गया: महाबोधि मंदिर को कोरोना महामारी का दंश अब भी झेलना पड़ रहा है. महामारी की वजह से विदेशी श्रदालु और पर्यटक बोधगया नहीं आ रहे हैं. जिसके वजह से महाबोधि मंदिर के दान में भारी कमी आयी है. पिछले साल मार्च से लेकर अभी तक दान के रूप में मात्र 21 लाख रुपये मंदिर में जमा हुए हैं. जिलाधिकारी सह बीटीएमसी अध्यक्ष अभिषेक सिंह ने कहा दान में कमी आया है. लेकिन महाबोधि मंदिर का विकास कार्य नहीं रुकेगा.
कोरोना से पहले 50 लाख पर्यटक पहुंचे थे बोधगया
दरअसल, इन दिनों पर्यटन सीजन चल रहा है. पिछले साल पर्यटन सीजन में 50 देशों से लाखों बौद्ध धर्मावलंबी और पर्यटक बोधगया आये थे. लेकिन बीते साल मार्च से कोरोना महामारी की वजह से विदेशी पर्यटक नहीं आये हैं. पूरा पर्यटन सीजन अब बीतने को है लेकिन विदेशी पर्यटक बोधगया नहीं आए हैं. जिसके कारण बोधगया के अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ा है. वहीं, महाबोधि मंदिर के दान भारी कमी आयी है.
अखिल भारतीय बौद्ध भिक्खु संघ के महामंत्री प्रज्ञा दीप बताते हैं कि कोरोना का बहुत बुरा असर पड़ा है. बोधगया की अर्थव्यवस्था विदेशी मुद्रा पर टिकी हुई है. जब वो ही नहीं आ रहे हैं तो महाबोधि मंदिर और पर्यटन से जुड़े लोगों को आर्थिक इसका नुकसान झेलना पड़ रहा है.
'दान कोई आय का जरिया नहीं होता है. लोग अपनी श्रद्धा से दान देते हैं. महाबोधि मंदिर दान पर निर्भर नहीं है. एक साल दान नहीं आने से मंदिर के विकास कार्य पर कोई असर नहीं पड़ेगा. महाबोधि मंदिर के पास रुपये रिजर्व हैं. जिससे विकास कार्य किया जा रहा है. बीटीएमसी के नए भवन का निर्माण करवाया जा रहा है. हर साल 5 से 6 करोड़ रुपये महाबोधि मंदिर को दान में मिलता था. वैक्सीनेशन का काम पूरे विश्व में चल रहा है. हम लोगों को आशा है कि वैक्सीनेशन के बाद पर्यटकों के आने का सिलसिला फिर से शुरू हो जाएगा'.- अभिषेक सिंह, जिलाधिकारी
थाईलैंड से काफी पर्यटक आए थे गया
गौरतलब है कि साल 2020 में पर्यटन सीजन के दौरान गया एयरपोर्ट सबसे ज्यादा थाईलैंड के विमान और यात्री आये थे. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सबसे ज्यादा दान विदेशी मुद्रा के रूप में थाई वाट मुद्रा मिला था. बोधगया में सबसे ज्यादा थाई मन्दिर हैं.