनों मोहल्लों में पानी की किल्लत (drinking water crisis in gaya) आम है. वहीं ब्रह्मयोनि पहाड़ पर स्थित मुख्य टंकी से पानी (Millions of liters of water wasted in Gaya) ओवरफ्लो होकर नाले में बहता है. पदाधिकारियों की लापरवाही और उदासीनता का खामियाजा लोगों को उठाना पड़ रहा है.

पढ़ें- पेयजल की समस्या से ग्रामीण परेशान, दूसरे वार्ड से पानी लाकर बुझाते हैं प्यास

गया में लाखों लीटर पानी बर्बाद: एक तरफ सरकार जल संरक्षण अभियान (har ghar jal yojna) चलाती है तो वहीं दूसरी ओर गया में लाखों लीटर पानी नालों में जाकर बर्बाद होते हैं. 18 मिलियन लीटर पानी आज भी सीधे शहरवासियों की पहुंच से दूर है. गया शहर की एक बड़ी आबादी आज भी पानी के लिए रोजाना जद्दोजहद करती है. पानी टैंकरों के पास लोगों की भीड़ उमड़ती है या फिर नल में पानी आने का इंतजार किया जाता है. इन सारी परेशानियों के बीच एक ऐसी तस्वीर भी सामने आई है जिसने निगम की कारगुजारी को उजागर किया है.लाखों लीटर पानी बर्बाद हो रहा है लेकिन निगम के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है.

ओवरफ्लो के कारण पानी बर्बाद: गया का दंडीबाग शहर (Gaya Dandibagh City) में पानी सप्लाई का मुख्य केंद्र है. यहां से पाइप लाइन के सहारे ब्रह्मयोनि पहाड़ पर बनाई गई टंकियों में पानी की सप्लाई की जाती है. जहां से उसकी आपूर्ति शहर में की जाती है. इसकी जिम्मेदारी बुडको की देखरेख में संभाल रही एजेंसी इस कदर लापरवाह है कि लाखों लीटर पानी ऐसे ही बहा दिए जा रहे हैं.

बूंद-बूंद के लिए तरस रहे लोग: नलों से पानी भरने के लिए लोग अपनी बारी का घंटों इंतजार करते देखे जा सकते हैं. शहर के दर्जनों मोहल्लों में पानी की किल्लत है. वहीं नगर निगम की लापरवाही का आलम यह है कि लाखों लीटर पानी यूं ही बर्बाद कर दिए जा रहे हैं. यह पानी नाले में जाकर पूरी तरह से बेकार हो जाते हैं. प्रतिदिन लाखों लीटर पानी यूं ही बहा दिए जा रहे हैं. लोगों का कहना है कि हमारे आंखों के सामने पानी बर्बाद हो रहा है और हम पानी की एक एक बूंद के लिए तरस रहे हैं. ब्रह्मयोनि पहाड़ परस्थित मुख्य टंकी से ओवरफ्लो होने के कारण पानी नाले में बहता है.

संबंधित एजेंसी के पदाधिकारी लापरवाह: अरसे से पानी की बर्बादी का सिलसिला लगातार जारी है. लेकिन इसे लेकर कोई भी अधिकारी गंभीर नहीं है. दंडीबाग में पानी स्टार्ट करने वाले संबंधित एजेंसी के पदाधिकारी पानी टंकियों की निगरानी नहीं रखते हैं और समय से मोटर को बंद नहीं किया जाता. इसके कारण टंकियों में पानी भरने के बाद वह ओवरफ्लो होने लगता है और बहाव चारों ओर से जमीन पर होना शुरू हो जाता है. यह लगातार घंटो तक चलता रहता है और पानी बर्बाद होकर नाले में गिरते हैं. वही पानी की टंकियों की हालत भी जर्जर हो गई है. वैसे दो और नई टंकियों का निर्माण कराया जा रहा है. फिलहाल 2 बड़े पानी टंकियों से शहर में पानी सप्लाई का काम किया जा रहा है.

