गया: कोरोना महामारी और यास तूफान के बीच वैशाख पूर्णिमा पर बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर में भगवान बुद्ध की 2,565 वीं जयंती सादगी से मनाई जा रही है. इंटरनेशनल बुद्धिस्ट कंफेडरेशन के द्वारा इंटरनेशनल बुद्ध जयंती समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बौद्ध श्रदालुओं को संबोधित किया.
कोविड मानवता के सामने सबसे बुरा संकट-मोदी
बुद्ध पूर्णिमा के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कोरोना महामारी से संबंधित कई बाते कहीं. उन्होंने कहा कोरोना ने पूरी दुनिया को बदल कर रख दिया. लेकिन हमें भारतीय वैज्ञानिकों पर गर्व है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि कोविड-19 दशकों में मानवता के सामने सबसे बुरा संकट है, हमने पिछली एक सदी में ऐसी महामारी नहीं देखी. कोविड-19 के बाद हमारी पृथ्वी पहले जैसी नहीं रहेगी, हम घटनाओं को आने वाले समय में कोविड से पूर्व या कोविड से बाद की घटना के रूप में याद करेंगे.
बौद्ध धर्म गुरुओं द्वारा बुद्ध जयंती धूमधाम से मनाई जा रही है. श्रद्धालुओं ने पवित्र बोधि वृक्ष के नीचे विश्व शांति और कोरोना महामारी को लेकर विशेष पूजा की. कोरोना के कारण भगवान बुद्ध की त्रिविध पावन जयंती सादगी से मनाई गई.
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बोधगया स्थित बोधगया टेंपल मैनेजमेंट कमिटी के कार्यालय से बौद्ध धर्म गुरु एवं प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा पवित्र खीर बनाकर विश्व धरोहर महाबोधि मंदिर तक ले जाया गया. जहां महाबोधि मंदिर के प्रांगण में स्थित पवित्र बोधि वृक्ष के नीचे विश्व शांति व कोरोना महामारी से बचाव को लेकर विशेष पूजा-अर्चना की गई.
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कोरोना से बचाने के लिए प्रार्थना
बौद्ध श्रदालु रामकिशोर पासवान ने बताया की कोरोना महामारी की वजह से हमलोग कम संख्या में बाहरी परिसर में सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते हुए भगवान बुद्ध का पूजा और सूत पाठ किया. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इंटरनेशनल बुद्धिस्ट कंफेडरेशन के तहत लाइव संबोधित किया. बोधगया के बौद्ध श्रदालु हर्षबोधि ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग करना चाहता हूं बोधगया में विश्व स्तर के अस्पताल का निर्माण किया जाए.
दरअसल, भगवान बुद्ध की जयंती को बौद्ध धर्मावलंबी त्रिविध पावन जयंती के रूप में मनाते हैं. त्रिविधि कहने का अर्थ यह होता है कि आज ही के दिन भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था. आज ही के दिन उन्हें बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी और आज ही के दिन उनका महापरिनिर्वाण हुआ था. इसलिए बुद्ध जयंती को बौद्ध धर्मावलंबी विधु जयंती के रूप में मनाते हैं.