मोतिहारीः पूर्वी चंपारण जिले में टीबी मरीजों के संख्या हर साल बढ़ती जा रही है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार अनुसार वर्ष 2017 में जिले में कुल 2155 टीबी के मरीज थे, वर्ष 2018 में ये संख्या बढ़कर 2246 हो गई. इसके बाद से टीबी के मरीजों की संख्या में लगातर इजाफा होता जा रहा है.
सिविल सर्जन वीके सिंह ने बताया कि वर्ष 2017 में 2155 मरीजों में से 103 मरीज एमडीआर स्टेज में थे. जिन्हे टीबी की शुरुआती स्टेज की दवा दी जाती है. बाकी के मरीज एमडीआर स्टेज से आगे के स्टेज पर पहुंच चुके थे. जबकि वर्ष 2018 में 2246 टीबी के मरीज चिन्हित किए गए. जिसमें से मात्र160 ही एमडीआर स्टेज के मरीज थे.
शुरुआती स्टेज में बरती जाती है लापरवाही
बीके सिंह के मुताबिक टीबी के मरीजों का सरकारी स्तर पर होने वाला इलाज खर्चिला नहीं होता है. साथ ही सरकार ने अप्रैल 2018 से प्रत्येक टीबी मरीज को उनके खान पान के लिए 500 रुपया देना भी शुरु कर दिया था. जो जिले के 1700 टीबी मरीजों को दी जाती है. बावजूद इसके मरीज शुरुआत में नीम हकीम से इलाज कराते हैं. जिसके कारण उनकी बीमारी काफी जटिल रुप ले लेती है.
सिविल सर्जन के अनुसार, लोग इस बीमारी के प्रति जागरुक नहीं हुए तो आने वाले समय में यह महामारी का रुप ले लेगी. इधर दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण भी निजी नर्सिंग होम में इलाज कराने वाले टीबी मरीजों की सूची मौजूद नहीं है. जबकि सभी निजी क्लिनिकों के लिए यह आवश्यक है कि उन्हें सभी टीबी के मरीजों की सूची विभाग को देनी है.