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Gaya: पुल बहने से टूटा 25 गांवों का संपर्क, नदी पार करने के लिए जोखिम में डालनी होगी जान

गया जिले के कोठवारा गांव के समीप फल्गु नदी (Falgu River) पर निर्माणाधीन नीलांजना पुल बह गया. नदी पर बना डायवर्सन भी बह गया है. इससे 25 गांव के लोगों का संपर्क टूट गया है. अब लोगों को जान जोखिम में डालकर पैदल नदी पार करना होगा.

Nilanjana Bridge
कोठवारा गांव
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Published : Jul 31, 2021, 10:30 PM IST

गया: बिहार के गया (Gaya) जिले के कोठवारा गांव के समीप फल्गु नदी (Falgu River) पर निर्माणाधीन नीलांजना पुल (Nilanjana Bridge) के अचानक पानी के तेज बहाव में बह जाने के कारण लगभग 25 गांवों का जनसंपर्क टूट गया है. नदी में बना डायवर्सन भी बह गया है. स्थानीय लोगों का कहना है कि कई बार जनप्रतिनिधियों का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराया गया, लेकिन आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला.

यह भी पढ़ें- LIVE VIDEO: बिना बारिश अचानक फल्गु नदी में आया सैलाब, आसपास के लोग हैरान

कोठवारा गांव के अनिल कुमार ने कहा, 'पिछले कई दिनों से लगातार बारिश हो रही है. इसके कारण नदी में पानी का बहाव काफी बढ़ गया. जिस समय निर्माणाधीन पुल पानी के तेज बहाव में बहा, उससे थोड़ी ही देर पहले मजदूर खाना खाने गए थे. अगर मजदूरों के काम करने के दौरान पुल बहता तो बहुत बड़ी दुर्घटना हो सकती थी. अगर पुल समय पर बन जाता तो ग्रामीणों को आने-जाने में सहूलियत होती.'

देखें वीडियो

गांव के युवकों ने बताया कि सात साल में भी पुल का निर्माण पूरा नहीं हो पाया. निर्माण कार्य काफी धीमी गति से चल रहा है. इस संबंध में स्थानीय जनप्रतिनिधि से लेकर अधिकारियों तक से बात की गई, लेकिन सभी लोग सिर्फ आश्वासन देते हैं. पुल का निर्माण हो जाता तो आज उस पार के गांव के लोगों का जनसंपर्क नहीं टूटता.

"पानी कम रहने पर लोग जान जोखिम में डालकर नदी पार करते हैं. ऐसे में अगर पानी का बहाव अचानक तेज हो जाए तो कई लोगों की जान भी जा सकती है. यहां के लोग नदी के पानी के बीच से आने-जाने को मजबूर हैं. डायवर्सन के साथ-साथ निर्माणाधीन पुल भी बह गया. अब आने-जाने का कोई रास्ता नहीं है. उस पार के लोग भगवान भरोसे हैं."- विशेश्वर प्रसाद, ग्रामीण

बता दें कि फल्गु नदी पर इस पुल का निर्माण 6 वर्षों से चल रहा था. 6 साल में नदी में सिर्फ 16 पिलर ही खड़े हुए हैं. इस पुल का शिलान्यास 2015 में शेरघाटी के तत्कालीन विधायक विनोद यादव ने किया गया था. 13 करोड़ की राशि से इसे नाबार्ड योजना के तहत बनवाया जा रहा है. निर्माण कार्य की जिम्मेदारी तिरुपति बाला जी कंस्ट्रक्शन कंपनी को दी गई है.

तिरुपति बाला जी कंस्ट्रक्शन कंपनी ने बताया है कि पुल का निर्माण अभी तक नहीं हुआ है. नदी में तेज बहाव आने के कारण पुल का स्ट्रकचर गिरा है. पुल को नुकसान नहीं हुआ है. जो निर्माण हुआ था उसमें कोई दिक्कत नहीं है. जब पानी कम था तब नीचे से बालू का कटाव नहीं हो रहा था. पानी का बहाव तेज हुआ तो बालू का कटाव तेजी से होने लगा. इससे स्ट्रक्चर के सपोर्ट में लगाये गए बल्ले गिर गए, जिससे पुल का निर्माणाधीन ढांचा बह गया.