46 मिलियन लीटर पानी की आपूर्ति: जानकारी के अनुसार गया शहर में सप्लाई पाइप लाइन से 64 मिलियन लीटर पानी की जरूरत है, किंतु दुर्भाग्य है कि 46 मिलियन लीटर पानी ही लोगों तक सीधे पहुंच रहा है. इसके अलावा शेष वंचित आबादी को टैंकर से पानी की सप्लाई के दावे किए जाते हैं. गया नगर निगम पानी की व्यवस्था को लेकर बड़े-बड़े दावे करता है लेकिन आज तक पूरे शहर की प्यास बुझाने में विफल ही दिख रहा है.

झरने का बन जाता है नजारा: स्थानीय लोग बताते हैं कि जब पानी गिरना शुरू हो जाता है तो पहाड़ी के निचले हिस्से पर एक तरह से झरना का नजारा बन जाता है. लोग इसमें स्नान करना शुरू कर देते हैं. बताते हैं कि यह पानी आखिर में बेकार होकर नाले में ही चला जाता है. हालांकि लोग बताते हैं कि पानी की कीमत अमूल्य है और इसे हर हाल में बचाना जरूरी है.

'पानी के बिना नहीं बनता है भोजन': वहीं, इस संबंध में वार्ड 34 अंतर्गत पुलिस लाइन रोड स्थित मुहल्ले के लोगों ने बताया कि हमें पानी के इंतजार में दिन-रात एक करना पड़ता है. कभी-कभी पानी नहीं आया तो घर में भोजन तक नहीं बनते हैं. पानी से ही सारा काम होता है. यहां की रहने वाली बसंती देवी ने बताया कि जनप्रतिनिधि उनसे सिर्फ वोट लेते हैं. पानी जैसी अत्यंत जरूरी व्यवस्था को भी ये पूरा नहीं कर सकते हैं. इधर-उधर भटक कर किसी प्रकार से पीने का जुगाड़ किया जाता है.

"हम नल से पानी आने के इंतजार में बैठे रहते हैं. पानी बिजली की समस्या से हम परेशान रहते हैं. पानी नहीं रहने के कारण खाना भी नहीं बन पाता है. जहां तहां से पानी का इंतजाम करते हैं. नहाने खाने हर चीज की परेशानी है."- बसंती देवी, स्थानीय

"ब्रह्मयोनि पहाड़ स्थित टंकी से लाखो लीटर पानी ऐसे ही बर्बाद होकर बह जाता है. वहीं हमलोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं. ऐसा नहीं होना चाहिए. ब्रह्मयोनि पहाड़ की टंकी से बर्बाद होने वाले पानी को बचाया जाना चाहिए. इसी से पानी की किल्लत को दूर करना चाहिए."- राजन यादव, स्थानीय



बोलीं नगर आयुक्त- पानी की बर्बादी की नहीं जानकारी: वहीं गया नगर निगम आयुक्त अभिलाषा शर्मा (Gaya Municipal Corporation Commissioner Abhilasha Sharma) ने बताया कि गया शहर में पानी की किल्लत को दूर करने के लिए कई उपाय किए गए हैं. ब्रह्मयोनि पहाड़ी से लाखों लीटर पानी की बर्बादी को लेकर बताया कि अभी उन्होंने दो दिन पहले ही गया में योगदान दिया है. ऐसे में विशेष जानकारी उन्हें मालूम नहीं है, मामले को संज्ञान में लिया जाएगा. साथ ही उन्होंने कहा कि जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान भी कर लिया जाएगा.

"हमें पता चला है कि गया में इस महीने में लोगों को पेयजल की समस्या रहती है. लेकिन अभी काफी नियंत्रण में कर लिया गया है. हमने कुछ ऐसे वार्ड की सूची बनाई है जहां सबसे ज्यादा पानी की समस्या है. ऐसी जगहों पर युद्धस्तर पर काम किया जाएगा और चार दिनों के अंदर स्थिति को सामान्य करने की कोशिश की जाएगी. दो दिन पहले ही मैंने ज्यॉइन किया है. पानी की बर्बादी का मामला मेरे संज्ञान में नहीं आया है. मामले को देखकर इसका भी निराकरण कर दिया जाएगा."- अभिलाषा शर्मा, नगर निगम आयुक्त, गया



पढ़ें- पटनाः दानापुर नगर परिषद इलाके में जल संकट, पाइप लाइन खराब होने से परेशानी

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गया: पानी की बर्बादी रोकने के तमाम उपाय निरर्थक साबित हो रहे हैं. जबकि हर साल गर्मी के मौसम में पानी की किल्लत से हर कोई वाकिफ है. फिर भी प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है. गया शहर के दर्जनों मोहल्लों में पानी की किल्लत (drinking water crisis in gaya) आम है. वहीं ब्रह्मयोनि पहाड़ पर स्थित मुख्य टंकी से पानी (Millions of liters of water wasted in Gaya) ओवरफ्लो होकर नाले में बहता है. पदाधिकारियों की लापरवाही और उदासीनता का खामियाजा लोगों को उठाना पड़ रहा है.