यह भी पढ़ें- नीतीश ने यूं ही नहीं सौंपी सवर्ण समाज से आने वाले ललन सिंह को JDU की कमान, भरोसे की वजह समझिए

गया: बिहार के गया (Gaya) जिले के कोठवारा गांव के समीप फल्गु नदी (Falgu River) पर निर्माणाधीन नीलांजना पुल (Nilanjana Bridge) के अचानक पानी के तेज बहाव में बह जाने के कारण लगभग 25 गांवों का जनसंपर्क टूट गया है. नदी में बना डायवर्सन भी बह गया है. स्थानीय लोगों का कहना है कि कई बार जनप्रतिनिधियों का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराया गया, लेकिन आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला.

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कोठवारा गांव के अनिल कुमार ने कहा, 'पिछले कई दिनों से लगातार बारिश हो रही है. इसके कारण नदी में पानी का बहाव काफी बढ़ गया. जिस समय निर्माणाधीन पुल पानी के तेज बहाव में बहा, उससे थोड़ी ही देर पहले मजदूर खाना खाने गए थे. अगर मजदूरों के काम करने के दौरान पुल बहता तो बहुत बड़ी दुर्घटना हो सकती थी. अगर पुल समय पर बन जाता तो ग्रामीणों को आने-जाने में सहूलियत होती.'

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गांव के युवकों ने बताया कि सात साल में भी पुल का निर्माण पूरा नहीं हो पाया. निर्माण कार्य काफी धीमी गति से चल रहा है. इस संबंध में स्थानीय जनप्रतिनिधि से लेकर अधिकारियों तक से बात की गई, लेकिन सभी लोग सिर्फ आश्वासन देते हैं. पुल का निर्माण हो जाता तो आज उस पार के गांव के लोगों का जनसंपर्क नहीं टूटता.

"पानी कम रहने पर लोग जान जोखिम में डालकर नदी पार करते हैं. ऐसे में अगर पानी का बहाव अचानक तेज हो जाए तो कई लोगों की जान भी जा सकती है. यहां के लोग नदी के पानी के बीच से आने-जाने को मजबूर हैं. डायवर्सन के साथ-साथ निर्माणाधीन पुल भी बह गया. अब आने-जाने का कोई रास्ता नहीं है. उस पार के लोग भगवान भरोसे हैं."- विशेश्वर प्रसाद, ग्रामीण

बता दें कि फल्गु नदी पर इस पुल का निर्माण 6 वर्षों से चल रहा था. 6 साल में नदी में सिर्फ 16 पिलर ही खड़े हुए हैं. इस पुल का शिलान्यास 2015 में शेरघाटी के तत्कालीन विधायक विनोद यादव ने किया गया था. 13 करोड़ की राशि से इसे नाबार्ड योजना के तहत बनवाया जा रहा है. निर्माण कार्य की जिम्मेदारी तिरुपति बाला जी कंस्ट्रक्शन कंपनी को दी गई है.

तिरुपति बाला जी कंस्ट्रक्शन कंपनी ने बताया है कि पुल का निर्माण अभी तक नहीं हुआ है. नदी में तेज बहाव आने के कारण पुल का स्ट्रकचर गिरा है. पुल को नुकसान नहीं हुआ है. जो निर्माण हुआ था उसमें कोई दिक्कत नहीं है. जब पानी कम था तब नीचे से बालू का कटाव नहीं हो रहा था. पानी का बहाव तेज हुआ तो बालू का कटाव तेजी से होने लगा. इससे स्ट्रक्चर के सपोर्ट में लगाये गए बल्ले गिर गए, जिससे पुल का निर्माणाधीन ढांचा बह गया.

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