पढ़ें- पेयजल की समस्या से ग्रामीण परेशान, दूसरे वार्ड से पानी लाकर बुझाते हैं प्यास

गया में लाखों लीटर पानी बर्बाद: एक तरफ सरकार जल संरक्षण अभियान (har ghar jal yojna) चलाती है तो वहीं दूसरी ओर गया में लाखों लीटर पानी नालों में जाकर बर्बाद होते हैं. 18 मिलियन लीटर पानी आज भी सीधे शहरवासियों की पहुंच से दूर है. गया शहर की एक बड़ी आबादी आज भी पानी के लिए रोजाना जद्दोजहद करती है. पानी टैंकरों के पास लोगों की भीड़ उमड़ती है या फिर नल में पानी आने का इंतजार किया जाता है. इन सारी परेशानियों के बीच एक ऐसी तस्वीर भी सामने आई है जिसने निगम की कारगुजारी को उजागर किया है.लाखों लीटर पानी बर्बाद हो रहा है लेकिन निगम के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है.

ओवरफ्लो के कारण पानी बर्बाद: गया का दंडीबाग शहर (Gaya Dandibagh City) में पानी सप्लाई का मुख्य केंद्र है. यहां से पाइप लाइन के सहारे ब्रह्मयोनि पहाड़ पर बनाई गई टंकियों में पानी की सप्लाई की जाती है. जहां से उसकी आपूर्ति शहर में की जाती है. इसकी जिम्मेदारी बुडको की देखरेख में संभाल रही एजेंसी इस कदर लापरवाह है कि लाखों लीटर पानी ऐसे ही बहा दिए जा रहे हैं.

बूंद-बूंद के लिए तरस रहे लोग: नलों से पानी भरने के लिए लोग अपनी बारी का घंटों इंतजार करते देखे जा सकते हैं. शहर के दर्जनों मोहल्लों में पानी की किल्लत है. वहीं नगर निगम की लापरवाही का आलम यह है कि लाखों लीटर पानी यूं ही बर्बाद कर दिए जा रहे हैं. यह पानी नाले में जाकर पूरी तरह से बेकार हो जाते हैं. प्रतिदिन लाखों लीटर पानी यूं ही बहा दिए जा रहे हैं. लोगों का कहना है कि हमारे आंखों के सामने पानी बर्बाद हो रहा है और हम पानी की एक एक बूंद के लिए तरस रहे हैं. ब्रह्मयोनि पहाड़ परस्थित मुख्य टंकी से ओवरफ्लो होने के कारण पानी नाले में बहता है.

संबंधित एजेंसी के पदाधिकारी लापरवाह: अरसे से पानी की बर्बादी का सिलसिला लगातार जारी है. लेकिन इसे लेकर कोई भी अधिकारी गंभीर नहीं है. दंडीबाग में पानी स्टार्ट करने वाले संबंधित एजेंसी के पदाधिकारी पानी टंकियों की निगरानी नहीं रखते हैं और समय से मोटर को बंद नहीं किया जाता. इसके कारण टंकियों में पानी भरने के बाद वह ओवरफ्लो होने लगता है और बहाव चारों ओर से जमीन पर होना शुरू हो जाता है. यह लगातार घंटो तक चलता रहता है और पानी बर्बाद होकर नाले में गिरते हैं. वही पानी की टंकियों की हालत भी जर्जर हो गई है. वैसे दो और नई टंकियों का निर्माण कराया जा रहा है. फिलहाल 2 बड़े पानी टंकियों से शहर में पानी सप्लाई का काम किया जा रहा है.

46 मिलियन लीटर पानी की आपूर्ति: जानकारी के अनुसार गया शहर में सप्लाई पाइप लाइन से 64 मिलियन लीटर पानी की जरूरत है, किंतु दुर्भाग्य है कि 46 मिलियन लीटर पानी ही लोगों तक सीधे पहुंच रहा है. इसके अलावा शेष वंचित आबादी को टैंकर से पानी की सप्लाई के दावे किए जाते हैं. गया नगर निगम पानी की व्यवस्था को लेकर बड़े-बड़े दावे करता है लेकिन आज तक पूरे शहर की प्यास बुझाने में विफल ही दिख रहा है.

झरने का बन जाता है नजारा: स्थानीय लोग बताते हैं कि जब पानी गिरना शुरू हो जाता है तो पहाड़ी के निचले हिस्से पर एक तरह से झरना का नजारा बन जाता है. लोग इसमें स्नान करना शुरू कर देते हैं. बताते हैं कि यह पानी आखिर में बेकार होकर नाले में ही चला जाता है. हालांकि लोग बताते हैं कि पानी की कीमत अमूल्य है और इसे हर हाल में बचाना जरूरी है.

'पानी के बिना नहीं बनता है भोजन': वहीं, इस संबंध में वार्ड 34 अंतर्गत पुलिस लाइन रोड स्थित मुहल्ले के लोगों ने बताया कि हमें पानी के इंतजार में दिन-रात एक करना पड़ता है. कभी-कभी पानी नहीं आया तो घर में भोजन तक नहीं बनते हैं. पानी से ही सारा काम होता है. यहां की रहने वाली बसंती देवी ने बताया कि जनप्रतिनिधि उनसे सिर्फ वोट लेते हैं. पानी जैसी अत्यंत जरूरी व्यवस्था को भी ये पूरा नहीं कर सकते हैं. इधर-उधर भटक कर किसी प्रकार से पीने का जुगाड़ किया जाता है.

"हम नल से पानी आने के इंतजार में बैठे रहते हैं. पानी बिजली की समस्या से हम परेशान रहते हैं. पानी नहीं रहने के कारण खाना भी नहीं बन पाता है. जहां तहां से पानी का इंतजाम करते हैं. नहाने खाने हर चीज की परेशानी है."- बसंती देवी, स्थानीय

"ब्रह्मयोनि पहाड़ स्थित टंकी से लाखो लीटर पानी ऐसे ही बर्बाद होकर बह जाता है. वहीं हमलोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं. ऐसा नहीं होना चाहिए. ब्रह्मयोनि पहाड़ की टंकी से बर्बाद होने वाले पानी को बचाया जाना चाहिए. इसी से पानी की किल्लत को दूर करना चाहिए."- राजन यादव, स्थानीय



बोलीं नगर आयुक्त- पानी की बर्बादी की नहीं जानकारी: वहीं गया नगर निगम आयुक्त अभिलाषा शर्मा (Gaya Municipal Corporation Commissioner Abhilasha Sharma) ने बताया कि गया शहर में पानी की किल्लत को दूर करने के लिए कई उपाय किए गए हैं. ब्रह्मयोनि पहाड़ी से लाखों लीटर पानी की बर्बादी को लेकर बताया कि अभी उन्होंने दो दिन पहले ही गया में योगदान दिया है. ऐसे में विशेष जानकारी उन्हें मालूम नहीं है, मामले को संज्ञान में लिया जाएगा. साथ ही उन्होंने कहा कि जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान भी कर लिया जाएगा.

"हमें पता चला है कि गया में इस महीने में लोगों को पेयजल की समस्या रहती है. लेकिन अभी काफी नियंत्रण में कर लिया गया है. हमने कुछ ऐसे वार्ड की सूची बनाई है जहां सबसे ज्यादा पानी की समस्या है. ऐसी जगहों पर युद्धस्तर पर काम किया जाएगा और चार दिनों के अंदर स्थिति को सामान्य करने की कोशिश की जाएगी. दो दिन पहले ही मैंने ज्यॉइन किया है. पानी की बर्बादी का मामला मेरे संज्ञान में नहीं आया है. मामले को देखकर इसका भी निराकरण कर दिया जाएगा."- अभिलाषा शर्मा, नगर निगम आयुक्त, गया



पढ़ें- पटनाः दानापुर नगर परिषद इलाके में जल संकट, पाइप लाइन खराब होने से परेशानी

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Last Updated : May 7, 2022, 4:29 PM IST
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